रायपुर : छत्तीसगढ़ में जंगलराज स्थापित होने के विपक्ष के आरोप सच साबित हो रहे है। ताजा मामला राज्य के गृह विभाग का है। राज्य के गृह विभाग में हाल ही में 18 जनवरी 2023 को 35 DSP का ट्रांसफर किया था। इनमे से लगभग सभी अधिकारीयों ने अपनी नई पोस्टिंग में आमद दे दी थी। नई तैनाती के 19 दिन बाद अर्थात 8 फरवरी को गृह विभाग ने 35 में से 13 DSP का पुनः नए इलाकों में ट्रांसफर कर दिया। बताया जाता है कि प्रभावित अधिकारीयों का दोबारा ट्रांसफर आदेश 8 फरवरी 2023 को जारी किया गया। बताते है कि हफ्तेभर में दूसरी बार ट्रांसफर आर्डर देखकर कई अधिकारी भड़क गए। इनमे से कुछ पीड़ित अधिकारीयों ने राहत पाने के लिए बिलासपुर हाई कोर्ट की शरण ली।
बताया जाता है कि पीड़ितों की याचिका दायर होते ही उनके संज्ञान में यह तथ्य सामने आया कि गृह मंत्रालय की ओर से ट्रांसफर आर्डर के लिए कैवियट भी दायर किया गया है। ताकि कोर्ट से किसी भी पीड़ित DSP को शासन का पक्ष सुने बगैर राहत ना मिल पाए। बताया जाता है कि पीड़ितों को उनके अधिवक्ताओं के द्वारा यह जानकारी मिली कि राज्य शासन की ओर से कैवियट कुछ दिनों पूर्व स्थानांतरण आदेश जारी होते ही दायर किया गया है। पीड़ित अधिकारी हैरत में है, उन्हें अब जल्द राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा पुलिस विभाग में चंद दिनों के भीतर DSP के दोहरे ट्रांफसर के मामले ने जब तूल पकड़ा तो कई बड़े वरिष्ठ अधिकारीयों के पैरों तले जमीन खिसक गई। सूत्र बताते है कि जाँच पड़ताल के दौरान पता पड़ा कि DSP के ट्रांसफर आर्डर जारी करने के पूर्व नियमानुसार प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। बताते है कि अधिकारीयों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नोट सीट पर DSP के ट्रांसफर का अनुमोदन ही नहीं करवाया। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि नोट शीट पर बगैर मुख्यमंत्री के अनुमोदन और हस्ताक्षर के गृह विभाग ने DSP का ट्रांसफर के आर्डर जारी कर दिए। इससे नया बवाल खड़ा हो गया है।
जानकारी के मुताबिक बगैर विधि संगत आर्डर जारी किये, राज्य शासन द्वारा हाई कोर्ट में कैवियट दायर करने का मामला भी चर्चा में है। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ शासन ने ट्रांसफर पर बैन जारी रखा है। मुख्यमंत्री सचिवालय में समन्वय विभाग की मंजूरी एवं पुलिस विभाग के ट्रांसफर बोर्ड के अनुमोदन के पश्चात ही DSP के स्थानांतरण आदेश जारी किये जाने थे। लेकिन अधिकारीयों ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि रायपुर सेंट्रल जेल में बंद राज्य की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया ने ही 35 DSP के स्थानांतरण के मामले को हरी झंडी दी थी। बताते है कि सौम्या से क्लीन चिट मिलते ही कुछ अधिकारीयों ने पूर्व की तरह मुख्यमंत्री से किनारा कर लिया था। इन अधिकारीयों ने असली मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से ट्रांसफर नोट शीट पर अनुमोदन प्राप्त करना भी उचित नहीं समझा।बताते है कि सौम्या के फरमान जारी करते ही अधिकारीयों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क तक नहीं किया था। फ़िलहाल न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने मामले पर प्रतिक्रिया लेने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय और जनसंपर्क विभाग से संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिउत्तर प्राप्त नहीं हो पाया।