रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार के कामकाज से जुड़े मामलो की चर्चा,सोशल मीडिया में हो तो कोई नई बात नहीं है, लेकिन सरकार के कामकाज से जुड़े आदेश सोशल मीडिया में जारी होने लगे तो हैरानी होती है। राज्य में कुछ महीनो से कई विभागों के आदेश सोशल मीडिया में नजर आते है। जाहिर है सरकारी सील-मुहर वाले यह पत्र और आदेश फर्जी भी हो सकते है,यह सरकार की छवि खराब करने की कोशिश भी हो सकती है।लिहाजा ऐसे आदेशो से सतर्क रहें।
ताजा मामला उस आदेश का है,जो कुछ दिनों से सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा था। लेकिन अब उसके फर्जी होने की FIR दर्ज कराई गई है। लम्बे समय बाद भी इस आदेश की आधिकारिक पुष्टि के लिए जनसम्पर्क विभाग समेत मुख्यमंत्री कार्यालय ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे। अब खबर आ रही है कि यह आदेश फर्जी है।
छत्तीसगढ़ शासन एवं गृह विभाग से जुड़े फर्जी नियुक्ति पत्र जारी होने की घटनाए आम है,लेकिन अब सरकार अथवा किसी व्यक्ति विशेष से फर्जी आदेश भी सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे है, इससे जुड़ा यह आदेश हाल ही में चर्चा का विषय बना हुआ था। लेकिन FIR बताती है कि वायरल आदेश फर्जी है। इसके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया का निलंबन आदेश भी आम जनता तक पहुंचा था। इसकी भी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है।
बताते है कि किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा अवर सचिव के नाम व पदनाम का उल्लेख कर फर्जी दस्तावेज कूटरचित कर सोशल मीडिया मे वायरल किया था। मामले को शासन एवं गृह विभाग की छवि धूमिल करने का प्रयास के दायरे में पाया गया है। प्राप्त शिकायत के आधार पर राखी थाना में अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 419, 469 भादवि का दण्डनीय अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।
छत्तीसगढ़ में शासन की गतिविधियों के संबंध में तमाम सरकारी आदेश जारी होते ही प्रभावित व्यक्तियों के बजाए सीधे सोशल मीडिया और प्रेस-मीडिया कर्मियों के हाथो में पहुँचते है, फिर शुरू हुई ब्रेकिंग न्यूज़ की जंग में जनता के मोबाइल में डिजिटल कचरा इकट्ठा हो जाता है,सरकारी संदेशवाहक सरकारी पटल के बजाए अपने मुखपत्रों में उसका बखान करते नजर आते है।
प्रेस-मीडिया कर्मियों की धमाचौकड़ी से सोशल मीडिया में बिखेरा जा रहा कचरे की आधिकारिक पुष्टि अर्थात सफाई समय पर किए जाने के लिए शासन द्वारा जनसम्पर्क विभाग में लम्बी चौड़ी टीम तैनात की गई है। बावजूद इसके सरकारी पटलों के बजाय शासन के अधिकृत-अनाधिकृत आदेशो का सोशल मीडिया में जारी होने का मामला सुर्ख़ियों में है।
छत्तीसगढ़ में अचानक उग आई प्रेस-मीडिया कर्मियों की बाढ़ को समझना होगा कि,ट्रांसफर,नियुक्ति और आदेश प्रशासनिक प्रक्रिया की सरकारी व्यस्था है। यह रोजाना जारी रहते है ताकि सरकारी कामकाज कानून की पटरी पर रहे। कई वरिष्ठ पत्रकार मानते है कि ट्रांसफर, नियुक्ति आदेश पर तवज्जो देने के बजाए उनके भीतर की ख़बरों से जनता को अवगत कराएं तो उनकी पत्रकारिता बेहतर राह की ओर अग्रसर होगी। सरकार को भी चाहिए कि अधिकृत पटल पर शासकीय गतिविधियों की सूचना जाहिर की जाए, ताकि सोशल मीडिया में फ़ैल रहे कचरे को दूर किया जा सके।