आत्मनिर्भर भारत:  इंडियन आर्मी ने  डेवलप किया  अपने ढंग का ‘सीक्रेट स्वदेशी वॉट्सएप’, अब 1 अप्रैल से SAI, सुरक्षित मैसेज भेजने के लिए सेना करेगी इसका  इस्तेमाल

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नई दिल्ली /  भारतीय    आर्मी ने अपने इस्तेमाल के लिए एक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म  डेवलप किया है, जिसका नाम है सिक्योर एप्लीकेशन फॉर इंटरनेट यानी SAI. रिपोर्ट्स की मानें तो आर्मी इस एप का इस्तेमाल 1 अप्रैल से शुरू करने जा रही है |  यह एप वॉट्सएप, टेलिग्राम सिग्नल  जैसे प्रोफेशनल एप्स की टक्कर का बताया जा रहा है, जिसके ज़रिये एंड टू एंड वॉइस, टेक्स्ट और वीडियो कॉलिंग  सुविधा वैसी ही होगी, जैसी किसी भी लोकप्रिय सार्वजनिक एप्स में मिलती है. आर्मी के इस एप से दिलचस्प बातें जुड़ी हैं | 

रक्षा मंत्रालय ने अक्टूबर 2020 में SAI एप के बारे में ऐलान करते हुए कहा था कि इस एंड्रॉयड एप में सिक्योरिटी फीचर गज़ब के हैं और ये लोकल इन हाउस सर्वर व कोड्स पर आधारित है, जिन्हें ज़रूरत के हिसाब से बदला या रद्द भी किया जा सकता है |  इस एप का पुनरीक्षण आर्मी के साइबर ग्रुप और CERT-in के ऑडिटर ने किया है, जिसे फिलहाल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के लिए फाइल किया गया है |  इस एप का नाम क्यों खास है?इस एप का इस्तेमाल आर्मी के भीतर ही होगा, ताकि सुरक्षित ढंग से इसका इस्तेमाल हो सके |  फिलहाल इस एप के iOS डेवलपमेंट का काम चल रहा है |  दिलचस्प बात यह है कि आर्मी के लिए इस एप को डेवलप करने वाले अफसर का नाम कर्नल साई शंकर है, जो ​इस एप के लिए साइबर और सिक्योरिटी क्लीयरेंस और डेटा टेस्टिंग में जुटे हुए हैं |  इस एप को डेवलपरों ने वॉट्सएप, टेलिग्राम व सिग्नल जैसे एप्स के समान फीचरों वाला एक सुरक्षित विकल्प कहा है |  

पिछले साल जून के महीने में जब चीन के साथ तनाव काफी बढ़ गया था, तब भारत ने 59 चीनी एप प्रतिबंधित किए थे |  जुलाई में भारतीय आर्मी से डेली हंट, टिंडर, फेसबुक, टिकटॉक, ज़ूम, पबजी जैसे करीब 89 एप्स को अपने मोबाइल फोन्स से हटाने के निर्देश दिए थे |  इसके बाद आर्मी के भीतर वॉट्सएप को आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल न करने की हिदायतें भी दी गई थीं |  यही नहीं, भारतीय सशस्त्र बलों को बेस और डॉकयार्ड पर स्मार्टफोन इस्तेमाल करने तक की मनाही थी |  इसका असर किस रूप में दिखा?

बॉयकॉट चाइना लहर के चलते भारत में आत्मनिर्भर या स्वदेशी मुहिम ने ज़ोर पकड़ा |  इसी कार्यक्रम के अंतर्गत इंडियन आर्मी ने SAI डेवलप किया तो राष्ट्रीय सूचना सेंटर ने Sandes और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमे​टिक्स ने SAMVAD जैसे एप डेवलप किए |  ये स्वदेशी मुहिम के हिस्से के तौर पर बेहद कारगर कदम बताए गए |  यही नहीं, तकनीकी और डेटा के लिहाज़ से भी ये एप ज़्यादा सुरक्षित हैं |  लेकिन एक फैक्ट यह भी है कि SAI एप अपने ट्रायल पूरे कर चुका है | एप मामले से जुड़े एक आर्मी अफसर के हवाले से एक रिपोर्ट कहती है कि SAI मोबाइल एप्लीकेशन की ट्रायल स्टेज तकरीबन पूरी हो चुकी है और अब इसे दूसरे सरकारी विभागों के लिए भी इस्तेमाल करने के बारे में सोचा जा सकता है |  यह भी बताया गया है कि इस एप के फिलहाल 18000 यूज़र हैं, लेकिन यह सार्वजनिक एप नहीं है| यह भी संभावना है कि भविष्य में इस एप को वॉट्सएप के स्वदेशी विकल्प के तौर पर देखा जा सके | 

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