रायपुर : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ED पर हमले वाले ट्वीट को लेकर विवाद गहराते जा रहा है। अपने लगभग 4 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यू तो सैकड़ो ट्वीट किये है। लेकिन पहली बार, एक साथ आधा दर्जन ट्वीट सामने आने से लोग हैरत में है। इससे पूर्व किए गए ट्वीट को लेकर मुख्यमंत्री बघेल कभी भी इतने बेचैन नजर नहीं आए। उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह और बीजेपी पर भी दर्जनों ट्वीट किये है। लेकिन कभी भी एक या दो ट्वीट कर उन्होंने जनता के समक्ष अपनी बात रखी है। मुख्यमंत्री पद की गरिमा बरकरार रखने को लेकर मुख्यमंत्री बघेल काफी चाक -चौकस नजर आते है। उनके अब तक के कार्यकाल में पहली बार एक साथ आधा दर्जन ट्वीट और केंद्रीय जाँच एजेंसियों पर खासकर IT और ED पर अतार्किक हमला चर्चा में है।
राजनीति के जानकार हो या फिर भ्रष्टाचार से पीड़ित आम जनता, हर कोई भूपेश बघेल के IT और ED पर हमले वाले ट्वीट को देखकर माथा -पच्ची कर रहा है। दरअसल इस ट्वीट में जांच एजेंसियों पर ज्यादती करने का आरोप लगाया गया है। ट्वीट में कहा गया है कि एजेंसियां द्वारा मारपीट की जा रही है, पूछताछ के दौरान लोगो को मुर्गा बनाया जा रहा है, लोगो को समन देकर जबरन घर से उठाने की शिकायते मिली है, मनचाहा बयान दिलवाने के लिए बाध्य करने की शिकायते है। इसके अलावा भी IT -ED पर कई आरोप लगाए गए है। लेकिन इस ट्वीट में किसी भी पीड़ित का नाम उजागर नहीं किया गया है। यही नहीं प्रदेश के किसी भी थाने में पीड़ितों ने जाँच एजेंसियों की ज्यादतियों को लेकर कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई है।
ऐसे में मुख्यमंत्री के ट्वीट में शिकायते मिलने के आरोपों की सच्चाई पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है ? न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने रायपुर, दुर्ग, महासमुंद, धमतरी, कोरबा और रायगढ़ पुलिस के कुछ जिम्मेदार अफसरों से मुख्यमंत्री के ट्वीट और शिकायतों को लेकर चर्चा की। इस दौरान किसी भी जिले में ऐसी शिकायतों के प्राप्त होने या लंबित रहने संबंधी कोई जानकारी नहीं मिल पाई। अलबत्ता नाम ना छापने की शर्त पर कुछ अफसरों ने कहा कि मुख्यमंत्री के ट्वीट को लेकर वे भी हैरान है। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ताओं को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के बजाय सीधे मुख्यमंत्री को शिकायत करना अजीबोगरीब लग रहा है।
सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री के ट्वीट के पूर्व प्रदेश के किसी भी थाने में केंद्रीय जाँच एजेंसियों की ज्यादती को लेकर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ट्वीट में शिकायतों के अम्बार के मामलो को लेकर माथा -पच्ची जारी है। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ट्वीट और ट्विटर पर उनके सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा का कब्ज़ा है। विनोद वर्मा की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे है। दलीले दी जा रही है कि मुख्यमंत्री बघेल इतने जागरूक है कि उन्हें किसी संस्था या व्यक्ति विशेष पर हमला करने के लिए आधा दर्जन ट्वीट की जरुरत नहीं पड़ती उनके अब तक के ट्वीट पर गौर फरमाने वाले बताते है कि बघेल ने अभी तक किसी पर भी अतार्किक आरोप नहीं लगाए। उनका ट्विटर हेंडल तथ्य परख, ट्वीट के लिए जाना पहचाना जाता है।
राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री बघेल के इस ट्वीट के पीछे उनके सलाहकार विनोद वर्मा का हाथ है। अपनी राजनैतिक सूझ -बूझ और रणनीति के तहत विनोद वर्मा ने अतार्किक ट्वीट की सलाह देकर मुख्यमंत्री बघेल को अनावश्यक रूप से एक नए विवाद में धकेल दिया है। सूत्र बताते है कि ”महादेव एप” की जांच में IT -ED के सक्रियता से विनोद वर्मा काफी बेचैन बताये जाते है। यह भी बताते है कि मुख्यमंत्री बघेल को दिग्भ्रमित करके यह ट्वीट विनोद वर्मा के द्वारा कराया गया है। उनके मुताबिक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कभी भी ना तो अतार्किक ट्वीट करते है और ना ही बगैर किसी ठोस तथ्यों के किसी भी एजेंसियों पर ऐसे गंभीर आरोप लगाते है।
चर्चा है कि सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा और उनके पुत्र के सरकारी संरक्षण में बहुत अच्छे दिन गुजर रहे है।उनका कारोबार भी धड़ल्ले से चल पड़ा है। इस बीच ”महादेव एप ” के जरिये अंजाम दिए गए आर्थिक अपराधों की केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जाँच में सक्रियता दिखाने से कई लोगो की नींद उडी हुई है।
बताते है कि इसी बेचैनी में विनोद वर्मा का ट्वीट और ट्विट्टर हेंडल का मामला सुर्खियों में है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले में सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा की प्रतिक्रिया का भी प्रयास किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी ताजा राजनैतिक हालातों को लेकर चर्चा करने के लिए वक्त माँगा है। इस मामले में भी जनसम्पर्क विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय चुप्पी साधे हुए है।
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के मामलो की जाँच को लेकर IT-ED भ्रष्ट अफसरों और कारोबारियों पर अपना शिकंजा कस रही है। ईमानदारी का राग अलापने वाले कई सरकारी अफसरों के बीच तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर रस्साकशी चल रही है। दागी अफसर अपने कारनामो से बच निकलने के लिए राजनेताओं की शरण में है। लेकिन यहाँ भी राहत ना मिलते देख ऐसे अफसरों ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को बदनाम करने और जाँच में रोड़ा अटकाने के लिए नया पैंतरा खेला है।सूत्र बताते है कि इन दिनों विनोद वर्मा की कार्यप्रणाली सिर्फ केंद्रीय जाँच एजेंसियों पर अनुचित दबाव डालने वाली रणनीति से भरपूर नजर आती है।
उधर न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए केंद्रीय जाँच एजेंसियों के कुछ जिम्मेदार अफसरों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ट्विट्टर हेंडल से सामने आये आरोपों को सिरे से खारिज किया है। वो इसे राजनैतिक स्टंटबाजी करार दे रहे है। ये अफसर भी नाम ना छापने की शर्त पर दावा कर रहे है कि इस तरह के अतार्किक आरोपों से उनकी जाँच प्रभावित नहीं होने वाली है। उनका कहना है कि सरकारी धन को डकारने वालो के खिलाफ कार्यवाही जारी रहेगी, दबाव में आने का प्रश्न ही नहीं उठता।फिलहाल मुख्यमंत्री बघेल के ट्विटर हैंडल से दागे गए एक के बाद एक छह ट्वीट का मामला गहराते जा रहा है।
राजनीति के जानकार इसे कही पर निगाहे कही पर निशाना बता रहे है। उन्हें अंदेशा है कि केंद्रीय एजेंसियों को दबाव में लाने के लिए यह शिगूफा मात्र है। इसके पूर्व भी मुख्यमंत्री बघेल केंद्रीय एजेंसियों को चेतावनी जारी कर चुके है। उन्होंने इसी साल सितम्बर माह में केंद्रीय एजेंसियों को पुलिसिया कार्यवाही की चेतावनी दी थी। लेकिन बीते तीन माह में उन पर कोई तथ्यात्मक आरोप ना तो सामने आए और ना ही जाँच एजेंसियों के खिलाफ FIR दर्ज हुई।
हालाँकि महादेव एप के जरिए करोडो के गोरखधंधे की पड़ताल शुरू होते ही केंद्रीय एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर अतार्किक आरोपों का दौर शुरू हो गया।गौरतलब है कि सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा राज्य के पूर्व PWD मंत्री राजेश मूणत के फ़र्ज़ी सेक्स सीडी कांड के आरोपी के तौर पर भी चर्चित है।