राज्य में CSMSC ने 3 नए मेडिकल कालेजों में डॉक्टरों की पढाई की बुनियाद भ्रष्टाचार के पाठ्यक्रम से रखी है। इसके लिए सेटिंग वाले ग्लोबल टेंडर से ऐसी कंपनी को खोज निकाला गया है,जो “मोटा कमीशन” दे सके। भले ही कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड बोगस और ब्लैक लिस्टेड क्योँ ना हो ? बघेलखण्ड के सांचे में फिट होने के बाद “सब-कुछ” जायज है। देखिए दस्तावेजी प्रमाणों की तस्दीक वाली खबर
रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में सरकारी तिजोरी की लूट है,लूट सके तो लूट,6 माह बाद पछतायेगा,जब बघेल कुर्सी से जाएगा उठ। बताते है कि छत्तीसगढ़ में ये नारा ज्यादातर उन ठेकेदारों और कंपनियों के कर्ताधर्ताओ की जुबान में है,जो कांग्रेस सरकार के बैनर तले विकास कार्यो में लीन है। ताज़ा जानकारी के मुताबिक 40 फीसदी तक कमीशन तय होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को उसकी योग्यता का आंकलन कर एक साथ 3 मेडिकल कॉलेज का ठेका देने का फैसला किया है।
सूत्र बताते है कि ये ब्लैक लिस्टेड कंपनी राज्य में कोरबा,महासमुंद और कांकेर में लगभग 900 करोड़ की लागत से 3 नए मेडिकल कॉलेज का निर्माण करेगी। बताते है कि “ब्रिज एंड रूफ प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ठेको की प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष शर्तो को पूरा करने की बाध्यता के साथ छत्तीसगढ़ स्टेट मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन (CSMSC) के साथ एग्रीमेंट करने जा रही है।
बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार विधान सभा चुनाव के मद्देनजर जल्द ही कोरबा,महासमुंद और कांकेर में इन तीनो मेडिकल कॉलेज के भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम की नींव रखते नजर आए। यह भी दिलचस्प बात है कि कांग्रेस के जनघोषणा पत्र के वादों को लागू करने के वादे को लेकर ही नहीं बल्कि सीएम इन वेटिंग के मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इत्तेफाक ना रखते हो लेकिन अपने ही विभाग में भ्रष्टाचार के मामले को लेकर सिंहदेव की बेरुखी चर्चा में है।
बताते है कि स्वास्थ्य विभाग में 108 से लेकर 200 तक जितनी भी डायल योजनाए है,सब की सब भ्रष्टाचार के दायरे में है,तमाम ठेको और सप्लाई में “बघेलखण्ड” की मनमानी है। लेकिन उस ओर से विभागीय मंत्री सिंहदेव ने अपनी नजरे फेर ली है। बताते है कि “बघेलखण्ड की सिंगल विंडो” से महाराज ने भी दूरियां बना ली है। भ्रष्टाचार के ऐसे मामलों में “कका और बाबा” की नूरा कुश्ती सुर्ख़ियों में है। बताते है कि स्वास्थ्य विभाग में “बघेलखण्ड” की बीमारी का इलाज करने के बजाए स्वास्थ्य मंत्री ने मरीज की ओर ही,रुख तक करने से इंकार कर दिया है। नतीजतन स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर ठेको में फिक्सिंग और सरकारी तिजोरी में हाथ साफ़ करने के मामले आए दिन सामने आ रहे है।
लिमिटेड,NBCC और HSCC” शामिल थीं। बताते है कि ग्लोबल टेंडर की शर्तों को खासतौर पर अपना हित साधने के लिए तैयार किया गया था। इसके तहत NBCC को प्रतियोगिता से बाहर का रास्ता दिखाकर शेष 2 कंपनियों ब्रिज एंड रूफ प्राइवेट लिमिटेड और HSCC के साथ ठेको को मंजूरी दे दी। बताते है कि टेंडर की तय शर्तो को पूरा करने के मामले में भी उक्त दोनों कम्पनियाँ खरी नहीं उतरी थीं,बावजूद इसके उन्हें तीनो जिलों में मेडिकल कॉलेज के निर्माण का ठेका सौंप दिया गया।
न्यूज़ टुडे द्वारा मामले की पड़ताल में यह तथ्य भी सामने आया है कि,ब्रिज एंड रूफ प्राइवेट लिमिटेड और HSCC का शीर्ष मैनेजमेंट एक ही कारोबारी शख्स का है,दोनों ही कंपनियों के टॉप मैनेजमेंट से पता पड़ रहा है कि टेंडर की शर्तों को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सिर्फ कागजी खानापूर्ति पर जोर दिया था।
बताया जा रहा है कि ब्रिज एंड रूफ प्राइवेट लिमिटेड और HSCC,दोनों के खिलाफ CBI की जाँच जारी है। भ्रष्टाचार और गुणवत्ता विहीन कार्यो के लिए दोनों ही कम्पनियाँ देशभर में बदनाम है।न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने ब्रिज एंड रूफ प्राइवेट लिमिटेड और HSCC,दोनों के मैनजेमेंट से उक्त ठेको को लेकर उनका पक्ष जानने का प्रयास किया। लेकिन कोई प्रतिउत्तर नहीं प्राप्त हो सका।
बताया जाता है कि इस तरह की तस्वीर इंटरनेट पर मात्र 2 सेकेंड में चस्पा हो जाती है। इस पर मात्र 5 रूपए का खर्च आता है। इतना व्यय कर कोई भी कंपनी आसमान से तारे तोड़ने का दावा कर सकती है। लेकिन इससे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि ऐसी कंपनियों के लिए बघेलखण्ड वरदान साबित हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के देहरादून में स्मार्ट सिटी के तहत आउटफाल व इंटिग्रेटेड सीवरेज एंड ड्रेनेज योजना के कामों के लिए नामित की गई ब्रिज एंड रूफ कंपनी के काम संतोषजनक नहीं पाए जाने पर राज्य सरकार ने उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की सिफारिश की थी। इससे पहले एचएससीएल कंपनी को सरकार ने गड़बड़ी और भ्रस्टाचार के आरोपों के चलते बाकायदा जाँच के बाद हटाया था। इस कंपनी का भी सीवरेज और ड्रेनेज का काम निम्न गुणवत्ता का पाया गया था।
बताते है कि उत्तराखंड समेत कई राज्यों में स्मार्ट सिटी के कामों में हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएससीएल) के कामकाज पर सवालियां निशान लग रहा है। बताते है कि कई और इलाको से भी कंपनी के कामकाज को लेकर शिकायते आम है।
बहरहाल,छत्तीसगढ़ में बेकाबू भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार कटघरे में है। राज्य में रोजाना नए-नए मामलो से सरकार और भ्रष्टाचार का चोली-दामन का साथ नजर आने लगा है। विकास के कार्यो के लिए पारदिर्शतापूर्ण कार्यप्रणाली के आभाव के चलते स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी सवालों के घेरे में है। फिलहाल तो 40 फीसदी तय कमीशन की अदायगी की सेवा शर्तें,भी चौकाने वाली है। यह देखना गौरतलब होगा कि सरकारी तिजोरी के 900 करोड़ की हिफाज़त के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,क्या कदम उठाते है ?