दिल्ली: भारत और चीन के बीच तिब्बत को लेकर रस्साकशी कोई नई बात नहीं है। विदेश नीति के तहत भारत अपने पड़ोसी देशों का बखूबी ध्यान रखता है। अमेरिकी सांसदों, विदेश नीति के जानकारों और दलाई लामा के करीबियों के बीच मेल मुलाकात खूब सुर्खियां बटोर रही है। विदेश मामलों के जानकार तस्दीक करते है कि पीएम मोदी का अमेरिकी सांसदों से मिलना काफी अहम है। तिब्बत की निर्वासित सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री लोबसांग सांगे के बयानों से भले ही चीन को मिर्ची लग सकती है, लेकिन हकीकत बया होने से अमेरिकी सांसद भी गदगद है।
दिल्ली में एक प्रतिनिधिमंडल ने दलाई लामा से मिलने पर खुशी जताई है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करना राजनीतिक और सांकेतिक रूप से बेहद अहम बताया जा रहा है। इस मौके पर लोबसांग सांगे ने कहा कि भारत के तिब्बत के समर्थन में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ खड़े होने और उन्हें समर्थन देने के लिए भारत सरकार का बहुत आभारी हूं। सांगे ने कहा कि दुनिया में किसी भी देश ने तिब्बत का उतना समर्थन नहीं किया, जितना भारत ने किया है।
अमेरिका की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी समेत अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है। यह प्रतिनिधिमंडल भारत के दौरे पर है। उसने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा से भी मुलाकात की। सांगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करके यह संकेत दिए हैं कि हम भले ही तिब्बत के मुद्दे पर सीधे तौर पर समर्थन नहीं कर रहे, लेकिन हम आपकी बात सुन रहे हैं। तिब्बत की निर्वासित सरकार के पूर्व पीएम सांगे ने कहा कि अगर भारत तिब्बत की बात करेगा तो पूरी दुनिया सुनेगी।
भारत में सबसे ज्यादा तिब्बती रहते हैं। दलाई लामा ने हमेशा कहा है कि वह भारत के बेटे हैं।’ अमेरिकी सांसदों के दलाई लामा से मुलाकात पर पूर्व पीएम ने कहा हर कोई कहता है कि अमेरिका में बंटवारा है, लेकिन तिब्बत के मुद्दे पर वे एक हैं। सांगे ने तिब्बत को अलग देश बताते हुए कहा कि चीन ने बेवजह तिब्बत में दखल दिया और चीन, तिब्बत में गैर आमंत्रित मेहमान है। चीन को तिब्बत को स्वायतत्ता देनी चाहिए और अब कई लोग ये बातें कह रहे हैं।
अमेरिका की संसद ने हाल ही में एक प्रस्ताव पास किया है, जिसमें तिब्बत मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की बात कही गई है। यह विधेयक अमेरिका के विदेश विभाग को यह अधिकार देता है कि वह तिब्बत के मुद्दे पर चीन के भ्रामक प्रचार का जवाब दे सकेगा। इस विधेयक पर अब अमेरिकी राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने बाकी हैं। उससे पूर्व पीएम मोदी और दलाई लामा से अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने भारत आकर मुलाकात की है, उसने तिब्बत के मुद्दे पर अपना समर्थन दिया है।
बुधवार को अमेरिकी सांसदों और दलाई लामा से बातचीत के लिए पत्रकारों का हुजूम लगा रहा। एक प्रश्न के जवाब में कहा गया कि दलाई लामा जल्द अमेरिका दौरे पर जाएंगे। जब सांगे से पूछा गया कि क्या अमेरिका दौरे पर दलाई लामा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात करेंगे? इस पर सांगे ने कहा कि ‘दलाई लामा इलाज के उद्देश्य से अमेरिका जा रहे हैं। हालांकि दोनों नेताओं की मुलाकात प्रस्तावित नहीं है, लेकिन यदि राष्ट्रपति बाइडन, दलाई लामा से मिलते हैं तो यह बहुत अच्छा होगा।’ सांगे ने कहा कि ‘अगले साल दलाई लामा 90 साल के हो जाएंगे और अगर बाइडन रिजोल्व तिब्बत एक्ट पर हस्ताक्षर करते हैं तो यह उनके जन्मदिन पर सबसे अच्छा तोहफा होगा।’