छत्तीसगढ़ के निलंबित, डिमोटेड एडीजी और कई गंभीर मामलों के आरोपी मुकेश गुप्ता का नया शिगूफा , बहाली के लिए साढ़े तीन करोड़ खर्च कर देने का दावा , लोगों के गले नहीं उतर रहा चार सौ बीसी के आरोपी का नया ढोंग , बहाली के लिए फिर पैतरेबाजी का अंदेशा

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रायपुर/दिल्ली – छत्तीसगढ़ के निलंबित एडीजी और कई गंभीर मामलों के आरोपी मुकेश गुप्ता ने एक नया शिगूफा छोड़ा है | दिल्ली में सजी एक महफ़िल में उसने दावा किया है कि उसका निलंबन बहाल करने के लिए पांच करोड़ की सौदेबाजी हुई है | इसमें से उसने साढ़े तीन करोड़ रूपये अदा कर दिए है | उसका दावा है कि यह रकम उसने दो प्रभावशील अफसरों को सौंपी है | हालांकि जिन अफसरों का उसने नाम लिया , वो यकीन करने लायक नहीं है | दोनों ही अफसर धोखेबाजी और ठगी के इस आरोपी को बहाल करने के मामले से पहले ही  इंकार कर चुके है | मुकेश गुप्ता ने यह भी दावा किया है कि उसके खिलाफ दर्ज मामलों में चल रही कारवाईयाँ ,  सौदेबाजी के बाद ही थमी है | उसके मुताबिक अब नए-पुराने मामलों में उसके खिलाफ कोई कार्रवाई और जांच नहीं होगी | बताया जाता है कि दिल्ली के राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों अपनी बहाली को लेकर मुकेश गुप्ता खूब हाथ-पांव मार रहा है | उसकी दलील है कि बहाली के लिए उसने वो सब कुछ किया है , जिसकी जरूरत क़ानूनी और गैर क़ानूनी रूप से पड़ती है | 

हालांकि मुकेश गुप्ता के इस नए दावे को लोग उसकी तिकड़म से जोड़कर देख रहे है | गौरतलब है कि भ्रामक खबरे , फर्जी दस्तावेज और साजिश के जरिये अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले इस शख्स के दावे को अक्सर लोग संदेह की निगाह से देखते है | मुकेश गुप्ता की कार्यप्रणाली से विभागीय अफसर ही नहीं बल्कि प्रशासनिक हलकों और राजनैतिक गलियारों में लगभग हर कोई वाकिफ है | लिहाजा उसका यह दावा किसी के गले नहीं उतर रहा है | हालांकि लोगों के बीच यह भी चर्चा का विषय  है कि मुकेश गुप्ता के खिलाफ सालभर से ज्यादा वक्त से वैधानिक कार्रवाइयां आखिर क्यों ठप्प कर दी गई है ? जबकि उसके खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा गंभीर मामले लंबित है | इसमें बिलासपुर की जिला अदालत ने चार सौ बीसी के एक मामले में मुकेश गुप्ता एवं अन्य के खिलाफ जांच कर अपराध दर्ज करने के निर्देश दिए थे | गौरतलब है कि इस मामले में तमाम नामित आरोपियों के विरुद्ध जांच अब तक लंबित है | विधिक जानकार हैरान  है कि जब अदालत ने नामजद आरोपियों का ब्यौरा संबंधित आदेश में उल्लेखित किया था , तो फिर स्थानीय थाने में नामजद FIR क्यों नहीं दर्ज की गई ? 

