रायपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर से कोल खनन परिवहन घोटाले के दर्जनों आरोपियों में से एक,सुनील अग्रवाल की जमानत रद्द हो गई है। बताते है कि जिला अदालत रायपुर से लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट तक सुनील अग्रवाल की पैरवी देश के सर्वाधिक महंगे वकीलों की टीम ने की थी। बावजूद इसके “बघेलखण्ड” को निराशा हाथ लगी है। बताते है कि कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी और सुपर सीएम सौम्या चौरसिया की रिहाई को लेकर बघेलखण्ड के मुख्यमंत्री ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है। इसके लिए हाई कोर्ट बिलासपुर से लेकर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली तक तगड़ा बंदोबस्त किया गया है।
सूत्र बताते है कि अभियुक्तों की विधिक सहायता के लिए करोडो की रकम पानी की तरह बहाई जा रही है,वकीलों पर बड़ा बजट खर्च किया जा रहा है। उनके मुताबिक, सरकारी तिजोरी हो या फिर गिरोह का मालखाना,कानूनी सलाहकारों और जमानत योग्य सूत्रधारों के प्रबंध के लिए लगभग 100 करोड़ का बंदोबस्त किया गया है।
जानकारी के मुताबिक,बिलासपुर हाई कोर्ट में पी सैम कोशी की अदालत में सुनील अग्रवाल की जमानत को लेकर बचाव पक्ष और ED के बीच कई घंटो की बहस के बाद फैसला सामने आया है। अदालत ने कोल खनन परिवहन घोटाले के आरोपियों में से एक सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
बताते है कि बचाव पक्ष ने अपनी बेगुनाही का हवाला देते हुए ED की कार्यवाही को राजनीति और द्वेष से प्रेरित बताया था। जबकि ED की ओर से पेश वकीलों ने सौम्या चौरसिया,IAS समीर विश्नोई और कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी कुनबे के काले कारनामों से अदालत को रूबरू कराया था। बताते है कि बचाव पक्ष ने सुनील अग्रवाल को घोटाले की सबसे कमजोर कड़ी निरूपित करते हुए उसकी जमानत की मांग की थी।
बताया जाता है कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने ED के पक्ष में फैसला देते हुए सुनील अग्रवाल की जमानत अर्ज़ी ख़ारिज कर दी। बताया जाता है कि याचिका के ख़ारिज होने से “बघेलखण्ड” तनाव में है। सूत्रों के मुताबिक सुनील अग्रवाल की याचिका के आधार पर ही अभियुक्त सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी की रिहाई का खांका खींचा गया था।
बताया जाता है कि बघेलखण्ड लॉबी,समीर विश्नोई एवं अन्य पर घोटाले का ठीकरा फोड़ अपना उल्लू सीधा करने में जुटी है। उसकी प्राथमिकता में दोनों अभियुक्तों सौम्या और सूर्यकांत की रिहाई है,जबकि शेष आरोपियों को अपराधो का अंजाम भुगतने के लिए छोड़ दिया जाना,मुनासिब समझा गया है। लेकिन सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका ही रद्द हो जाने से बघेल खंड के पैरो तले जमीन खिसक गई है।
जानकारी के मुताबिक अभियुक्त सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका की सुनवाई को लेकर हाई कोर्ट के रोस्टर पर गिरोह की निगाहें गढ़ी हुई है। इसके लिए कई विकल्प तलाशे जा रहें है,बघेलखण्ड मैनेजमेंट न्याय की नगरी में,इन्साफ के सौदे के लिए तन मन और धन से समर्पित नजर आ रहा है,वही अदालत भी दूध का दूध और पानी का पानी,साफ़ करने में जुटी है।
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गौरतलब है कि, रायपुर सेंट्रल जेल में ED के तमाम आरोपियों की ऐश की ख़बरें सुर्ख़ियों में है। इस बीच सुनील अग्रवाल की जमानत ख़ारिज होने के मामले से बघेलखण्ड के मुख्यमंत्री की नींद हराम बताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक हाई कोर्ट के रुख से परेशान सौम्या चौरसिया ने सुनील अग्रवाल की जमानत ख़ारिज होने को लेकर मुख्यमंत्री को जमकर फटकार लगाईं है,बताते है कि इसके बाद बघेलखण्ड सरकार,सौम्या की जमानत याचिका नए सिरे से तैयार करने में जुटी है।
यह भी गौरतलब है कि, सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर सुनवाई से हाईकोर्ट के दूसरे जज ने भी इंकार कर दिया है। कोल लेवी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अभियुक्त सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका हाईकोर्ट में दोबारा दाखिल की गई थी। बताते है कि दोबारा दाखिल की गई याचिका को जस्टिस राकेश मोहन पांडे ने भी किसी दूसरे बेंच में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए है। इसके पूर्व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत ने भी सौम्या चौरसिया की याचिका सुनने से इंकार कर दिया था।
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