NEWS TODAY CG : कुदरत का करिश्मा, अम्मा बन गई माँ, अदालती दावों से सुर्खियों में छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री कार्यालय

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रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में सुपर सीएम का दर्जा रखने वाली एक चर्चित अधिकारी ने हाई कोर्ट में खुद के माँ होने का दावा कर जेल से अपनी रिहाई की मांग की है। राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय में उपसचिव के पद पर कार्यरत सौम्या चौरसिया ने अपनी जमानत याचिका में वैसे तो कई दावे किये है, लेकिन रातो रात खुद के माँ होने का दावा कर खलबली मचा दी है।

बताते है कि सौम्या चौरसिया अपनी गिरफ़्तारी के पूर्व आखिरी बार सीएम हाउस में नजर आई थी, वो कई मौको पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ सरकारी कार्य संपन्न करते देखी गई थी। सूत्र दावा करते है कि, 2 दिसंबर 2022 को आखिरी बार उन्होंने सौम्या को ED के कब्जे में देखा था, उनके मुताबिक सौम्या के दावों की जांच करवाने का फैसला साहब के हाथो में है, साहब हमेशा पीड़ित महिलाओ की मदद करने के मामलो में आगे रहते है, पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा। 

मुख्यमंत्री कार्यालय से सूत्र बताते है कि पिछले साढ़े चार सालो में सौम्या मैडम को न तो किसी ने गर्भवती अवस्था में देखा था, और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय में इससे संबंधित कोई रिकॉर्ड है। उनके मुताबिक कोर्ट में सौम्या के अदालती दावों से वे खुद भी हैरान है।

बताते है कि पीड़ित बच्चो के इलाज के दस्तावेजों में भी न तो माँ का असली नाम दर्ज है, और न ही बाप का, लेकिन औलाद असली होने से जनता की निगाहे पीड़ित परिजनों पर लगी हुई है।  

सीएम हॉउस के सूत्र दावा करते है कि मुख्यमंत्री के प्रभार वाले किसी भी विभाग में सौम्या मैडम के माँ बनने संबंधी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, उनके मुताबिक  सामान्य प्रशासन विभाग, विमानन, उड्डयन और वित्त विभाग में कोई लंबित फाइल नहीं है, उनके मुताबिक मंत्री टीएस सिंहदेव के स्वास्थ्य विभाग में भी मैडम का सीधा हस्तक्षेप है, वहां भी हमने खोज लिया, इस संबंध में कोई दस्तावेज वहां भी उपलब्ध नहीं है, लिहाजा सीएम कार्यालय में पदस्थ किसी गर्भवती महिला से शासन का कोई लेना देना नहीं है।

उधर सौम्या चौरसिया के अदालती दावों से राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारा गरमाया हुआ है। सूत्र बताते है कि सौम्या के करिश्माई दावों से कानून के जानकार भी हैरानी जता रहे है, उन्हें अंदेशा है कि पूरी दाल ही काली है, क्योकि अदालत में बचाव पक्ष ने सौम्या के उस दावे को कानून के तकाजे में रखा है, जिस मुद्दे पर मुख्यमंत्री कार्यालय को अदालत में घेरा जा सकता है, जानकार इसे अम्मा का शैतानी दीमाग बताते है। 

जानकारी के मुताबिक सोमवार को भी बिलासपुर हाई कोर्ट में सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर सुनवाई का अंतिम दौर जारी रहेगा, इसलिए बचाव पक्ष को सामने कर सौम्या चौरसिया ने बच्चो की दुहाई देकर खुद के माँ होने का दावा किया है। बताते है कि बाकायदा अदालती दस्तावेजों में सौम्या ने दो नग (एक जोड़ा) पाण्डुलिपि का ब्यौरा पेश कर अपनी रिहाई की मांग की है। 

