बिलासपुर – पत्नी ने अपने ही पति के खिलाफ थाने में धारा 376 जबरदस्ती करने और 506 के तहत एफआईआर रजिस्टर्ड करवा दिया. इसके खिलाफ पति ने सीधे हाई कोर्ट की शरण ली और झूठा आरोप लगाने का तर्क प्रस्तुत किया. पति ने कोर्ट में कहा कि वो इस मामले में निर्दोष है. इतना ही नहीं पति ने खुद के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग भी कोर्ट से की. हाई कोर्ट ने पति के तर्क को गंभीरता से लिया और उसके खिलाफ थाने में दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया. साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले में अहम टिप्पणी भी की।
पति के खिलाफ पत्नी द्वारा दर्ज रेप के केस मामले में कोर्ट ने कहा कि जब वयस्क अभियोक्त्री और अभियुक्त विवाह कर पर्याप्त समय से पति-पत्नी जैसे रह रहे हों तो रेप का आरोप सिद्ध नहीं होता. दरअसल छत्तीसगढ़ के कोरिया निवासी कबीर दास का वहीं के रहने वाली युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा था. कबीर पहले से ही शादीशुदा था. उसने युवती को एसडीएम के समक्ष ले जाकर प्रेम विवाह की अनुमति मांगी, जिसमें युवती ने पहले से ही शादीशुदा कबीर दास से विवाह करना एसडीएम के समक्ष बयान दिया और मंदिर में जाकर विवाह कर लिया।
लंबे समय साथ रहने के बाद दोनों के बीच कुछ विवाद हुआ. इसको लेकर कबीर की पत्नी ने अपने ही पति के खिलाफ थाने में बलात्कार धारा 376 और 506 का अपराध दर्ज करा दिया. परेशान पति ने अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को निरस्त किए जानें की मांग को लेकर अधिवक्ता पुस्कर सिन्हा के माध्यम से बिलासपुर हाइ कोर्ट में याचिका दाखिल किया. मामले में पेश दस्तावेज और पति को पत्नी द्वारा जबरन फसाने का तर्क प्रस्तुत किया गया. कोर्ट ने दस्तावेजों और तर्क को सुनने के बाद पीड़ित पति के खिलाफ थाने में दर्ज एफआईआर को निरस्त कर दिया है. अधिवक्ता पुष्कर सिन्हा ने बताया कि मामले में कोर्ट ने पति को राहत दी है।