डॉक्टरों का जज्बा,मोबाइल टॉर्च की रोशनी में किया घायल युवक का इलाज,लेकिन तोडा दम ,अस्पताल में नहीं थी बिजली, सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं आज भी लचर

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छत्तीसगढ़:छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ के सरकारी अस्पताल में डाक्टरों को मोबाइल टॉर्च की रौशनी से एक मरीज़ का इलाज करना पड़ा | दरअसल अस्पताल में बिजली नहीं थी और जनरेटर भी ख़राब था | प्रदेश के कोयला उत्पादक इस इलाके में अक्सर बिजली गुल रहती है ,वही इलाके के विधायक पहले पेशे से डॉक्टर रहे है | गौरतलब है कि जिस ज़िले के कोयले से प्रदेश और देश में उजाला होता है. जिस इलाके के विधायक खुद एक डॉक्टर हों… वहां के अस्पताल में अगर मोबाइल की रोशनी में मरीज़ का इलाज करना पड़े, तो इससे ज़्यादा दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है| मनेन्द्रगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जहां विधायक की मौजूदगी में डॉक्टरों को मोबाइल की रोशनी में घायल युवक का इलाज करना पड़ा.

बताया जाता है कि जिले के नदी पार इलाके का रहने वाला 22 वर्षीय युवक वसीम मनेंद्रगढ़-अम्बिकापुर रोड पर दुर्घटना का शिकार हो गया | उसकी बाइक नदीपार इलाके में डिवाइडर से टकराकर गई, जिससे वह ट्रक की चपेट में आ गया. गंभीर रूप से घायल वसीम को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़ लाया गया, लेकिन यहां अस्पताल के हालात इतने खराब थे कि कि मरीज का प्राथमिक इलाज भी बिजली गुल होने से संभव नहीं हो पा रहा था | लेकिन डाक्टरों ने हिम्मत दिखाई और मोबाइल टॉर्च की रोशनी से उसका इलाज़ किया | प्राथमिक उपचार के बाद युवक को रायपुर रेफर किया गया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

जानकारी के मुताबिक वसीम को इलाज के लिये जिस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था वहां जेनरेटर तो है लेकिन खराब होने की वजह से वह चालू नहीं हो सका| खास बात ये है कि इलाज के दौरान अस्पताल में क्षेत्रीय विधायक डॉ. विनय जायसवाल भी मौजूद थे.  टॉर्च की रोशनी में इलाज होते देख उन्होंने डाक्टरों की तारीफ़ की | लेकिन कांग्रेस राज में भी सरकारी स्वस्थ्य सेवाओं की लचर हालत के सवाल पर वे बचते नज़र आए |

फाइल फोटो 

गौरतलब है कि, मनेंद्रगढ़ जिला में कोयले का भारी मात्रा में उत्पादन होता है| इस कोयले से प्रदेश सहित पूरा देश रौशन होता है , उसी जिले के अस्पताल में लाइट नहीं होने से आम नागरिक त्रस्त है| इस घटना को लेकर बीएमओ डॉ. सुरेश तिवारी ने बताया कि, अस्पताल में जो जनरेटर है, वह खराब है. यह कब सही होगा इसका कोई पता नहीं. उन्होंने आगे कहा कि कभी-कभी लाइट चले जाने पर हम लोगों को ऐसे ही टॉर्च की रोशनी में इलाज करना पड़ता है.