दिल्ली वेब डेस्क / कांग्रेस ने सोमवार को देश के कई हिस्सों में केंद्र के खिलाफ जमकर हमला बोला | पार्टी ने डीजल पेट्रोल के दामों में रोजाना हो रही वृद्धि को लेकर केंद्र सरकार को आड़े हाथो लिया | उसने आरोप लगाया कि चंद दिनों में ही केंद्र ने 18 लाख करोड़ से ज्यादा की रकम इकठ्ठा की है | लेकिन लद्दाख में भारत और चीन सेना के बीच हुई झड़प में 20 जवानों की शहादत को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल कर अपनों का साथ खो दिया है | उसके कई साथी इस मामले में केंद्र सरकार के साथ खड़े हो गए है | एनसीपी नेता शरद पवार ने तो उसे नसीहत तक दी है | हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक लगातार मोदी सरकार को घेरने में जुटे हैं |
उधर कांग्रेस को चीन मुद्दे पर विपक्षी दलों के साथ-साथ सहयोगियों का भी हाथ और साथ नहीं मिल रहा है | एनसीपी प्रमुख शरद पवार से लेकर बसपा प्रमुख मायावती तक चीन मामले पर सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं | इस तरह से मोदी सरकार को घेरने की रणनीति में कांग्रेस अलग थलग पड़ गई है |
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन विवाद को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक में भविष्य की योजना और ताजा हालात पर चर्चा की थी | इसके बाद उन्होंने कहा था कि न तो किसी ने हमारी सीमा में प्रवेश किया है, न ही किसी भी पोस्ट पर कब्जा किया गया है | मोदी के इस बयान पर कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा था कि तो फिर 20 जवान कैसे शहीद हुए ? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक पीएम के इस बयान पर आक्रमक रुख अख्तियार किए हुए हैं |
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा था कि सीमा पर संकट के समय सरकार अपनी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताना चाहिए कि क्या वह इस विषय पर देश को विश्वास में लेंगे? साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी इस बारे में सच बोलें और चीन से अपनी जमीन वापस लेने के लिए कार्रवाई करें तो पूरा देश उनके साथ खड़ा होगा | इसके अलावा भी कांग्रेस इस मामले को लेकर लगातार मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है |
इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को कांग्रेस पर अचानक हमला कर दिया | उन्होंने कहा कि चीन के मुद्दे पर इस समय देश में कांग्रेस और भाजपा के बीच जो आरोप-प्रत्यारोप की घिनौनी राजनीति की जा रही है वो वर्तमान में कतई उचित नहीं है | इस राजनीतिक लड़ाई का चीन भी फायदा उठा सकता है और इसका देश की जनता को नुकसान हो रहा है | मायावती ने कहा कि देशहित के मसले पर बसपा केंद्र के साथ है, चाहे केंद्र में किसी की भी सरकार हो |
हालांकि मायावती ने इससे पहले सर्वदलीय बैठक में कहा था कि चीन के साथ सीमा पर हुई हिंसक झड़प पर लोगों की राय अलग-अलग हो सकती है लेकिन इस मुद्दे को पूरी तरीके से सरकार पर छोड़ देना चाहिए | उन्होंने कहा था कि जो देश के लिए बेहतर हो वह फैसला ले केंद्र सरकार , क्योंकि यह सरकार का दायित्व भी है | इस मामले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष को भी अपनी परिपक्वता दिखानी चाहिए |
यहीं नहीं कांग्रेस के सहयोगी दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी चीन मामले पर मोदी सरकार के साख खड़े हैं | शरद पवार ने जोर देते हुए कहा कि , ‘हम नहीं भूल सकते कि 1962 में क्या हुआ था | चीन ने हमारी 45 हजार स्क्वेयर किमी जमीन पर कब्जा कर लिया था | यह जमीन अब भी चीन के पास है, लेकिन वर्तमान में मुझे नहीं पता कि चीन ने जमीन ली है या नहीं, मगर इस पर बात करते वक्त हमें इतिहास याद रखना चाहिए | उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा था कि उसे राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए |’
पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने कहा कि यह किसी की नाकामी नहीं है | अगर गश्त करने के दौरान कोई (आपके क्षेत्र में) आता है, तो वे किसी भी समय आ सकते हैं | हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है | हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अभी युद्ध की कोई आशंका नहीं दिखती है | चीन ने जाहिर तौर पर हिमाकत तो की है, लेकिन गलवान में भारतीय सेना ने जो भी निर्माण कार्य किया है वह अपनी सीमा में किया है | इससे पहले भी पवार ने नसीहत देते हुए कहा कि चीन सीमा पर सैनिक हथियार लेकर गए थे या नहीं, यह अंतरराष्ट्रीय समझौतों द्वारा तय होता है | हम को ऐसे संवेदनशील मुद्दों का सम्मान करना चाहिए | इसे राहुल गांधी के बयान से जोड़कर देखा गया था |
उधर सपा प्रमुख व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी चीन मामले पर मोदी सरकार के साथ खड़े नजर आए | सपा अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा था कि चीन के हिंसक व्यवहार को देखते हुए भारत सरकार को सामरिक के साथ-साथ आर्थिक जवाब भी देना चाहिए | उन्होंने चीनी कंपनियों को दिए गए ठेके तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की मांग की | उन्होंने यह भी कहा कि चीनी-आयात पर अंकुश लगाना चाहिए | सरकार के ऐसे किसी भी प्रयास में समाजवादी पार्टी देशहित में सरकार के साथ है | मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी भारत-चीन विवाद पर कांग्रेस पर निशाना साधा और उसके बयानों को बेतुका करार दिया था |
कई मामले में मोदी सरकार के विरोध में खड़ी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी चीन मामले पर केंद्र सरकार के साथ खड़ी नजर आई | सर्वदलीय बैठक में ममता बनर्जी ने कहा था कि टीएमसी संकट की इस घड़ी में देश के साथ खड़ी है | ममता ने कहा था, ‘चीन एक लोकतंत्रिक देश नहीं है | वो एक तानाशाह है | वो जो महसूस करते हैं वह कर सकते हैं | दूसरी ओर, हमें साथ काम करना होगा | भारत जीत जाएगा, चीन हार जाएगा |’
इधर चीन मामले को लेकर गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री भी मोदी सरकार के समर्थन में उतर आए हैं | आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, मेघालय के मुख्यमंत्री के संगमा और सिक्किम के मुखयमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने बयान जारी कर केंद्र और पीएम मोदी का समर्थन किया है | जगनमोहन रेड्डी ने तो यह तक कहा कि प्रधानमंत्री के बयान पर विवाद को जबर्दस्ती पैदा किया गया है | उन्होंने इस तरह की मानसिकता पर चिंता प्रकट की |
तेलंगाना के सीएम केसीआर ने कहा था कि राजनीति में हमारे मतभेद हो सकते हैं , लेकिन हम सब देशभक्ति की डोर से एक-दूसरे से बंधे हुए हैं | पीएम के जवाबों से बिल्कुल स्पष्ट हो गया कि संप्रुभता की रक्षा के मुद्दे पर भारत का संकल्प कितना मजबूत है|’