भारतीय रेलवे के लिए चूहे बने चुनौती , 5457 चूहे मारने के लिए पश्चिम रेलवे ने खर्च डेढ़ करोड़ लेकिन अभी भी चूहों की भरमार | 

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वेब डेस्क / भारतीय रेलवे के लिए चूहे मुसीबत बन गए है | देश के लगभग रेलवे मंडलो में चूहों का आतंक है | रेलवे ने चूहों को मौत में घाट उतारने के लिए करोड़ो का बजट स्वीकृत किया है | ताजा मामला नई दिल्ली के पश्चिम रेलवे का है | पश्चिम रेलवे ने तीन साल में चूहे मरने पर 1.52 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं | आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया कि इस दौरान 5457 चूहे मारे गए हैं | यानी एक चूहे को मारने में रेलवे ने 2800 रु. खर्च कर दिए | हर दिन का हिसाब देखें तो 14 हज़ार रु. में रोज करीब 5 चूहे मरे गए | बताया जाता है कि करोड़ो की रकम खर्च करने के बावजूद अभी भी हज़ारो चूहे स्टेशनों और पटरियों पर मंडरा रहे है | 

रेलवे कोच और यार्ड में कीटों और कुतरने वाले जानवरों जैसे चूहों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए रेलवे विशेषज्ञ एजेंसियों की सेवाएं लेता है | ये एजेंसियां रेलवे रोलिंग स्टॉक, स्टेशन परिसर और आसपास के यार्ड में पेस्ट छिड़काव करके कीटों और चूहों की समस्या पर नियंत्रण रखती हैं | कीटों और चूहों की समस्या पर प्रभावशाली नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तकनीक अपनाई जाती है, जैसे- चमगादड़, गोंद बोर्ड, कुछ अप्रूव किए गए केमिकल और जाल आदि का इस्तेमाल किया ​जाता है |