कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने ही विधायकों से खतरा नजर आ रहा है। कई विधायक ख़ुफ़िया विभाग की नजरो से परेशान है। उनके कामकाज से लेकर मिलने -जुलने वालो पर भी खफिया विभाग की नजर लगी है। लिहाजा ये विधायक पशोपेश में है। इस बीच फैशन डिजाइनर से राजनेता और पश्चिम बंगाल में भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने आखिरकार अपना मुँह खोला तो TMC में खलबली मच गई है। पॉल ने आज कहा कि दिसंबर महीना राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण महीना होगा, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के 30 से अधिक विधायक बीजेपी के लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, उनका अस्तित्व दांव पर है, क्योंकि वे जानते हैं कि इस सरकार के लिए दिसंबर के बाद बने रहना मुश्किल है।
पॉल की टिप्पणियों से पहले सोमवार को राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी इसी तरह का बयान दिया था। उन्होंने कहा था महाराष्ट्र के बाद झारखंड की बारी आएगी और फिर पश्चिम बंगाल और दिसंबर इस लिहाज से अहम महीना होगा। हालांकि, दोनों बीजेपी के नेताओं में से किसी ने भी अभी अपने पत्ते नहीं खोले है। दरअसल TMC के भीतर ममता से नाराज चल रहे कई विधायकों ने अलग रास्ता तय करने की मुहीम छेड़ दी है। उन्होंने दिसंबर के महीने में बड़े राजनीतिक फैसले के संकेत दिए थे।
बंगाल में बीजेपी की राज्य इकाई ने कोर कमेटी में बड़े फेरबदल किये है। अब मिथुन चक्रवर्ती को TMC के सामने खड़ा कर दिया है। TMC के मुकाबले के लिए 24 नेताओं को कोर कमेटी में जगह देकर मैदान में उतारा गया है। यह राज्य में पार्टी की अब तक की सबसे बड़ी कोर कमेटी है। इसमें पार्टी के प्रभारी सुनील बंसल, राज्य के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक, मंगल पांडे, अमित मालवीय और आशा लकड़ा के चार स्थाई सदस्य शामिल हैं।
उधर TMC के भीतर खाने में झांकने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक में आशंका व्यक्त की, कि जिस तरह से भाजपा नेता दिसंबर पर जोर डाल रहे हैं, उससे लगता है कि उस दौरान किसी तरह का सांप्रदायिक दंगा हो सकता है। उन्होंने पुलिस प्रशासन को दिसंबर में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए विशेष रूप से सावधान रहने के निर्देश भी दिए है।