कौन है पत्रकार सुनील नामदेव, जिसकी रिपोर्टिंग से बचने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार गैर कानूनी रूप से करती है कभी नजरबंदी तो कभी घेराबंदी, जाने क्यों छत्तीसगढ़ सरकार से ”36” का आंकड़ा

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार को लेकर कोहराम मचा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार भ्रष्टाचार के कई मामलो को लेकर बूरी तरह से घिर गई है। मुख्यमंत्री बघेल की उपसचिव और सुपर CM सौम्या चौरसिया जेल की हवा खा रही है। कोल परिवहन घोटाले और कोयले पर 25 रूपए टन गब्बर सिंह टैक्स जबकि आयरन ओर पर 100 रूपए टन लेवी वसूले जाने के नाम पर ED की कार्यवाही जोरो पर है। रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू उसके आईएएस पति JP मौर्य समेत अखिल भारतीय सेवाओं के दर्जन भर अफसरों से बतौर संदेही ED – IT पूछताछ में जुटी है। 

राज्य में बघेल सरकार की नाक के नीचे व्यापक पैमाने पर अंजाम दिए जा रहे भ्रष्टाचार के मामले में सुपर CM सौम्या चौरसिया के अलावा जेल की हवा खाने वाले आरोपियों में 2016 बेच के IAS अधिकारी समीर विश्नोई, कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी उसका चाचा लक्ष्मीकांत तिवारी और कोल कारोबारी सुनील अग्रवाल भी शामिल है। ये सभी आरोपी भी न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद है। ED – IT समेत अन्य केंद्रीय एजेंसियां सरकारी सरंक्षण में व्यापक भ्रष्टाचार के मामलो की पड़ताल में जुटी है। आरोपियों के खिलाफ ED की विशेष अदालत में चालान प्रस्तुत किया जा चुका है। अब पूरक चालान पेश करने के लिए एजेंसियां वैधानिक कार्यवाही को अंजाम दे रही है। 

राज्य सरकार के बैनर तले फेमा कानून के उल्लंघन को लेकर भी मामला दर्ज किए जाने की खबरे है। मुख्यमंत्री बघेल के करीबी ये तमाम आरोपी अब तक सरकारी तिजोरी से अरबो साफ़ कर चुके है। ED लगातार उनकी सम्पातिंया अटैच करने में जुटी है। राज्य के गरीबो, आदिवासियों और टैक्स पेयर की गाढ़ी कमाई को भ्रष्टाचार के जरिये हड़पने वाले ऐसे सरकारी मुलाजिमों और कारोबारियों के काले कारनामो का खुलासा पत्रकार सुनील नामदेव ने ही किया था।

इसके बाद से इस पत्रकार और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की टोली के बीच ठन गई। पत्रकार सुनील नामदेव अब तक ना तो सरकार के दबाव में आए है, और ना ही उन्होंने काले कारनामों के खुलासे पर ब्रेक लगाया है। लिहाजा भ्रष्ट तंत्र उनकी लेखनी और वाणी पर लगाम कसने में जुटा है। 

 

हालियां भ्रष्टाचार के खुलासे से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर पत्रकार सुनील नामदेव और उनके वीडियो एडिटर साजिद हाश्मी के खिलाफ रायपुर पुलिस ने एक साथ चार फर्जी प्रकरण दर्ज किये थे। इन प्रकरणों की असलियत भी ट्रायल कोर्ट में दिनों -दिन सामने आ रही है। पीड़ित पत्रकार को झूठे मामलो में फंसाने वाले अफसर अब अदालत में सच उगलने को विवश है। ये सभी मामले फर्जीवाड़ा करने वाले अफसरों के गले की फ़ांस बन चुके है।

हालत यह है कि पत्रकार सुनील नामदेव भ्रष्टाचार के मामलो की रिपोर्टिंग के लिए मैदान में जैसे ही उतरते है, वैसे ही पुलिस उनकी घेराबंदी में जुट जाती है। कोर्ट और कलेक्टर परिसर में देखते ही उन्हें नजरबन्द कर लिया जाता है। उन्हें तब तक न्यूज़ कवरेज से रोका जाता है, जब तक की मुख्यमंत्री बघेल की करीबी अफसर सौम्या चौरसिया समेत भ्रष्टाचार के अन्य आरोपी पेशी के दौरान अदालत परिसर में मौजूद रहते है। 

वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामेदव के घेराबंदी के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस के 3 एडिशनल SP, 6 सिटी SP, दर्जन भर इंस्पेक्टर समेत सैकड़ो पुलिस कर्मियों की तैनाती देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। पुलिस और बघेल सरकार की ज्यादतियों के खिलाफ पीड़ित पत्रकारों ने अदालत का दरवाजा भी खट खटाया है। बिलासपुर हाईकोर्ट में 9 जनवरी 2023 को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। पीड़ित पत्रकार की अदालत में दायर इस याचिका की वापसी के लिए अब छत्तीसगढ़ पुलिस और CM बघेल नए सिरे से दबाव बना रहे है।

दरअसल राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों पत्रकारों की घेराबंदी से ही इंकार किया था। वही दूसरी ओर घटना के वीडियो फुटेज बतौर सबूत कोर्ट में जमा कराने के बाद DGP, IG, SSP, कलेक्टर और राज्य के ग्रह सचिव को दो हप्तो के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए गए है | यह मामला राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर से लेकर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली तक अपनी दलीलों और कानूनी कौशल से लोगो का ध्यान खींचने वाले युवा अधिवक्ता सुमीत सिंह ने सुनील नामदेव के मामले अपने हाथो में लिया है। उन्होंने मुफ्त में, बगैर किसी फीस के गैरकानूनी ढंग से प्रताड़ित करने के मामले की जोरदार पैरवी की है। यह गौरतलब है कि न्याय पालिका के समक्ष कई पीड़ितों की मुफ्त पैरवी कर सुमीत सिंह खासे चर्चित है। उनकी दलीलों के कारण ही गैरकानूनी घेराबंदी-नजरबंदी का मामला सुर्ख़ियों में है। हाईकोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियो को नोटिस जारी किया है। जबकि चर्चित एडवोकेट सुदीप जौहरी और AK सेन ने ट्रायल कोर्ट रायपुर में पीड़ित पत्रकार सुनील नामदेव की पैरवी कर फर्जीवाड़े के कई महत्वपूर्ण तथ्यों को अदालत के संज्ञान में लाया है।

भ्रष्टाचार के इन मामलों का भी खुलासा कर चुके है सुनील नामदेव 
वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव ने सबसे पहले वर्ष 2015 – 2016 में छत्तीसगढ़ के 36 हजार करोड़ के नान घोटाले को उजागर किया था। इसके बाद राज्य के EOW ACB ने व्यापक छापेमारी कर नागरिक आपूर्ति निगम के दर्जनों कर्मियों और IAS अधिकारी अनिल टुटेजा एवं IAS आलोक शुक्ला के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था। पत्रकार सुनील नामदेव ने वर्ष 2019 – 20 में भारत सरकार की महती योजना ”जल जीवन मिशन” के ठेको में करोडो के घोटाले उजागर किये थे। PHE विभाग में भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों की कार्यप्रणाली के खुलासे के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर 10 हजार करोड़ से ज्यादा के टेंडर – निविदा रद्द की थी। हालांकि काले कारनामो में लिप्त अधिकारियो के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। 

  
इसी वर्ष छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड में व्यापक भ्रष्टाचारों को लेकर उनकी रिपोर्टिंग से विभागीय मंत्री, आवास और पर्यावरण मोहम्मद अकबर के अरमानो पर पानी फिर गया था। दरअसल मंत्री जी की व्यक्तिगत रूचि पर रायपुर की प्राइम लोकेशन शांति नगर इलाके को खाली कराये जाने की मुहीम शुरू की गई थी। इस इलाके में सिचाई विभाग समेत कई और अन्य सरकारी विभागों के अफसर और कर्मी निवासरत थे। उनके मकान खाली कराये जाने लगे।

