रायपुर / रायपुर में ईडी-आयकर विभाग की कार्रवाई में बरामद संपत्तियों और अन्य बहुमूल्य सामग्रियों की अभी तक अधिकृत तौर पर कोई जानकारी सामने नहीं आई है , लेकिन न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ को छापे में विवेक ढांड के ठिकानों से जब्त संपत्तियों के दस्तावेजों की कुछ प्रतिलिपियां प्राप्त हुई है | यह कुछ दस्तावेज खरबों की संपत्तियों से जुड़े है | यह स्पष्ट है कि यह संपत्ति अचल संपत्ति के ब्योरे में शामिल की गई है | हालांकि चल-अचल संपत्ति का अधिकृत ब्योरे का खुलासा अभी नहीं हुआ है |
बताया जा रहा है कि विवेक ढांड ने पूरी ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा के साथ खरबों की चल-अचल संपत्ति बनाई थी | उन्होंने बड़े पैमाने पर अर्जित की गई इस संपत्ति का कितना ब्यौरा छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के DOPT को सौंपा था इसकी पड़ताल की जा रही है | सूत्र बता रहे है कि इसके लिए आयकर और ईडी ने अब CBDT अर्थात सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टेक्स की टीम को रायपुर बुलाया है |
बताया जाता है कि विवेक ढांड ने अपनी नौकरी के दौरान पूरी ईमानदारी के साथ तमाम संपत्ति अपने पिता सतपाल ढांड के नाम से खरीदी थी | ये और बात है कि रायपुर के सिविल लाइन इलाके में इनके परिजनों को भूमि का कुछ हिस्सा संयुक्त मध्यप्रदेश के दौर में तत्कालीन जिला कलेक्टर रायपुर के जरिये लीज पर दिया गया था | ताकि सतपाल ढांड के परिवार को कम से कम एक छत तो नसीब हो सके | आमतौर पर सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के तहत जरूरतमंदों को कलेक्टर के जरिये लीज पर जमीन मुहैया कराई जाती है , ताकि वे उस पर अपना घर बना सके |
विवेक ढांड ने ईमानदारी का परिचय देते हुए जो अचल संपत्ति रायपुर के विभिन्न इलाकों में अपने पिता और पत्नी के नाम पर खरीदी है , उसका ब्यौरा इन दस्तावेजों में दर्शाया गया है | बताया जाता है कि सिर्फ विवेक ढांड ने अपने पिता ही नहीं बल्कि अपने अनेक परिजनों और विश्वासपात्रों के नाम पर बेशकीमती जमीने खरीदी थी | दस्तावेज बताते है कि ये जमीने रायपुर के लगभग चारों ओर स्थित है | फ़िलहाल जो दस्तावेज न्यूज टुडे छतीसगढ़ को हाथ लगे है , उसका अवलोकन आप भी करे |
विवेक ढांड की यह संपत्ति रायपुर के मोवा , धरमपुरा , बोरियाकला ,कचना , नई राजधानी में स्थित है | दस्तावेजों के अवलोकन से साफ हो रहा है कि भूमि स्वामी सतपाल ढांड का निवास स्थान कभी कचना तो कभी सिविल लाइन तो कभी धरमपुरा में दर्शाया गया है |
इन दस्तावेजों के अवलोकन करने से आप जमीनों के खसरों के कॉलम में दर्ज इबारत को देखकर चौक जायेंगे | ऐसे दस खसरों का विवरण है , जो राजस्व रिकार्ड में मौके पर ही नहीं है | उनके कॉलम में “PLOT DOES NOT EXIST” टिप्पणी लिखी है | पड़ताल में यह भी पता पड़ा है कि ऐसी जमीनों पर विवेक ढांड ने विभिन्न बैंकों से लाखों का लोन लिया था | आखिर इसका मकसद क्या था , इसकी विवेचना हो रही है |
इस तथ्य की भी पड़ताल हो रही है कि रायपुर के धरमपुरा इलाके में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड ने जो जमीन आवंटित की थी , आखिर उसे किस भूमि स्वामी से खरीदा गया था | जानकारी के मुताबिक विवेक ढांड की धरमपुरा में सैकड़ों हेक्टयर जमीन है | इसी जमीन के इर्द-गिर्द ही अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों को तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में जमीने आवंटित की गई थी | ताकि वे अपना मकान बना सके |
बताया जाता है कि इस इलाके में बड़ी तादाद में आईएएस , आईएफएस और आईपीएस अधिकारियों के अलावा कई अन्य प्रथम श्रेणी के अफसरों ने अपना ठिकाना बनाया है | जानकारी के मुताबिक हाऊसिंग बोर्ड ने जब यह जमीन अधिग्रहित की थी उस दौरान बोर्ड के कमिश्नर की कुर्सी पर ढांड के खासम खास संजय शुक्ला आईएफएस पदासीन थे | कहा जा रहा है कि अभी तो यह दस्तावेज ट्रेलर मात्र है | ईमानदारी से कमाई गई सम्पत्ति की फिल्म आना बाकि है |