रायपुर / दिल्ली:छत्तीसगढ़ में कोल परिवहन घोटाले की पड़ताल अब तेजी से परिवहन विभाग की राह में है। इसकी बागडोर अभी तक कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी के हाथो में थी। लेकिन उसके जेल जाने के बाद अवैध वसूली की जिम्मेदारी संभाल रहे अन्य लोगो को भी जाँच एजेंसियों ने अपनी रडार में लिया है। सूत्रों के मुताबिक एजेंसियों ने कोरबा,रायगढ़,बिलासपुर और अंबिकापुर में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे कारोबारियों के बयान दर्ज किए है जो सूर्यकांत तिवारी और हेमंत जायसवाल के ठिकानो में “गब्बर सिंह टैक्स”की रकम पहुंचाया करते थे।
सूत्र बताते है की कुछ कारोबारियों ने अवैध वसूली के लिए दबाव बनाने वाले कुछ अफसरों की ऑडियो क्लिप भी जाँच एजेंसियों को सौंपी है। जानकारी के मुताबिक “गब्बर सिंह टैक्स” की वसूली के लिए माइनिंग और परिवहन विभाग के अफसर कारोबारियों पर दबाव बनाने के लिए एक साथ दबाव डाला करते थे। उनकी सहायता के लिए जिला पुलिस बल के कुछ अफसर भी इस कार्य में उनकी सहायता किया करते थे।
सूत्रों के मुताबिक ट्रांसपोर्ट कारोबारियों से 25 रूपए टन “गब्बर सिंह टैक्स” की वसूली के लिए परिवहन विभाग के आलाधिकारियो की भूमिका की भी पड़ताल शुरू कर दी है। संदेही अफसरों की अनुपातहीन संपत्ति का ब्योरा तैयार किया जा रहा है। सूत्र बताते है कि कोल परिवहन के अलावा भी अन्य विभागीय स्त्रोतों के जरिए प्रतिमाह परिवहन विभाग से करोडो की ब्लैक मनी इकट्ठा की जा रही थी। एजेंसियों ने माइनिंग अफसरों और कई कारोबारियों से पूछताछ के बाद अवैध वसूली के स्त्रोतों पर रोक लगाने संबंधी सरकारी प्रयासों का अवलोकन भी किया है।
जानकारी के मुताबिक परिवहन विभाग से प्रतिमाह इकट्ठा होने वाली अवैध रकम का आंकड़ा देखकर एजेंसिया भी हैरत में है। सूत्रों के मुताबिक,एजेंसियों को परिवहन विभाग से जुड़े कुछ ईमानदार अफसरों ने कई ऐसे दस्तावेज बतौर सबूत उपलब्ध कराए है ,जिसमे नीचे से लेकर ऊपर तक पहुँचने वाली रकम का ब्योरा है। बताया जाता है कि कई अफसरों की आमदनी में कोल परिवहन के साथ-साथ विभागीय भ्रष्टाचार भी शामिल है।
सूत्र बताते है कि एजेंसियों ने परिवहन विभाग के एकाउंटेंट संतोष अग्रवाल के परिजनों और परिचितों का भी रुख किया है। बताया जाता है कि विभागीय भ्रष्टाचार को लेकर संतोष अग्रवाल काफी प्रताड़ित रहे। आलाधिकारियों की प्रताड़ना से आहत होकर वे काफी तनाव में थे। कुछ माह पूर्व ब्रेन हेमरेज से उनकी मौत हो गई। यह भी बताया जाता है की मृत्यु से पूर्व संतोष अग्रवाल ने केंद्रीय जाँच एजेंसियों को शिकायत कर परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार से अवगत कराया था।
इसमें उन्होंने सिपाही से परिवहन सब इंसपेक्टर के पद पर पदोन्नति के लिए प्रत्येक अभ्यर्थी से 70 लाख रूपए वसूले जाने की शिकायत प्रामाणिक तथ्यों के साथ की थी। एक अन्य शिकायत में उन्होंने सिसोदिया और शोएब नामक दो वसूलीबाजो की काले कारनामो का खुलासा भी किया था।
बताया जाता है कि कोल परिवहन घोटाले की पड़ताल भी जोरो पर है। माइनिंग अधिकारियो की पूछताछ के साथ ही एजेंसियों ने परिवहन विभाग के काले कारनामो को खंगालना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते है कि सूर्यकांत तिवारी की डायरी के कुछ पन्ने परिवहन विभाग और उसके अफसरों की असल कार्यप्रणाली को उजागर कर रही है।