मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साधु संतो,बैगा-गुनिया,झाड़-फूक,टोना-टोटका,जादूगर,तांत्रिको और मजार के खादिमो की शरण में चले गए है। एक साथ आधा दर्जन से ज्यादा तंत्र-मंत्र पीठ,मंदिरो और मजार में धार्मिक देवी-देवताओ और मुस्लिम वलियो को दंडवत कर दर्शन देने का मामला सामने आया है। नजारा देखने वाले तस्दीक कर रहे है कि मुख्यमंत्री बघेल अपनी कुर्सी बचाने के लिए हिन्दू देवी-देवताओ के मंदिर में हाजिर हुए थे,या फिर भगवान को उनके मंदिर में काबिज रहने का फरमान सुनाने खुद हाजिर हुए थे,इसका फैसला कर पाना मुश्किल है।
दरअसल,मंदिर परिसर में भगवान के भक्त अपना तमाम आवरण खोल कर दस्तक देते है। यहां तक की पैरो में जूते-चप्पल पहनने में परहेज करते है, उसी मंदिर में लोकतंत्र के भगवान मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने अपने स्वागत सत्कार के लिए “रेड कारपेट” बिछवाया। शाही जूते पहने भगवान बघेल के कदम पूरे लाव-लश्कर के साथ मंदिरो की खांक छानते रहे, हिन्दू देवी-देवताओ को सालाना दर्शन देने का दावा करने वाले भगवान बघेल जनता के पैसे से उड़ने वाले विशेष विमान में सवार होकर मध्यप्रदेश के सतना स्थित भरहुत एयरपोर्ट पर अवतरित हुए थे।
सत्ता के नशे में चूर लोकतंत्र के देवता का मंदिर में “रेड कारपेट” स्वागत देखकर आसमान से चौबीस कोटि देवता अभिभूत है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने रायपुर से सतना की ऊँची उड़ान पर मुख्यमंत्री से चर्चा करनी चाही। लेकिन दोनों के बीच व्यस्थापिका की लक्ष्मण रेखा खींच दी गई। नतीजतन जनता के कई सवाल अनुत्तरित रह गए। फिलहाल तो सरकार का भगवान को लाल सलाम चर्चा में है।
रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुर्सी वाकई डांवा-डोल हो रही है,इस कुर्सी में क्या वो पल दो पल के ही मेहमान है ? क्या मुख्यमंत्री भी अपनी टोली के अन्य सदस्यों के साथ उनके मौजूदा ठिकाने में नजर आएँगे ? पुत्र चैतन्य बघेल और दामाद क्षितिज चंद्राकर आने वाले दिनों क्या ED के चंगुल से सुरक्षित बाहर निकल पाएंगे ? मुख्यमंत्री बघेल अपना शेष 6 माह का कार्यकाल पूरा कर पाएंगे या फिर चंद दिनों बाद पार्टी उन्हें कांग्रेस का नया राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त करने जा रही है ? या फिर बघेल के चेहरे पर ही कांग्रेस, दूसरी बार बीजेपी को पटखनी देगी ? इन सवालों का जवाब भविष्य के गर्त में है। लेकिन इसे फ़ौरन खोज निकालने की मुहिम भी सुर्खियों में आ गई है।
तंत्र-मंत्र की साधना करने वाले तस्दीक करते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उगता सूरज अब ढलने की कगार पर आ गया है। इसे बचाए रखने की मुहिम भी अब अंतिम पड़ाव पर है। लिहाजा डूबते को तिनके का सहारा देने के लिए मैदान में उतरे तांत्रिको ने अपना अनुष्ठान आज समाप्त किया है।इसके समापन की अंतिम आहूति देने के लिए यजमान की मौजूदगी जरुरी बताई जाती है।
बताते है कि पौने पांच साल के कार्यकाल में आज पहली बार मुख्यमंत्री ने एक साथ हिन्दू,मुस्लिम धर्मो की ज्यारत की है। इसके बाद कन्या भोज भी कराया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विशेष विमान से सतना पहुंचे थे। यहां उन्होंने कालिका देवी के मंदिर में पूजा अर्चना कर कन्या भोज कराया।
