छत्तीसगढ़ में अडानी और कोयला दलालों को फायदा पहुंचाने के लिए जनता को महंगी बिजली क्यों सरकार ? CSEB में फिर बड़े घोटाले का टेंडर, अफसरों की अनोखी शर्ते चर्चा में, घटिया कोयला सप्लाई को लेकर अडानी की कम्पनी पर कार्यवाही और पेनाल्टी वसूली भी हो गई मैनेज..?

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रायपुर : छत्तीगढ़ में कोयले की कालिख से बिजली विभाग के अफसरों, माफिया कारोबारी और कुछ नेताओं की बल्ले – बल्ले है।  भले ही बिजली के दाम में बढ़ोत्तरी का दावा कर छत्तीसगढ़ सरकार आम जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही हो लेकिन सूर्यकान्त तिवारी को उपकृत करने के लिए उसने CSEB की ओर से अपनी नजरे फेर ली है। इस विभाग में कोयले की सप्लाई मोटी कीमतों पर सूर्यकान्त तिवारी एंड कम्पनी कर रही है।

टेंडर की शर्तो की धज्जियाँ उड़ा कर वो एक ओर रोजाना करोड़ो की कमाई कर रहा है। वही दूसरी ओर महंगी बिजली का हवाला देकर मुख्यमंत्री आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ाते नजर आ रहे है। ताजा मामला CSEB के इसी टेंडर का है। ऊंची कीमतों और भ्रष्टाचार के लिए इस टेंडर को दुबारा सूर्यकान्त को सौंपने के लिए CSEB हाथ पर थाल लिए खड़ी नजर आ रही है।

ऊर्जा विभाग की कमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथो में है। लिहाजा अब की बार महंगी बिजली से बचने के लिए लोग CSEB के मैनेज हो रहे इस टेंडर को पारदर्शी बनाने पर जोर दे रहे है। उनकी मांग है कि अब की बार CSEB को भारी भरकम भ्रष्टाचार से बचाओ सरकार। जरा गौर करे, CSEB में भ्रष्टाचार की शर्तों पर।  

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने खुलासा किया था कि कोयला दलाल सूर्यकान्त छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल में रोजाना करोड़ो का घोटाला कर रहा है। उसने अपनी सहयोगी जय अम्बे नामक कंपनी के साथ मिलकर कोयले के ट्रांसपोर्ट का ठेका भारी भरकम कीमतों पर हथिया लिया था। इस ठेके के जरिये रोजाना सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ करने के लिए CSEB के कुछ चुनिंदा अफसर भी लूट पाट में शामिल हो गए थे।

इन अफसरों ने पहले तो सूर्यकान्त की  कम्पनी को मात्र 6 माह की अवधि के लिए गैर क़ानूनी रूप से CSEB के पावर प्लांट में कोयले की सप्लाई के लिए ट्रांसपोर्ट ठेका दिया था। फिर कभी कोरोना और तो कभी अन्य कारणों का हवाला देकर उस ठेके को साल दर साल बढ़ाते रहे। यही नहीं घटिया कोल सप्लाई के लिए अडानी की कम्पनी को ब्लैक लिस्ट करने के मामले में भी अफसरों ने अपने फायदे के लिए हीला – हवाली की। सूत्रों के मुताबिक अडानी एंड कम्पनी और सूर्यकान्त गिरोह के जरिये सरकार से गठजोड़ के चलते छत्तीसगढ़ शासन की तिजोरी पर जहा चूना लग रहा है वही जनता महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर है।  

जानकारों के मुताबिक कोल ट्रांसपोटिंग का यह ठेका बाजार भाव से लगभग तीन गुनी अधिक दरो पर दिया गया था। इस ठेके के जरिये सूर्यकान्त एंड कम्पनी हर माह 25 से 30 करोड़ रूपए अकेले CSEB से मुनाफा कमा रही थी। उसका भ्रष्टाचार यही नहीं थमा। उसने खदान से निकलने वाले कोयले में मिलावट कर घटिया कोयला CSEB को सप्लाई करना शुरू कर दिया। नतीजतन सरकारी बिजली घर में कोयले की खपत बढ़ गयी। जबकि विद्युत उत्त्पादन घट गया। इसके चलते CSEB को रोजाना करोडो का नुकसान उठाना पड़ा। 

