दिल्ली / रायपुर : छत्तीसगढ़ पुलिस और उसके आलाधिकारियों की कार्यप्रणाली देश भर में चर्चित हो रही है। ताजा मामला दिल्ली से सटे नोएडा का है। नोएडा के सूरजपुर थाने में अज्ञात वाहन में सवार लोगो के खिलाफ अपहरण की धारा 365 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। बताते है कि स्थानीय थाने में सूचना दिए बगैर छत्तीसगढ़ पुलिस के एक दस्ते ने यहाँ से 9 लोगो को पकड़कर दुर्ग लाया था। बताते है कि ग्रेटर नोएडा के एल्सटोनिया सोसायटी में निवासरत इन लोगो को दुर्ग पुलिस के जवानो ने अपने कब्जे में लिया था।
अपार्टमेंट के मैनेजर विनोद कुमार कसाना ने यूपी पुलिस को बताया था कि खुद को छत्तीसगढ़ पुलिस स्टाफ बताकर, 2 वाहनों में सवार कई पुलिसकर्मी यहां पहुंचे थे। छत्तीसगढ़ पुलिस के इस कदम की एक बार फिर आलोचना हो रही है। बताते है कि मामले की तूल पकड़ते ही छत्तीसगढ़ पुलिस ने चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर आरोपियों की कागजी गिरफ़्तारी दिखा कर फौरन रिहा भी कर दिया।
उधर चर्चा है कि, नोएडा में अपहरण का मामला दर्ज होते ही मुसीबत से बचने के लिए अफसरों ने एक नए अपराध को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है कि तमाम आरोपियों को हजारो किलोमीटर दूर से लाकर बेहद सस्ते में छोड़ दिया है। बताते है कि उनके खिलाफ आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज करने के बजाए मामुली जुआ एक्ट में प्रकरण दर्ज किया गया। दिलचस्प बात यह है कि आरोपियों को बगैर पूछताछ फौरन थाने से ही मुचलके पर छोड़ दिया गया। जनचर्चा है कि आरोपियों से मोटी रकम की वसूली हुई है। इसके एवज में आरोपी सस्ते में छूट गए। गौरतलब है कि महादेव एप्प के खिलाफ ED ने भी मामला दर्ज किया है। सूत्र बताते है कि CBI की भी इस कारोबार पर पैनी निगाहे है।
महादेव एप्प की जांच को लेकर दुर्ग पुलिस रेंज के कई अधिकारी सुर्ख़ियों में है। इस एप्प के जरिए सैकड़ो गरीबों के बैंक खातों में रोजाना लाखो की आवक होती और देखते ही देखते यह रकम अज्ञात खातों में ट्रांसफर भी हो जाती थी। मामले की विवेचना को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस विवादो के घेरे में है। इसके पूर्व दुर्ग पुलिस का एक दस्ता भोपाल पहुंचा था। यहां भी स्थानीय थाने में सूचना दिए बगैर छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीधे वरिष्ठ पत्रकार विजया पाठक के आवास में धावा बोला था। हालाँकि यहाँ भी छत्तीसगढ़ पुलिस को मुँह की खानी पड़ी थी। बताया जाता है कि विजया पाठक ने महादेव एप्प सट्टा कारोबार में शामिल कई लोगो के चेहरे को बेनकाब किया था।
बताया जाता है कि मामले को लेकर मुख्यमंत्री बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा ने पुलिस के दस्ते को भोपाल रवाना किया था। यहां पुलिसकर्मियों ने विजया पाठक से पूछताछ करने की मंशा जाहिर की थी। लेकिन इसके लिए ना तो वरिष्ठ पत्रकार को पुलिस ने ना तो कोई नोटिस जारी किया था,और ना ही इसके लिए विधिसंगत प्रक्रिया अपनाई थी।
नतीजतन बिलासपुर हाईकोर्ट से विनोद वर्मा समेत पुलिस के कई अधिकारियों को नोटिस भी जारी किया गया है। बताते है कि विजया पाठक ने छत्तीसगढ़ पुलिस पर महादेव एप्प मामले को अदालत में चुनौती दी थी। इसके बाद कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस के अलावा ईडी और सीबीआई को भी नोटिस जारी किया है। विजया पाठक का आरोप है कि नेताओ के सरंक्षण में महादेव एप्प सट्टा कारोबार के सबूत तेजी से नष्ट किए जा रहे है।
बताते है कि पूर्व में कालीचरण महाराज की गिरफ़्तारी भी छत्तीसगढ़ पुलिस ने स्थानीय थाने को जानकारी दिए बगैर ही मध्यप्रदेश के छतरपुर की एक होटल में दबिश दी थी। इस दौरान भी बवाल हुआ था। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दोनों राज्यों मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के DGP के समक्ष मामले को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। एक अन्य मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने एक चैनल के एंकर की गिरफ़्तारी के लिए दिल्ली में जमकर बवाल काटा था। इस दौरान भी छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली की आलोचना हुई थी। बताते है कि बार-बार छत्तीसगढ़ पुलिस के गैर क़ानूनी कदम कई राज्यों में चर्चित हो रहे है। इसके बावजूद भी छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा आरोपी अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कदम न उठाना चर्चा में है।
बताया जा रहा है कि ग्रेटर नोएडा के एल्सटोनिया सोसायटी में निवासरत आरोपी महादेव एप्प सट्टा का पैनल चला रहे थे। यह भी बताया जा रहा है कि आरोपियों के रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर के करीबी संबंध है। ये दोनों महादेव एप्प सट्टा कारोबार के किंग बताए जाते है। बताया जा रहा है कि इन दोनों आरोपियों को राज्य के कई नेताओ का सरंक्षण प्राप्त है। बताते है कि कथित सरंक्षण के चलते छत्तीसगढ़ पुलिस के कई अफसर महादेव एप्प सट्टा कारोबार की जांच को प्रभावित कर रहे है। उनकी कार्यप्रणाली से सबूतों को नष्ट करने का काम जोरो पर है।
बताते है कि कई अफसर दोनों आरोपियों और महादेव एप्प सट्टा कारोबार के लिए ढाल का काम कर रहे है। इसके चलते सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ विगत 6 माह से LOC अर्थात लुक आउट कॉर्नर नोटिस जारी करने का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यही नहीं छत्तीसगढ़ पुलिस ने गरीबों के खातों में करोडो की रकम के जमा होने और फिर उसकी निकासी के मामलों की विधिसंगत पड़ताल को भी दरकिनार कर दिया है। ऐसे में पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान लग रहा है। फ़िलहाल नोएडा से गिरफ्तार आरोपियों की हाथो हाथ रिहाई का मामला काफी सुर्खियां बटोर रहा है।