दिल्ली/रायपुर – छत्तीसगढ़ के समाज कल्याण विभाग में हुए एक हजार करोड़ से ज्यादा के एनजीओं घोटाले की सीबीआई जांच पर विराम लगाने को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार और संदिग्ध अफसरों की याचिका पर आज सुनवाई होगी | सुप्रीम कोर्ट में नो-कोरेसिव एक्शन वाली याचिका से संदिग्ध अफसरों को काफी उम्मीदे है | उनकी दलील है कि बगैर सूचना और उनका पक्ष सुने बगैर हाईकोर्ट में उन्हें पार्टी बना दिया गया | जबकि इस घोटाले से उनका कोई लेना देना नहीं है | दरअसल समाज कल्याण विभाग में कथित एक हजार करोड़ से ज्यादा के एनजीओं घोटाले की सीबीआई जांच के निर्देश के बाद प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचा है | छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल कर अदालत से मांग की थी कि वो इस घोटाले की जांच राज्य की पुलिस और अन्य एजेंसियों से अदालत की देखरेख में कराने को तैयार है | लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की रिव्यू पिटीशन ख़ारिज कर दी थी | उधर याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि करोड़ों के इस घोटाले में पूर्व चीफ सेक्रेटरी और एसीएस समेत सात आईएएस और दर्जन भर प्रभावशील अधिकारी शामिल है | ऐसे में राज्य सरकार के अधिकारी संदिग्ध अफसरों के प्रभाव में निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएंगे |
बताया जाता है कि आज होने वाली सुनवाई में संदिग्ध अफसरों की ओर से देश के नामी-गिरामी वकील अदालत में उनका पक्ष रखेंगे | उन्हें उम्मीद है कि फैसला उनके हक में आएगा | जबकि जनहित याचिका दायर करने वाले कुंदन सिंह और उनके वकील देवर्षि ठाकुर को उम्मीद है कि आज दूध का दूध और पानी का पानी साफ़ हो जायेगा | उन्होंने अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए कैविएट भी दाखिल कर रखा है | हालांकि बिलासपुर हाईकोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार की रिव्यू पिटीशन ख़ारिज होने के बाद सीबीआई ने घोटाले की जांच तेज कर दी है | उसने समाज कल्याण विभाग में लगातार दो बार दबिश देकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किये | यही नहीं दर्जन भर अधिकारियों से सीबीआई ने प्रारंभिक पूछताछ भी की है | गौरतलब है कि इस घोटाले की विवेचना शुरू होते ही कई आला अधिकारियों की सांसे फूली हुई है |