बताते है कि भविष्य को जान लेना अघोर शक्तियों की खास विशेषता है। यही उसे जादू टोना और अंधविश्वास से अलग करती है। यह भी दावा किया जा रहा है कि 17 दिसंबर 2018 को शपथ लेने के उपरांत से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी आदि शक्ति सौम्या चौरसिया कई तरह के टोने-टोटके और तांत्रिक शक्तियों की साधना करती है।
इसका मकसद मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाए रखना और सरकारी लूटपाट में कामयाब रहना होता है। लेकिन जानकार बता रहे है कि पाप का घड़ा भर जाने से मुख्यमंत्री की तंत्र क्रियाए और उसके जतन उल्टे पड़ने लगे है, चंडाल चौकड़ी,आधी जेल में बाकि बेल में है। लिहाजा मंदिरो में IT-ED और CBI से बचाव के लिए विशेष पूजा-अर्चना और आराधना की जा रही है।
भूपेश बघेल ने मंगलवार को अपने एक दिवसीय तूफानी दौरे में सतना जिला प्रशासन की कमर तोड़ दी। भरी दोपहरी में इलाके की पुलिस मुख्यमंत्री के इस धार्मिक दौरे को लेकर दो-चार होते रही। सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री से गांजा,दारू,चिलम और PSC में नौकरी,कोर्ट कचहरी में सेटिंग,सरकारी ठेके,कोयला-रेत खदान के ठेके मांगने वालो की लगती भीड़ को काबू करने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
सतना के नकटी गांव में स्थित देवी कालिका के मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद मुख्यमंत्री ने कन्या भोज करवाया। बताते है कि भोजन पकाने में कई अशुद्धियाँ पाए जाने के कारण अनुष्ठान भंग होता प्रतीत हो रहा है। हालाँकि साधको ने उन्हें संकट टल जाने का भरोसा दिलाया है।
बताते है कि मंदिर परिसर में मौजूद कई किसानो ने कांग्रेस के वादे अनुरूप अपने राज्य में फ़ौरन शराबबंदी लागू नहीं करने को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी नाराजगी भी जाहिर की। हालांकि बघेल ने किसानों से बातचीत कर फसल की जानकारी ली,फिर उनका काफिला नागौर थाना इलाके के खेरुआ सरकार हनुमान मंदिर गया।
बताते है कि यहां भगवान बजरंगबली और मुख्यमंत्री बघेल का सीधा आमना-सामना भी हुआ। मुख्यमंत्री ने हनुमान जी की पूजा अर्चना से पूर्व उनकी खाली झोली भरी और आशीर्वाद भी लिया। भक्त और भगवान के बीच करीब 20 मिनट की मुलाकात के बाद अचानक हिन्दू मंदिरो से मुख्यमंत्री का काफिला सिंहपुर स्थित छोटे सरकार की मजार पर मत्था टेकने के लिए रुक गया। मुख्यमंत्री ने हिन्दू मंदिरो में जहां फूल चढ़ाया और घंटा बजाया,वही मजार में भी पूरे भक्ति भाव में नजर आए।
बताते है कि मजार में दाखिल होते ही छत्तीसगढ़ सरकार ने छोटे सरकार को चादर चढ़ाई, सजदा किया और अपने लिए दुआएं मांगी, जबकि दुश्मनो का नाश करने के लिए यहां भी कई तरह के जतन आजमाए गए थे। सूत्र दावा कर रहे है कि इस यात्रा के दौरान अघोरपंत के कई तांत्रिक,मुस्लिम इल्म के जानकार,बैगा गुनिया,जादू टोना करने वालो को अपनी समस्या गिनाई और निदान भी जाना।
सूत्र बताते है कि अनिष्ट की आशंका अभी भी बनी हुई है। टीएस सिंहदेव का विशेष विमान ऑस्ट्रेलिया से भारत की उड़ान भर चुका है,कुमारी शैलजा एक लाइन का आलाकमान का फरमान फिर अपने बैग में रखकर दिल्ली टू रायपुर का टिकट खुद अपने हाथो से बुक करने में व्यस्त है,पत्रकार सुनील नामदेव मुख्यमंत्री और उसकी टोली की असलियत से जनता को रूबरू करा रहा है,चरणदास महंत,मोहन मरकाम और ताम्रध्वज साहू जैसे वरिष्ठ मंत्री नया कुर्ता पायजामा और सूट-बूट का आर्डर दे रहे है।
