छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित तीनों जिलों के सीमा को माओवादियों से मुक्त कराने की कवायद तेज, सुकमा ,दंतेवाड़ा कलेक्टर , बस्तर आईजी और एसपी ने लगाया चौपाल , जमीन पर बैठकर सुनी ग्रामीणों की समस्याएं

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रिपोर्टर – रफीक खांन

सुकमा – छत्तीसगढ़ बस्तर संभाग के दो प्रमुख जिले दंतेवाड़ा सुकमा जिला के कलेक्टर दीपक सोनी विनीत नंदनवार व बस्तर आईजी सुंदरराज पी. एसपी का अभिषेक पल्लव के.एल.ध्रुव का जगरगुंडा क्षेत्र बितें दिन शनिवार को दौरा रहा । इस दौरान सभी अधिकारियों ने मोटरसाइकिल से तकरीबन 50 किलोमीटर के आसपास की जर्जर सड़कों घने जंगलों के बीच से सुकमा जिला के घोर नक्सल प्रभावित नक्सलियों के नंबर 1 बटालियन नक्सली कॉरिडोर कहे जाने वाले राज्य के चर्चित एरिया जगरगुंडा का दौरा किया ।

जगरगुंडा क्षेत्र वासियों के लिए यह पहला अवसर था । जब दंतेवाड़ा सुकमा दोनों जिला के कलेक्टरों व पुलिस प्रशासन के बस्तर आईजी सहित जिले के दोनों एसपी व सीआरपीएफ अधिकारियों जनप्रतिनिधि ग्रामीणों से सीधे सीधे रूबरू हुए। ग्रामीणों की समस्याओं को इन आला अधिकारियों ने जमीन में बैठकर सुनते हुए उनके समस्याओं को त्वरित निराकरण किया । क्षेत्र की भविष्य एवं बदलते परिस्थिति जुड़ते तीनों जिलों को लेकर तेजी से होते विकास पर लोगों से चर्चा की । डर भय से दूर लाल लड़ाकों की सोच से अलग करते हुए बदलते परिस्थितियों के साथ चलने व शासन के योजनाओं का लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया ।

सिविक एक्शन कार्यक्रम के माध्यम से स्वास्थ्य परीक्षण दवाईयां देते लोगों को दिए गए जरूरत के सामान

दोनों जिले के इन अधिकारियों की मौजूदगी में ग्रामीण का स्वास्थ्य परीक्षण दवाईयां व दवाईयां बाँटते सिविक एक्शन कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों को जरूरत के सामान वितरण किए । जगरगुंडा क्षेत्र के कमारगुड़ा गांव में जमीन पर बैठकर दोनों जिला कलेक्टरो ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनी। ज्ञात हो कि दंतेवाड़ा की अरनपुर होते हुए जगरगुंडा तक पक्की सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। वहीं बीते दिन जगरगुंडा क्षेत्र के कमारगुड़ा गांव में नए पुलिस कैंप की स्थापना भी की गई है।यहां निर्माणाधीन सड़क को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। ज्ञात हो कि इन जिलों के अति संवेदनशील क्षेत्रों में पक्की सड़कों का निर्माण करना किसी चुनौती से कम नहीं है। नक्सलियों का विरोध आए दिन बारूद के बिछोने के जद में आकर कई सुरक्षा बल के जवान भी शहीद हुए हैं ।

लिहाजा जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन को ऐसे क्षेत्रों में तेजी से विकास करते हुए लोगों को मुख्यालय से सीधा जोड़ने के साथ ही माओवादी विचारधारा से दूर करने की एक बड़ी चुनौती रहती है । इसी चुनौती को लेकर बीते कुछ दिनों से केंद्रीय आंतरिक सुरक्षा सलाहकार सहित बस्तर व राज्य के बड़े अधिकारियों का इस क्षेत्र में लगातार आना जाना हो रहा है। राज्य शासन के यह अधिकारी जगरगुंडा क्षेत्र को नक्सल मुक्त के साथ संपूर्ण विकास पर तवज्जो दे रहे हैं । राज्य गठित के बाद ब्लॉक मुख्यालय का दर्जा रखने वाले इस जगरगुंडा को लेकर राज्य सरकार भी गंभीर है । यहां विगत दो दशकों के आसपास से पूरी तरह प्रशासनिक व्यवस्था चौपट हो गई थी । क्षेत्र के आश्रम स्कूल छात्रावासों को एक जगह में सिप्ट कर संचालित करने की स्थिति बनी हुई थी । दूसरी ओर तकरीबन दो दर्जन ग्राम पंचायतों में विकास जैसे शब्द कछुए की चाल पर हैं ।

जगरगुंडा को केंद्र बिंदु बनाकर नक्सलियों को बड़ी चुनौती देने की तैयारी

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ज्ञात हो कि जगरगुंडा वह इलाका है जहां से कि बीजापुर दंतेवाड़ा सुकमा जिलों की सीमा लगे हुई हैं । इसलिए भी इस जगह क्षेत्र को नक्सलियों का कॉरिडोर कहा जाता है। यहां नक्सली अपनी प्रचार प्रसार अपनी ट्रेनिंग इत्यादि अपने संगठन को मजबूत करने के लिए करते रहते हैं । तकरीबन 100 किलोमीटर के अंदर तीनों जिलों के घने जंगलों पहाड़ों का यह क्षेत्र नक्सलियों को यह अवसर देता है कि वह यहां से अपना नेटवर्क चला सके । दूसरी और सुरक्षाबलों को इस चुनौती का सामना करते जज्बा बनाए रखना बड़ी बात रहती है ।