रायपुर : छत्तीसगढ़ में 36 हजार करोड़ के नागरिक आपूर्ति निगम में हुए घोटाले और बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की गिरफ़्तारी से जुडे मामले आज सुप्रीम कोर्ट में छाए रहे | अदालत के गलियारों में ईडी और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच “तू डाल-डाल तो मै पात-पात “की तर्ज़ पर कोर्ट में चल रहे कानूनी दांव पेंचो के खेल की खूब चर्चा रही |
यहाँ ईडी के उस हलफनामे पर कई वकीलों ने गौर फ़रमाया जिसमे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर नान घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए जांच को कमजोर करने के तथ्य पेश किये गए थे । हलफनामे के 10 नंबर पेज पर कानून के जानकारों की निगाहे टिकी रही |
इसकी कंडिका में बघेल के अलावा एक लॉ ऑफिसर (जज) राज्य सरकार के कानूनी सलाहकार (विधि मंत्रालय एवं महधिवक्ता कार्यालय ) के कार्यालय पर गंभीर आरोप लगाए गए है |बताया जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में ईडी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील तुषार मेहता ने भ्रष्टाचार के इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग उठाई |
उन्होंने घोटाले के मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा और डॉ आलोक शुक्ला को बिलासपुर हाईकोर्ट द्वारा मिली अग्रिम जमानत को रद्द करने की मांग भी की |
हालाँकि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से क्या तर्क दिया गया ? इस बारे में कोई आधिकरिक जानकारी नहीं मिल पाई है | यह भी बताया जा रहा है कि मामले में इंटरविन होने और अदालत के संज्ञान में नए तथ्य लाने की गुहार को लेकर कुछ याचिकाकर्ता भी कोर्ट पहुंचे थे | इस कड़ी में फरियादी और नान घोटाले के मुख्य गवाह गिरीश शर्मा का नाम सुर्खियों में है | बता दे कि गिरीश शर्मा से ही EOW के तत्कालीन अधिकरियो ने लगभग 20 लाख जप्त किए थे |
इस दौरान गिरीश शर्मा ने EOW को दिए अपने बयान में बताया था कि यह रकम अनिल टुटेजा और डॉ आलोक शुक्ला के हाथो में जानी है | गौरतलब है कि कोर्ट में एक याचिका दायर कर गिरीश शर्मा ने भी नान घोटाले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है | सूत्र बताते है कि नान घोटाले की सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई दो दिन बाद अर्थात सोमवार को होगी | न्यूज़ टुडे को मिले ईडी के हलफनामे पर “एक नज़र”…