कोरोना को लेकर सभी देशों में बैठकों का दौर शुरू है. सभी देश अपने अपने स्टार पर इस ओमिक्रॉन के युद्ध से लड़ने को तैयार हो रहे हैं. करोड़ों लोगों को वैक्सीन की डोज लग चुकी है जिसके बाद भी सरकार वैक्सीनशन में किसी तरह की कोई कमी नहीं रखना चाहता। लोग भी थोड़े डर के बाद ही सही वैक्सीन की डोज ले रहे हैं लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को ऐसा बयान दे दिया जिससे सभी की चिंता की चिंता वापिस बढ़ गयी है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोरोना के गंभीर संक्रमण और मौत के खिलाफ वैक्सीन का प्रभाव कुछ कम दिख रहा है।
इससे यह भी पता चलता है कि टीके हल्की बीमारी या संक्रमण को रोकने में भी कमजोर पड़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अधनम घेब्रेयेसस ने आनलाइन ब्रीफिंग में यह भी कहा कि ओमिक्रोन वैरिएंट के सामने आने से कुछ देशों ने अपनी पूरी आबादी के लिए बूस्टर डोज कार्यक्रम को शुरू कर दिया है, जबकि अभी इसकी ठोस जानकारी भी नहीं है कि इस वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन कितनी प्रभावी है।
उन्होंने यह भी आशंका जताई की बूस्टर कार्यक्रम की वजह इस साल भी कुछ देश वेक्सीन का भण्डारन कर सकते है। इसके चलते विश्व भर में वैक्सीन की असमानता बढ़ेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि गंभीर रोगों से ग्रस्त अधिक जोखिम वाले लोगों के लिए बूस्टर डोज लाभकारी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि 2024 तक अफ्रीकी देश 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य से पीछे रह सकते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में 83 प्रतिशत बढ़ा संक्रमण
दक्षिण अफ्रीका में नए वैरिएंट के सामने आने के बाद पिछले एक हफ्ते में कोरोना संक्रमण के मामले 83 प्रतिशत बढ़ गए हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी 70 प्रतिशत बढ़ी है, फिर भी डब्ल्यूएचओ के अफ्रीकी मामलों के शीर्ष अधिकारी ने हालात के नियंत्रण में रहने की उम्मीद जताई है।
भारत भी चिंता के दायरे में
ओमीक्रॉन का खतरा भारत में भी काम होता नहीं दिख रहा है. देश के अलग अलग राज्यों में ओमिक्रोण ब्लास्ट लगातार देखने को मिल रहा है. विदेशों से वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके लोगों में भी इसका संक्रमण कम नहीं नहीं हुआ है. महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली जैसे बड़े राज्यों में इसके मांमले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं जो की कोई अच्छा संकेत नहीं है.