एक अपारदर्शी नीति PPP मॉडल के तहत करीब 15 सौ करोड़ की सरकारी जमीन को मंत्री अकबर के करीबियों को मात्र 168 करोड़ में बेचने का फैसले को अंतिम रूप दिया गया। इस  घोटाले को उजागर कर सुनील नामदेव ने सरकार की 37. 02 एकड़ जमीन को भू माफियाओं के कब्जे में जाने से बचाया। इस मामले में भी सरकार ने किसी अधिकारी और मंत्री अकबर के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। जबकि मंत्री अकबर और उसके कुनबे की अनुपातहीन सम्पति का मामला केंद्रीय एजेंसियों के सामने अब आया है। 

कांकेर की आरी डोंगरी आयरन ओर खदान को कौड़ियों के दाम RG नामक चुनावी फंड जुटाने वाले शख्स को आवंटित किये जाने के घोटाले को सुनील नामदेव ने ही सुर्खियों में लाया। उन्होंने इसके एक तरफ़ा टेंडर की असलियत जाहिर की। ऑनलाइन सिस्टम को कोरोना काल में ऑफलाइन कर सरकार ने अपने करीबी RG को यह खदान सौप कर उपकृत तो किया। लेकिन इससे केंद्र और राज्य सरकार की तिजोरी पर 1 हजार करोड़ से ज्यादा का चूना लगा।   

   

इन संस्थानों में कार्य कर चुके है, पत्रकार सुनील नामदेव 
पत्रकार सुनील नामदेव और पत्रकारिता का चोली दामन का साथ है। उन्होंने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत संयुक्त मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से शुरू की थी। राज्य के नक्सल प्रभावित इस जिले में उनकी धार -धार रिपोर्टिंग से शासन – प्रशासन वाकिफ रहा। देश में पहली बार नक्सलियों के खिलाफ जन – जागरण अभियान और पदयात्रा की शुरुआत बालाघाट रेंज के तत्कालीन IG PL पांडे ने  की थी। इस दौरान नक्सलियों और पुलिस के कार्यप्रणाली को लेकर सुनील नामदेव की रिपोर्टिंग देश – प्रदेश में चर्चा में रही। वो लम्बे समय तक इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े रहे।

 पत्रकार सुनील नामदेव ने इंडियन एक्सप्रेस नागपुर संस्करण, आकाशवाणी बालाघाट में कम्पीयर, जबलपुर से प्रकाशित हिंदी अखबार ” खबरसत्ता” के प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया। देश के नामचीन पत्रकार राजेश बादल ने सुनील नामदेव की प्रतिभा को निखारा। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद वर्ष 2001 में BAG फिन्स दिल्ली के बैनर तले DD न्यूज़ पर प्रसारित ”रोजाना” के लिए राजधानी रायपुर में पदस्थ रहकर सुनील नामदेव ने छत्तीसगढ़ की खबरों को देश – दुनिया तक पहुंचाया। उन्होंने DD न्यूज़ के लिए भी लम्बे समय तक खबरे की। उन्हें नामचीन पत्रकार अजीत अंजुम ने कई महत्वपूर्ण मौके पर रिपोर्टिंग की जवाबदारी देकर पत्रकारिता के नए आयाम सिखाए। 

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वर्ष 2003 में वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव आज तक न्यूज़ चैनल से जुड़े। उन्होंने पहले भोपाल फिर रायपुर में पदस्थ रहकर धुआंधार पत्रकारिता की। आज तक के महत्वपूर्ण कार्यक्रम 10 तक में नामचीन पत्रकार पूर्ण प्रसून वाजपेयी जब छत्तीसगढ़ की खबरों को लेकर सवाल खड़ा करते थे तब पत्रकार सुनील नामदेव की प्रत्येक रिपोर्टिंग देश भर में चर्चा में रहती। वर्ष 2018 में इंडिया टुडे ग्रुप को अलविदा कहकर सुनील नामदेव ने सोशल मीडिया का रुख किया।

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फिलहाल वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच ”36 का आकंड़ा” है। सरकार उनसे कलम छीनकर उनके हाथ बांधना चाहती है, उनकी बोलती बंद करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नए -नए पैतरे फेंक रहे है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के आवास को बघेल सरकार ने गैरक़ानूनी रूप से बुलडोजर चला कर नष्ट कर दिया। बावजूद इसके विपरीत परिस्थियों का सामना करते हुए वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव करप्ट सरकारी सिस्टम से दो – दो हाथ कर रहे है।     

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