सूत्र बताते है कि सौम्या चौरसिया की बिसात पर राजा की मान प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है, राजा उसके चंगुल में फंस चूका है, दरअसल जिन बच्चों की परवरिश का दावा अदालत में सौम्या चौरसिया द्वारा किया जा रहा है, वो काफी संगीन और भारत सरकार के दिशा निर्देशों के ठीक विपरीत बताया जाता है। ऐसे में कुदरती बच्चो के माँ-बाप की गुमनामी का मामला सुर्खियों में है, आखिर सौम्या नहीं तो कौन है, उन बच्चो के माँ-बाप, आखिर क्यों समाज की नजरो से बचाते हुए गुमनाम बच्चो की परवरिश भी अज्ञात स्थानों पर की जा रही है।

सूत्र बताते है कि अदालत में जिन बच्चो की परवरिश का दावा बचाव पक्ष द्वारा किया जा रहा है, उन बच्चों का विधिसंगत माता-पिता अथवा जैविक पिता भी समाज की नजरो से ओझल है, उनका कोई पता ठिकाना इन पीड़ित बच्चों से जुड़े सरकारी दस्तावेजों में दर्ज न होना किसी बड़े गड़बड़ झाले की तस्दीक कर रहा है।

बताया जाता है कि पीड़ित परिजन भी दोनों पांडुलिपियों के जैविक पिता की शिनाख्ती को लेकर दो-चार हो रहे है, बावजूद इसके  प्रभावशील परिवार के दबाव में पीड़ित बच्चो को अज्ञात हाथो में सौप दिया गया है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में ढाई हजार से ज्यादा गुमशुदा और लापता ऐसे बच्चे है, जिनकी उम्र एक से लगभग तीन वर्ष है, ऐसे बच्चो की खोजबीन पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है।

अंदेशा यह भी जाहिर किया जा रहा है कि सौम्या चौरसिया के गुर्गो ने ऐसे ही किसी पीड़ित परिवार के बच्चों पर हाथ साफ किया है,या फिर कोई प्रभावशील शख्स उसका पिता है, राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस और प्रशासन दोनों बच्चो के परिजन होने का दावा करने वालो को चलता कर रहे है, थानों में उनकी शिकायते दर्ज कर विवेचना करने के बजाय हाथो हाथ शिकायते लौटाई जा रही है, लिहाजा पीड़ित परिवार मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ-साथ पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगा रहा है।  

सूत्र बताते है कि पीड़ित राजकुमारों को सुरक्षित हाथो पर सौपे जाने और बच्चो का DNA परिक्षण कर उनके जैविक माता पिता की खोजबीन के लिए बिलासपुर हाई कोर्ट में एक पीड़ित ने अपनी याचिका दायर की है, इसमें दावा किया गया है कि सौम्या के कब्जे में उनके बच्चे है, जो भिलाई के सूर्या रेसीडेंसी इलाके से गायब हो गए थे।

बताते है कि पीड़ितों की शिकायत समय पर इसलिए दर्ज नहीं की गई थी, क्योंकि पुलिस और उसके अफसर सौम्या के हाथो की कटपुतली बने हुए थे, मामला अदालत के संज्ञान में आने के बाद, बताते है कि पीड़ित बच्चो के जैविक पिता से संपर्क किए जाने की भी खबर है,बताते है कि मम्मी के साथ उनकी मुलाकात के आसार बढ़ गए है। 

छत्तीसगढ़ में अम्मा के अदालती दावे कितनी देर टिकेंगे यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन पांडुलिपियों को गैरकानूनी कब्जे से छुड़ाने के लिए नन्हे राजकुमारों को गोद लेने के जनता के प्रयास कितने सार्थक होंगे इस ओर मुख्यमंत्री कार्यालय पर लोगो की निगाहे लगी हुई है।

कई निसंतान दंपत्ति सरकारी नौनिहालों को गैर क़ानूनी कब्जो से मुक्त कराये जाने की मांग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कर रहे है। उन्हें उम्मीद है कि सीएम साहब राजधर्म का पालन करते हुए माता-पिता से महरूम बच्चो को अपना दुलार देंगे।