रायपुर / छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े झीरम घाटी सामूहिक हत्याकांड को लेकर एनआईए के पत्र ने खलबली मचा दी है | केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने राज्य सरकार को केस वापसी से इंकार कर दिया है | एनआईए के इस कदम से झीरम घाटी हत्याकांड की एसआईटी जांच लटक गई है | गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सत्ता संभालते ही झीरम घाटी में हुए सामूहिक हत्याकांड की जांच एसआईटी से कराने का फैसला लिया था | इसके लिए केस वापसी की मांग को लेकर राज्य सरकार ने एनआईए को पत्र लिखा था | केंद्रीय गृह मंत्रालय के एनआईए के केस वापसी के इंकार करने वाले पत्र के प्राप्त होने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर हमलावर रुख अपना लिया है | मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अब उनका शक और भी गहरा गया है | उन्होंने कहा कि हमारी आशंका गलत नहीं है | दाल में कुछ काला जरूर है , तभी मामले की जांच को लेकर एनआईए सहयोग नहीं कर रही है |
छत्तीसगढ़ विधानसभा में पत्रकारों से चर्चा करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार से NIA से झीरम मामले की केस फाइल वापस करने का अनुरोध किया था. लेकिन बहुत अफसोस के साथ उन्हें बताना पड़ रहा है कि आज ही केंद्र सरकार ने इस केस को वापस करने से मना कर दिया है, इसका पत्र आज ही मुझे मिला है, झीरम कांड साधारण घटना नहीं थी, ये एक सुपारी किलिंग थी और आज केंद्र सरकार के रूख से हमारा शक और भी बलवती होता है” | गौरतलब है कि 25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हमला कर पार्टी के 32 नेताओं और कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया था | इतनी बड़ी घटना के बावजूद तत्कालीन बीजेपी सरकार ने इस घटना की जिम्मेदारी के लिए किसी को भी ना तो दोषी ठहराया और ना ही समुचित जांच पर जोर दिया था |
फ़िलहाल एनआईए के इस रुख के बाद झीरम घाटी हत्याकांड का मामला और गहरा गया है | कांग्रेस ने केंद्र के इस कदम को पूरी तरह से शक के दायरे में ला खड़ा किया है | दरअसल एनआईए ने अपनी जांच में कई बड़ी खामियां बरती थी | उसने बस्तर में पदस्थ किसी भी जिम्मेदार पुलिस के अफसरों के ना तो बयान दर्ज किये और ना ही प्रोटोकॉल की प्रक्रिया को लेकर कोई जवाब तलब किया | बस्तर रेंज के तत्कालीन आईजी , सुकमा और जगदलपुर के पुलिस अधीक्षकों समेत कई पुलिस अफसरों से कोई पूछताछ नहीं हुई | अलबत्ता घटना के बाद उन्हें पुरुस्कृत करते हुए नए जिलों और पदों पर तैनाती दे दी गई | झीरम घाटी की एसआईटी जांच तब तक नहीं हो सकती , जब तक की एनआईए केस फाइल राज्य सरकार को नहीं सौंप देती | हालांकि एनआईए के इंकारनामे के बाद केंद्र और राज्य के संबंधो को लेकर तल्खी बढ़ने के आसार है |