दिल्ली वेब डेस्क / कोरोना संक्रमण फ़ैलाने के लिए पहले तब्लीगी जमात और फिर प्रवासी मजदूरों का नाम सुर्ख़ियों में है | लेकिन अब बड़ी तादात में महिला यौनकर्मियों ने भी अपने राज्यों का रुख किया है | हालाँकि इनसे दूसरे किस्म का संक्रमण फैलने के आसार है | ये महिला यौनकर्मी रोजीरोटी की तलाश में महानगरों में स्थापित हो चुकी थी | लेकिन लॉक डाउन की वजह से उन्हें अपने घरों का रुख करना पड़ा |
ऐसे में कुछ कोरोना के खौफ के चलते तो कई जीवनयापन के लिए अपने गृह नगरों में लौट गई | कई सामाजिक संगठनों ने जब रेड लाइन ऐरिया और कोठो का रुख किया तब पता पड़ा कि आधी से कई ज्यादा युवतियां और महिलाये लॉक डाउन के दौरान अपने नए ठिकानों में जा चुकी है |
बताया जाता है कि दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से 60 प्रतिशत से अधिक यौनकर्मी अपने गृह राज्यों को लौट गई हैं। वे लॉकडाउन के कारण आजीविका के साधन खत्म होने के कारण भुखमरी की कगार पर आ गईं थी | अंतत: उन्होंने अपने गृह राज्यों में लौटना मुनासिब समझा। देश की बड़ी मंडी गंगा जमुना के तमाम कोठे इन दिनों खाली पड़े है | यहाँ ना तो अब नाच गाना होता है, और ना ही मुजरा |
कोलकाता के सोनाकाछी और दिल्ली का यही हाल है | यहाँ पहाड़ गंज से लेकर छतरपुर तक के तमाम ठिकानों में वीरानी छाई हुई है | मुंम्बई का हाल तो और बेहाल है | यहाँ के ज्यादातर डांस बार बंद पड़े है | रेड लाइन ऐरिया और कोठो की वीरानी बता रही है कि कोरोना के संक्रमण के खौफ ने उनका बाजार ख़त्म कर दिया है | बचे कूचे यौनकर्मियों को बीमारी के डर से ग्राहक नहीं मिल रहे जिसका असर उनकी आजीविका पर पड़ रहा है।
देशभर के यौन कर्मियों के लिए कानूनी अधिकार, स्वास्थ्य तथा सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर काम करने वाले समूह ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स की अध्यक्ष कुसुम ने कहा कि दिल्ली की 60 फीसदी यौनकर्मी अपने गृह राज्यों के लिए निकल चुकी हैं। एआईएनएसब्लयू की जानकारी के मुताबिक ‘सरकारी आंकड़ों में दिल्ली में पंजीकृत यौनकर्मियों की संख्या कुल पांच हजार है और गृह राज्यों को लौटने वाली यौनकर्मियों की संख्या तीन हजार है।’ उन्होंने कहा कि भोजन और दवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कई हफ्तों के संघर्ष के बाद उन्हें शहर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
फ़िलहाल बड़ी तादात में यौनकर्मियों के पलायन से स्थानीय पुलिस का सतर्क होना जरुरी है | यही नहीं तमाम राज्य सरकारों को भी इनकी सुध लेना होगा | उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ के साथ साथ रोजगार से जोड़ना होगा ताकि वे समाज की मुख्य धारा में लौट सके |