छत्तीसगढ़ शासन के सरकारी प्रवक्ता मंत्री द्वै रविंद्र चौबे और मोहम्मद अकबर जैसे वरिष्ठ नेता लोक तंत्र में जनता के अरमानो की जलती होली और घोटालो पर चुप्पी साधे हुए है,तूफ़ान के पहले की शांति बताई जाती है।
सूत्र दावा कर रहे है कि मुख्यमंत्री जेल की रोटी लेकर अचानक मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित पाली तंत्र पीठ के लिए रवाना हुए थे। कहा जाता है कि जेल की रोटी खाने से जेलयोग टल जाता है, इसके लिए आज मंगलवार को दिनभर सरकार इसी योग को टालने में जुटी रही। इसके लिए सुबह-शाम ऊंची उड़ान भरी गई थी।
बताते है कि अनिष्ट की आशंका के चलते मुख्यमंत्री को तत्काल बुलावा हुआ था। जानकारी आ रही है कि हफ्ते भर से जारी अनुष्ठान आज समापन की ओर था। लिहाजा बीती रात्रि से मारण,धारण, सम्मोहन और शत्रु नाश यज्ञ की आहूति में जुटे तांत्रिक जेल की रोटी की राह तक रहे थे। इस गरमा गरम रोटी को हेलीकॉप्टर के बजाए जातको ने हवाई जहाज से रवाना कर दिया गया। ऊपर से यह रोटी उसी शख्स के हाथ में थमा दी गई,जिसके हाथो में हथकड़ी और पैरो में बेड़ियाँ जकड़े जाने का योग नजर आ रहा था।
सूत्र बताते है कि जेल की रोटी यजमान को खिलाई गई और मौके पर बलि भी दी गई। अब फल की प्राप्ति के लिए अगले चौबीस घंटे का इंतज़ार किया जा रहा है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि सौम्या चौरसिया के जेल या बेल मामले में आने वाला फैसला मुख्यमंत्री की किस्मत और सत्ता पलट सकने के लिए पर्याप्त बताया जा रहा है।
बताते है कि दोनों ही सूरत में अपना भला करने,पडोसी राज्य मध्यप्रदेश पहुंचे बघेल ने यहां भी राजनीति करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
सीएम बघेल ने कहा कि वे हर साल धार्मिक यात्रा में पूजा के लिए वे सतना आते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी को संजीवनी मिली है,यह बताते हुए उन्होंने टॉर्च की रौशनी डाली कि बीजेपी ने कर्नाटक चुनाव को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया था और जनता ने उन्हें जवाब दिया है, इसका देशभर में व्यापक असर पड़ेगा। सीएम बघेल ने बीजेपी नेता ननकीराम कंवर के कांग्रेस मेंं शामिल होने की खबरों का खंडन किया।
उन्होंने कहा कि ननकीराम कंवर कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं,बल्कि उनके क्षेत्र में एक कार्यक्रम की वजह से वे दोनों एक साथ थे। इसलिए लोग तिल का ताड़ बना रहे हैं। फिलहाल, मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत आस्था के केन्द्रो पर जनता की तिजोरी से लाखो की रकम खर्च हुई है।
राज्य का विमानन विभाग का प्रभार-भार मुख्यमंत्री के कंधो पर है, उनकी इस व्यक्तिगत यात्रा पर एक ही झटके में 25 लाख से ज्यादा का खर्च आया है। संविधान में ऐसी यात्राओं को कानूनी रूप देने का कोई प्रावधान नहीं है,संविधान के जानकार इस तथ्य को अवगत करा रहे है। ऐसे में मुख्यमंत्री बघेल की सतना यात्रा सवालों के घेरे में बताई जा रही है।