बताया जाता है कि निलंबन के बाद से मुकेश गुप्ता पुलिस मुख्यालय से भी नदारद है | जबकि लगातार वो रायपुर , बिलासपुर समेत प्रदेश के चक्कर लगा रहे है |  उनके खिलाफ दो से अधिक विभागीय जांच भी लंबित है | मध्यप्रदेश के कार्यकाल की भी प्रकरण अब तक लंबित है | इसके बावजूद भी आरोपी पुलिस मुख्यालय में आमद नहीं दे रहा  है | यही नहीं निलंबन अवधि में आरोपी को पूर्ण वेतन का भुगतान किये जाने की खबर है | इस आरोपी पर पुलिस मुख्यालय भी आखिर क्यों मेहरबान है ? जानकार बता रहे है कि विभागीय जांच से नदारद होने और निलंबन अवधि में भी नियमानुसार उपस्थिति दर्ज नहीं करने की सूरत में आरोपी की बर्खास्तगी तक  की जा सकती है | लेकिन मुकेश गुप्ता के  खिलाफ इस मामले में भी कोई वैधानिक कदम नहीं उठाया गया है |

दुर्ग जिले के सुपेला थाने में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ चार सौ बीसी का एक अन्य मामला भी दर्ज  है | लेकिन इस मामले की जांच भी ठप्प है | इसके अलावा एसीबी-ईओडब्ल्यू में मुकेश गुप्ता के खिलाफ दो प्रकरण दर्ज है | जबकि चार अन्य मामलों की चल रही जांच अचानक रोक दी गई है | ये मामले भी काफी गंभीर और आपराधिक प्रवृति के बताये जा रहे है | यह भी बताया जा रहा है कि मुकेश गुप्ता की बेहद करीबी महिला पुलिस कर्मी रेखा नायर के खिलाफ दर्ज अनुपातहीन संपत्ति की जांच पूरी हो चुकी है | उसकी गिरफ्तारी एवं विवेचना के अन्य पहलुओं को लेकर मामला शासन के पास साल भर से ज्यादा वक्त से विचाराधीन है |  इन मामलों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने से लोगों को हैरानी हो रही है | 

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके परिजनों के खिलाफ मुकेश गुप्ता ने अपने प्रभाव और पद का दुरूपयोग करते हुए धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था | इस मामले में उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री के बुजुर्ग परिजनों को भी थाने में बुलवा प्रताड़ित किया था | हालांकि बाद में हुई जांच में इस प्रकरण को तथ्यहीन पाया गया | इसके उपरांत जांच एजेंसी ने विचाराधीन न्यायालय में खात्मा प्रकरण प्रस्तुत किया था | इसे न्यायालय ने मंजूर किया था | इस मामले में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की गई | जबकि झूठी रिपोर्ट दर्ज करना आपराधिक श्रेणी में आता है | 

डॉ. मिक्की मेहता हत्याकांड को लेकर भी मुकेश गुप्ता के खिलाफ अब तक कोई वैधानिक कार्रवाई नहीं की जा सकी है | जबकि डीजी स्तर की दो अलग अलग जांच में उसके खिलाफ गंभीर आपराधिक आचरण की पुष्टि हुई है | इस मामले में मुकेश गुप्ता के खिलाफ दफा 302 एवं दहेज़ प्रताड़ना अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किये जाने के तमाम तथ्य जांच रिपोर्ट में शामिल किए गए है | यह जांच रिपोर्ट भी लंबे अरसे से सरकारी आलमारी में कैद कर दी गई है |      

गौरतलब है कि आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ गंभीर आपराधिक प्रकरणों की लंबी फेहरिस्त है | लेकिन उसके खिलाफ तमाम प्रकरण सरकारी फाइलों में दर्ज होकर रह गए है | कानून के जानकार बता रहे है कि कोई भी प्रकरण छह माह से अधिक अवधि के लिए स्थगित नहीं रखा जा सकता | इस दिशा में माननीय सुप्रीम कोर्ट पहले ही निचली अदालतों को दिशा निर्देश दे चूका है | ऐसे में मुकेश गुप्ता को मिल रहा सरकारी संरक्षण सवालों के घेरे में है | जनता को साफतौर पर नजर आ रहा है कि कांग्रेस का प्रसिद्ध नारा ‘अब होगा न्याय’ का मुकेश गुप्ता जैसे आपराधिक किस्म के अफसरों के सामने दम निकल रहा है | पीड़ितों को उम्मीद है कि दुष्प्रचार में जुटे इस आरोपी के खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कदम उठाए जाने चाहिए | 

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