सूत्र बताते है कि सूर्यकान्त एंड कम्पनी ने अपने ठेको में लूटपाट और चोरी के जरिये एक हजार करोड़ से ज्यादा का चूना CSEB को लगाया है। इसके चलते प्रदेश में प्रति यूनिट बिजली के दाम बढ़ा दिए गए। जबकि सूर्यकान्त को दिए गए गैर क़ानूनी ठेके से रोजाना करोड़ो के नुकसान को रोकने के कोई प्रबंध नहीं किये गए। 

जानकारों के मुताबिक सूर्यकान्त को फायदा पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने उसकी ओर से नजरे ही फेर ली है। CSEB ने घटिया कोयले की वजह से उत्पादन घटने के कारणों का हवाला देते हुए पहले तो MDO अडानी कम्पनी पर लगभग 50 करोड़ की पेनाल्टी ठोकी। लेकिन चंद महीनो बाद कुछ अफसरों ने पेनाल्टी की वसूली और कोयले से जुडी जाँच रिपोर्ट की फाइल ही दफ्तर से नदारत कर दी। बताया जाता है कि इस मामले में चीफ़ इंजिनियर की कार्यप्रणाली संदिग्ध है। उनपर सूर्यकान्त के साथ मिलकर कोयले की दलाली के आरोप लग रहे है। 

बताया जाता है कि सूर्यकान्त को दिए गए अनधिकृत ठेके और घटिया कोयले की सप्लाई में चीफ इंजिनियर की महत्वपूर्ण भूमिका है। कांग्रेस के एक बड़े नेता से करीबी संबंधो के चलते इस अफसर पर वैधानिक कार्यवाही करने के बजाय सरकार की ओर से उसे मिल रहा सरंक्षण सुर्खियों में है। जानकारों के मुताबिक इस अफसर ने एक बार फिर CSEB को चूना लगाकर सूर्यकान्त एंड कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए नए सिरे से कोयले के ट्रांसपोर्ट का टेंडर जारी किया है। इस टेंडर में कोयला माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए एक खास शर्त जोड़ दी गई है। टेंडर फार्म की कंडिका 2 और 3 में टेंडर मैनेज किये जाने की बू आ रही है। 

सूत्रों के मुताबिक इन शर्तो को खास तौर पर इसलिए लागू कराया गया है, ताकि सिर्फ सूर्यकान्त से जुडी कम्पनी को ही एक बार फिर लूटपाट का ठेका हासिल हो सके। जरा गौर से देखिये  इस शर्त को। प्रतियोगी कम्पनी को टेंडर प्रक्रिया से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए टेंडर में ” कोल परिवाहन” शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसमें दुरी का भी उल्लेख है, यही नहीं बड़ी चालाकी से अफसरों ने टेंडर की इस शर्त को शामिल किया है ताकि सूर्यकान्त से जुडी कम्पनी के आलावा इस इलाके में अन्य कोई प्रतियोगी कम्पनी योग्यता के पैमाने में ही खरा ना उतर पाए। 

बताया जाता है कि न्यूज़ टुडे पर सूर्यकान्त के भ्रष्टाचारों की फेहरिस्त का खुलासा किये जाने के बाद CSEB के अफसरों को अपनी पोल खुलती नजर आने लगी। लिहाजा सालो बाद उन्होंने टेंडर प्रक्रिया शुरू की। लेकिन इस बार भी सूर्यकान्त को दोबारा ठेका सौंपने के लिए गैर क़ानूनी तरीको से शर्तो का पेंच फंसाया। चीफ इंजिनियर और उनकी टोली ने रातो रात नए ठेकों की विवादित शर्तेों को हरी झंडी देकर नया टेंडर जारी कर दिया। अब इस टेंडर को लेकर भी विवाद गहराते नजर आ रहा है।   

इस लिंक पर क्लीक कर देखे टेंडर फार्म की शर्ते