जम्मू -कश्मीर में पत्रकारों को धमकी देने के मामले में एक्शन में पुलिस,10 जगहों पर छापेमारी, छत्तीसगढ़ में सुपर CM सौम्या चौरसिया के कारनामों पर पर्दा डालने के लिए एक्शन में पुलिस, CM भूपेश बघेल से सवाल पूछने पर प्रतिबंध ? देखे वीडियो

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श्रीनगर/ रायपुर : जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पत्रकारों को आतंकी खतरे से बचाने के लिए आज श्रीनगर, कुलगाम और अनंतनाग जिलों के 10 स्थानों पर छापेमारी की है। राज्य की पुलिस ने एक ट्वीट में कहा, पत्रकारों को हालिया धमकी से संबंधित मामले की जांच के सिलसिले में श्रीनगर, अनंतनाग और कुलगाम में 10 स्थानों पर बड़े पैमाने पर तलाशी शुरू की। 

कश्मीर में आतंकियों के अरमानो पर पानी फेरने के लिए पत्रकार जान जोखिम में लेकर खबरे कर रहे है। आतंकी धमकी से पांच पत्रकारों के इस्तीफे से मचे हड़कंप के बाद पुलिस ने यूएपीए गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज कर अपनी कार्यवाही शुरू की है। दरअसल, आतंकियों ने हाल ही में एक दर्जन से अधिक पत्रकारों की सूची सार्वजनिक कर उन्हें धमकी दी थी। पत्रकारों पर सुरक्षा एजेंसियों के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था। सूची में स्थानीय समाचार पत्रों के दो संपादकों के नाम भी शामिल हैं। इस घटनाक्रम की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी निंदा की थी। यही हाल छत्तीसगढ़ का है। 

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबियों और सरकार के घोटालो को उजागर करने वाले पत्रकारों को बुरी तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन पर झूठे मुक़दमे दर्ज कर जेलों में ठूंसने की कार्यवाही आम हो गई है। राज्य में अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा ऐसे पत्रकारों को पुलिस ने निशाना बनाया है जो सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के अलावा सरकारी सरंक्षण में घोटालो को उजागर कर रहे थे।

ऐसे पत्रकारों पर सरकारी प्रताड़ना के साथ -साथ अब पुलिसिया हमले की आशंका भी जाहिर की जा रही है। मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी करीबी अफसर, सौम्या चौरसिया से जुड़ा बताया जा रहा है। सौम्या, मुख्यमंत्री कार्यालय में बतौर मुख्यमंत्री की उपसचिव के पद पर कार्यरत है। 

जानकारी के मुताबिक राज्य में सरकारी मशीनरी जाम कर सरकार के करीबी अफसर और कारोबारी रोजाना करोडो रूपये कमा रहे थे। कोल, शराब, सीमेंट और लोहा समेत अन्य उद्योग धंधो से गब्बर सिंह टैक्स के रूप में हर माह 800 करोड़ की ज्यादा की रकम इकठ्ठा की जाती थी। IT – ED के छापो से इसका खुलासा भी हुआ है।

एजेंसियों ने साफ किया था कि मुख्यमंत्री बघेल का करीबी कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी अकेले रोजाना 2 से 3 करोड़ रूपए कमाता था। IT – ED के छापो में सौम्या चौरसिया भी मुख्य आरोपियों में से एक है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में IT ने उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया है। मामले की सुनवाई जारी है। जबकि ED घोटालो को लेकर उससे लगातार पूछताछ कर रही है। उस पर हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर मामलो की जाँच जारी है।

इन मामलो में एक IAS अफसर समीर विश्नोई अपने 4 साथियो समेत रायपुर सेन्ट्रल जेल में बंद है। जबकि भ्रष्टाचार के मामलो में IAS रानू साहू और IAS JP मौर्य समेत दर्जनों अफसरों और कारोबारियों से ED पूछताछ कर रही है। सौम्या के खिलाफ कई अफसरों ने आपराधिक कृत्यों और अवैध वसूली को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में गुहार लगाई है। सौम्या और उसके गिरोह में शामिल ऐसे अफसरों को अदालत से ”बाई नेम” नोटिस भी जारी हुआ है। 

