लॉकडाउन को गैरकानूनी करार देने वाली याचिका पर अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब, लेकिन देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

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दिल्ली/अहमदाबाद वेब डेस्क / लॉकडाउन गैरक़ानूनी है , सरकार ने देश को बगैर किसी ठोस कानून के नजरबंद कर दिया था | इस तरह के तथ्यों को लेकर दायर हुई एक जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है | कोरोना वायरस के कारण लागू किए गए लॉकडाउन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली यह जनहित याचिका चर्चा का विषय बनी हुई है | इस याचिका को स्वीकार करने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है ।

याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के कारण लोगों को किसी कानून के समर्थन के बिना “नज़रबंद” किया गया है | इसे लागू करने से पहले समाज के कमजोर तबके को उसके हाल पर संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया गया | यही नहीं याचिका में यह भी कहा गया कि प्रवासी मजदूरों लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं किए गए है ।

न्यायमूर्ति आर एम छाया और न्यायमूर्ति आई जे वोरा की पीठ ने सरकारी वकील और सहायक सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिया कि वे केंद्र और राज्य सरकार से निर्देश लेकर 19 जून को इस मामले में रिपोर्ट दें। हालांकि अदालत ने इस याचिका को भी कोरोना वायरस और लॉकडाउन से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया है | हाईकोर्ट में सभी याचिका पर एक साथ सुनवाई की जा रही है।

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लॉकडाउन को गैर क़ानूनी करार देने वाली याचिका विश्वास भम्बुरकर ने अपने वकील के आर कोश्ती के जरिए दायर की है। इसमें उच्च न्यायालय से लॉकडाउन को असंवैधानिक और अवैध, मनमाना, अन्यायपूर्ण घोषित करने का अनुरोध किया है। याचिका में अदालत से ‘जनता कर्फ्यू’ और लॉकडाउन के संबंध में जारी अधिसूचना को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है | इसमें दलील दी गई है कि लॉकडाउन को तोड़ने के आरोप में देशभर में बड़ी संख्या में लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं | इसके चलते नागरिकों को काफी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा जबकि लॉकडाउन खुद भारत के संविधान का उल्लंघन करता है।

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उधर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसमे देश का नाम इंडिया से बदलकर भारत करने की मांग की गई थी | कोर्ट ने कहा कि इस याचिका की कॉपी को संबंधित मंत्रालय में भेजा जाए वहीं फैसला होगा। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह संविधान में बदलाव करे और इंडिया शब्द को बदलकर हिंदुस्तान या फिर भारत कर दे। याचिकाकर्ता ने कहा था कि हमारी राष्ट्रीयता के लिए भारत शब्द को संविधान में जोड़ना जरूरी है। याचिका में कहा गया था कि अनुच्छेद-1 में इंडिया का इस्तेमाल है। ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद इस इंग्लिश नाम को बदलकर भारत नाम दर्ज होना चाहिए। भारत की पहचान सुनिश्चित करने के लिए अनुच्छेद-1 में बदलाव होना चाहिए और भारत नाम वहां दर्ज होना चाहिए और इंडिया नाम हटाया जाना चाहिए |