रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में अदालतों के निर्देश किस तरह से रद्दी की टोकरी में डाले जा रहे है,इसकी बानगी ED के उन आरोपियों की मौज-मस्ती और डॉक्टरी इलाज़ से जुडे आँखों देंखे हाल से आंकी जा सकती है,जो इन दिनों मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में देश भर में सुर्खिया बटोर रहें है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक ED के तमाम आरोपियों में से एक प्रभावशील आरोपी सुनील अग्रवाल और उसकी समस्त श्रोतो से अर्जित बीमारियों से अब मनी लॉन्ड्रिंग की बू आने लगी है।
बताते है कि इलाज़ के दौरान समस्त कुख्यात-विख्यात डॉक्टरों ने तमाम उच्चस्तरीय जांच और हुनर आजमाने के बाद भी अपने मरीज को ठीक करना तो दूर उसके मर्ज की असल वजह ढूंढ निकालने में अब तक कोई विशेष कामयाबी हासिल कर पाए है,तमाम डॉक्टरी इलाज के बाद अब दुआओ का दौर शुरू हो गया है।
बताते है कि बगैर बीमारी के शख्स जितना चुस्त-दुरुस्त रह सकता है,कथित रूप से अज्ञात बिमारी से ग्रसित सुनील अग्रवाल भी ऐसे ही दौर से गुजर रहे है। लिहाजा अदालती फरमान उनकी जान बचाने के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है,कभी सेन्ट्रल जेल से अस्पताल तो कभी अस्पताल से घर का चक्कर लगा कर वापिस अपने ऐशगाह में सुनील अग्रवाल के दाखिल होने का मामला लोगो को दांतो तले ऊँगली दबाने पर मजबूर कर सकता है। आधिकारिकतौर पर अभियुक्त सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका बिलासपुर हाई कोर्ट कई दिनों पहले खारिज कर चुका है।
न्यूज़ टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक शुरूआती दौर से ही रायपुर सेन्ट्रल जेल से सरकारी अस्पताल में दाखिल हुए सुनील अग्रवाल इतने अधिक बीमार है कि उन्हें सर्वसुविधा युक्त सरकारी मेकाहारा से एक और अधिक आधुनिक और मल्टीस्पेसलिटी अस्पताल में गहन इलाज के लिए स्थानांतरित किया गया था।
इस इलाज के दौरान से सुनील अग्रवाल आखिर कब अस्पताल से रायपुर सेन्ट्रल जेल में आवाजाही कर रहे है,यह खोज का विषय बन गया है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने रायपुर सेन्ट्रल जेल के जिम्मेदार अधिकारियो से ED के तमाम अभियुक्तों के हाल चाल और स्वास्थ की स्थिति जानने को लेकर संपर्क किया था। लेकिन अधिकारियो ने इस मामले में सीधे कन्नी काट ली।
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में वामपंथी विचारधारा से ओत प्रोत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार आखिर क्योँ ED के कुख्यात आरोपियों की तीमारदारी में जुटी हुई है,यह केंद्र और राज्य सरकार की निष्पक्ष जांच एजेंसियों के लिए विवेचना का विषय बन गया है। सूत्र बताते है कि ED के हत्थे चढ़े अरब-खरबपति कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल के इन दिनों चारो हाथ घी में और सिर कढ़ाई में है।
लम्बे समय से डॉक्टरी इलाज़ के नाम पर सेन्ट्रल जेल रायपुर से फाइव स्टार फेसेलिटी वाले अस्पतालों में इन दिनों कोयला कारोबारी सुनील अग्रवाल की धूम है,धूम भी ऐसी की ऐशो आराम का इलाज़ देखकर अच्छे-खासे गंभीर बीमारियों के मरीज भी तुरंत चुस्त-दुरुस्त हो जाए।
जानकारी के मुताबिक ED के आरोपी सुनील अग्रवाल इतने अधिक बीमार है कि दिनों-दिन उनका इलाज़ सरकारी अस्पतालों से लेकर नामी गिरामी सर्वसुविधा युक्त अस्पतालों में होने के बावजूद कोई राहत नहीं मिल पाई है। उनके ख़राब स्वास्थ को दृष्टिगत रखते हुए सेन्ट्रल जेल रायपुर के भीतर पदस्थ सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की मेहरबानी से बामुश्किल उनकी जान बची है, चर्चा का विषय बना हुआ है कि,मेकाहारा के विशेषज्ञ डाक्टरों को भी सुनील अग्रवाल की बिमारी पकड़ में नहीं आई,लिहाजा उन्हें भी उस बीमारी को पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। वही निजी अस्पतालों में इलाज़ के नाम पर रोजाना लाखो का खेल कर रहे डॉक्टर भी इस लाइलाज बिमारी पर काबू पाने में नाकामयाब होते दिख रहे है।
सुनील अग्रवाल की चिंताजनक हालात से ED के सामने एक नई चूनौती खड़ी हो गई है,बताते है कि इतने महत्वपूर्ण आरोपी का उच्चस्तरीय इलाज यदि जल्द ही दिल्ली स्थित किसी बड़े अस्पताल में नहीं कराया गया तो रायपुर के गैर पेशेवर निजी अस्पताल में उनकी जान जोखिम में पड़ सकती है। पीड़ित सूत्रों के मुताबिक दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में ED के आरोपियों को स्थानांतरित कर उनके समुचित इलाज की जवाबदारी प्रवर्तन निदेशालय को उठाना चाहिए।
शिकायतकर्ताओं के मुताबिक रायपुर सेन्ट्रल जेल और इलाज के नाम पर ED के आरोपियों को संरक्षण प्रदान कर रहे सरकारी-गैरसरकारी अस्पताल सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है,इलाज के साथ अस्पताल के बिलो का भुगतान भी मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में बताया जा रहा है। एक शिकायत के मुताबिक सुनील अग्रवाल इसके पूर्व ED के अधिकारियो को घूस देने के मामलों में भी सुर्खियों में रहे है।
जानकारी के मुताबिक अभियुक्तों ने ईडी की कार्रवाई को प्रभावित करने और एजेंसी के ज्वाइंट डायरेक्टर समेत कई अधिकारियों से सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए भरसक प्रयास किए थे। इसके तहत कोयला घोटाला मामले में जेल में बंद आरोपित सुनील अग्रवाल के परिजनो से कथित रूप से 20 लाख रूपए राजेश चौधरी नामक व्यक्ति को सौंपे थे। ED ने उसे मुंबई से गिरफ्तार किया था। फिलहाल राजस्थान पुलिस भी राकेश चौधरी से पूछताछ में जुटी है।
बताते है कि कोयला घोटाला और अवैध वसूली मामले में सूर्यकांत तिवारी, लक्ष्मीकांत तिवारी, निलंबित आईएएस समीर बिश्नोई और सौम्या चौरसिया समेत तीन अन्य आरोपी सुनील अग्रवाल के जरिए ED के अरमानो पर पानी फेरने में जुटे हुए है। इसके लिए अदालती आदेशों की अवहेलना और उल्लंघन किए जाने की घटनाए भी सामने आ रही है।