यही नहीं तहसीलदार के पद पर रहते हुए सौम्या के भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में अदालत से दंडनीय कार्यवाही भी हुई है। राज्य के ACB -EOW में उसके खिलाफ कई शिकायते लंबित है। IT डिपार्टमेंट ने भी बकायदा पत्र लिख कर मुख्य सचिव अमिताभ जैन को उसके कारनामों से अवगत कराया है।

केंद्र सरकार ने सौम्या का IAS अवार्ड का मामला भी निरस्त कर दिया है। अपने पद और प्रभाव का बेजा इस्तेमाल करते हुए उसने केंद्र सरकार को झूठी जानकारी देकर अपना साइटेशन भेजा था। इसमें उसके खिलाफ कई महत्वपूर्ण वैधानिक जानकारी छिपा ली गई थी। इसके बावजूद भी सौम्या चौरसिया के खिलाफ ”छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण संहिता” के तहत कोई कार्यवाही नहीं की गई। नतीजतन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा और कार्यप्रणाली भी सवालो के घेरे में है।    

बताया जा रहा है कि सौम्या चौरसिया से जुड़े काले कारनामो पर कोई भी पत्रकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सवाल ना कर पाए, इसके लिए उन पर निगरानी रखी जा रही है। पत्रकारों को नए प्रतिबंधों के दौर का सामना करना पड़ रहा है। कई पत्रकारों को सरकारी दबाव में नौकरी तक से हाथ धोंना पड़ा है। बताया जाता है कि भ्रष्टाचार से जुडी खबरों के प्रकाशन और प्रसारण होते ही ऐसे सरकारी हथकंडे अपनाये जाते है कि संस्थान खुद बा खुद बगैर कोई कारण बताये पत्रकारों को नौकरी से निकाल देता है। इसका मुख्य कारण जन संपर्क विभाग के प्रतिमाह जारी होने वाले करोडो के विज्ञापन भी बताये जाते है। दरअसल, प्रेस -मीडिया को हर माह सरकारी विज्ञापनों से लाखो की आमदनी होती है। इन पर रोक लगने के अंदेशे के चलते संस्थान पत्रकारों से ही किनारा कर लेते है। दबाव के चलते हक़ीक़त बयां करने वाले पत्रकार नौकरी से हाथ धो बैठते है।

पत्रकारों पर प्रतिबंधो और पुलिस एक्शन का ताजा मामला वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव की रिपोर्टिंग का बताया जा रहा है। हाल ही में उन्होंने रायपुर के पुलिस लाइन हेलीपैड में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सौम्या चौरसिया को लेकर सवाल दागा था। महीनों बाद भी सौम्या पर कार्यवाही ना होते देख वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव मुख्यमंत्री से रूबरू हुए थे। पत्रकार के सवाल पर मुख्यमंत्री बघेल ने चुप्पी साध ली थी। जबकि यह सवाल कोई निजी नहीं बल्कि वाजिब था। दरअसल लोक सेवक होने के नाते सौम्या पर वैधानिक कार्यवाही की जवाबदारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर ही है। 

मुख्यमंत्री की मंशा के बगैर कार्यवाही के लिए राज्य शासन की मंजूरी मिलना  नामुमकिन है। इस महत्वपूर्ण सवाल ही नहीं बल्कि ”राजधर्म” के पालन को लेकर मुख्यमंत्री बघेल बगले झांकते नजर आये। अलबत्ता अब खबर आ रही है कि सौम्या से जुड़े सवाल करने पर जनसंपर्क विभाग और राज्य सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। उन्ही पत्रकारों को मुख्यमंत्री से रूबरू होने दिया जा रहा है जो लेडी सुपर CM सौम्या को लेकर बघेल से कोई सवाल ही ना करे।देखे वीडियो………