कुमार मनीष की विशेष रिपोर्ट-दिल्ली / रायपुर : छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन घोटाले की जाँच शुरू हो गई है,4 वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में केंद्रीय गृह मंत्रालय हरकत में आ गया है। सूत्रों दवारा बताया जा रहा है कि 4 सदस्यीय जाँच दल गठित किया गया है। राज्य में गरीबों आदिवासियों किसानो और बेरोजगारों के कल्याण में खर्च होने वाली सरकारी रकम की बंदरबांट के मामले को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है। सूत्र बता रहे है कि एक राजनैतिक पार्टी के नेताओ की ऐश के प्रकरणों की पृथक जांच भी शुरू कर दी गई है। केंद्रीय एजेंसियों ने ED से कई रिपोर्ट साझा भी की है। घोटाले की रकम से MLA को 4 करोड़,EX MLA 6 करोड़, सौम्या चौरसिया 36 करोड़ और वरिष्ठ नेताओ को 52 करोड़ दिए जाने का लेखा-जोखा सामने आया है। इसमें ED ने 277 करोड़ का हिसाब-किताब अदालत के समक्ष पेश किया था।
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की बानगी से भारत सरकार हैरत में बताई जाती है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय अब हरकत में आ गया है। एक ओर सत्ताधारी दल के नेता गरीबो,आदिवासियों,किसानो,बेरोजगारो,कर्मचारियों,कारोबारियों और आमजनता के कलयाण का दावा करते है। आमसभाएँ हो या फिर चुनावी रैलियां,जनता के कल्याण और विकास का दम्भ भर कर नेताओ के कई दावें देंखे और सुने जाते है। लेकिन छत्तीसगढ़ में कई नेताओ की असलियत सामने आ रही है। उनकी कथनी और करनी में अंतर भी देखने मिल रहा है।
घोटाले की चार्जशीट में कई ऐसे अपराधों की बानगी देखने मिल रही है,जिनकी जांच ED के अलावा कई और एजेंसियों के लिए भी जांच के प्रकरण बन गए है। सूत्रों का दावा है कि इन मामलों को लेकर अब कुछ एजेंसियां भी सक्रिय हो गई है।राज्य में ED ने कोल खनन परिवहन घोटाले की जो चार्जशीट पेश की है,उसमे जनता की “सेवा का मेवा” किस तरह से खाया जा रहा था,उसका ब्यौरा भी मय सबूतो के साथ पेश किया गया है। इसमें 277 करोड़ का लेखा-जोखा ED ने पेश किया है। उसने कोर्ट को बताया है कि घोटाले की यह रकम सरकारी तिजोरी में आती,इससे एक बड़े वर्ग के कल्याण के लिए यह रकम सरकार द्वारा खर्च की जा सकती थी। लेकिन सत्ता के कर्णधारों ने इसे अपनी जेब में डाल लिया।
छत्तीसगढ़ की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया के खिलाफ चार्जशीट में कई सबूतों को पेश कर ED ने राज्य के कोल परिवहन खनन घोटाले की असलियत और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली से अदालत को अवगत कराया है। इसमें 277 करोड़ की बंदरबाँट के हिसाब-किताब को भी पेश किया गया है। इसमें,विधायकों को 4 करोड़ और पूर्व विधायकों को 6 करोड़ दिए जाने का उल्लेख है। इसमें वरिष्ठ नेताओ के अलावा एक राजनैतिक पार्टी को 52 करोड़ दिए जाने को भी अलग से दर्ज किया गया है।
अदालत के समक्ष पेश की गई चार्जशीट में घोटाले की सर्वाधिक 170 करोड़ की रकम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की करीबी उपसचिव सौम्या चौरसिया और कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी की तिजोरी में चलायमान बताई गई है। इस रकम के जरिए देश-प्रदेश में बेनामी और चल-अचल सम्पति खरीदी गई थी। यही नहीं 5 करोड़ झारखण्ड और 4 करोड़ बैंगलौर भेजे गए थे। बताया जाता है कि झारखंड के रांची और बैंगलोर में भी सौम्या चौरसिया गिरोह ने जमकर निवेश किया है। सौम्या चौरसिया का भाई अनुराग चौरसिया समेत गिरोह के कई सदस्यों ने किस तरह से जनता की तिजोरी पर डाका डाला था,इसका हवाला चार्जशीट में दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में लगभग दर्जन भर आरोपी जेल की हवा खा रहे है। इसमें प्रमुख नाम-मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया,आईएएस समीर विश्नोई और कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी का नाम शामिल है। जबकि आरोपी सूर्यकांत की मां श्रीमती कैलाश तिवारी,भाई रजनीकांत तिवारी एवं अनुराग चौरसिया के खिलाफ पेश चालान में तीनो की गिरफ़्तारी नहीं दर्शाई गई है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि ED की जांच जारी है,लिहाजा मामले में आने वाले दिनों तेजी के आसार है।