Pitru Paksha Niyam: हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष पड़ते हैं. इस दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है. पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है. इस साल 18 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और आज पितृ पक्ष का दूसरा दिन है.
गरुड़ पुराण के अनुसार अगर पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध आदि किया जाता है, तो इससे पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. श्राद्धों में मांगिलक और शुभ कार्यों की मनाही होती है. और अगर इन चीजों को कोई अनदेखा करता है, तो इससे पितर नाराज हो जाते हैं और वंशजों को दंडित करते हैं. कुछ बातों को नजरअंदाज करने पर व्यक्ति को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जानें पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें.
तर्पण में क्या न करें
- गरुड़ पुराण में कहा गया है कि पितृ पक्ष के दौरान किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही, इन दिनों में शराब से भी दूरी बनाए रखें. अनदेखा करने पर पितर नाराज हो जाते हैं और व्यक्ति को बुरे परिणामों का सामना करना पड़ता है.
- मान्यता है कि इन दिनों में साग, सत्तू, चने की दाल, बेसन आदि चीजों से भी परेहज करना चाहिए. साग और सत्तू का सेवन इन दिनों में भूलकर भी न करें. इसके साथ ही, मसूर की दाल, गाजर, मूली आदि चीजों से भी दूर रहें.
- पितृ पक्ष के दौरान घर के बड़े-बुढ़ों का भी अपमान नहीं करना चाहिए. इन दिनों में परिवार के किसी सदस्य का दिल न दुखाएं और न ही किसी के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाएं. इन दिनों में किसी पशु-पक्षी, जीव-जंतु आदि को भी न सताएं.
- इन दिनों में खरीददारी करने की भी मनाही होती है. कहते हैं कि इन दिनों में किसी भी व्यक्ति के नए वस्त्र भी धारण नहीं करने चाहिए. इन दिनों में किसी भी मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए वरना व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है.
पितृ पक्ष में क्या करें
- गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितृ पक्ष के दौरान व्यक्ति को रोजाना स्नान-ध्यान के बाद दक्षिण दिशा में मुख करके पितरों को जल का अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद ही पितरों को भोजन दें.
- मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौपान अगर नियमित रूप से पितृ चालीसा का पाठ किया जाए और पितृ मंत्रों का जाप किया जाए, तो पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. श्राद्ध के दिनों में रोजाना संध्याकाल में छत पर दक्षिण दिशा में मुख करके व्यक्ति को सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
- कहते हैं कि पितृ पक्ष के दिनों में व्यक्ति को ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करना चाहिए. इसके साथ ही जरूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान नियमित रूप से अन्न, जल और धन का दान करना चाहिए.ऐसा करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
- गरुड़ पुराण के अनुसार रोजाना पशु-पक्षी को चारा देना चाहिए. इसके लिए छत पर भी पक्षियों का दाना दे सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ इसकी पुष्टि नहीं करता है.)