बालाघाट / मध्यप्रदेश के महाकौशल और उससे जुड़े विदर्भ में नारबोद के त्यौहार का विशेष महत्व है | यह पर्व खेती किसानी से जुड़ा है | कृषि की संपन्नता और अच्छी पैदावार के लिए किसान समुदाय आज के दिन ईश्वर से प्रार्थना करता है | माना जाता है कि नारबोद के दिन खेतों में बुआई का दौर ख़त्म हो जाता है | किसान अपने उपकरणों को हिफाजत से रखते है और कृषि में मदद करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करते है | आज के दिन वे अपने बैलों की पूजा भी करते है | खेत खलियानों में पारंपरिक ढंग से भगवान की पूजा की जाती है | इसके साथ ही बैलों को सजाया सवारा जाता है | बस्तियों में किसानों और उनके बैलों का हुजूम लगता है | नाच – गा कर ये लोग खुशियां मनाते है |
माना जाता है कि यह पर्व किसानों की समृद्धि ही नहीं बल्कि उनकी तनाव मुक्त जीवन शैली का पैगाम देता है | राज्य के बालाघाट में नारबोद की अनुपम छटा आज भी देखने को मिलती है | यह भी कहा जाता है कि खेल खलियानों में होने वाली पूजा में किसान उन ख़राब वस्तुओं को अपने से दूर करने की प्रार्थना करते है जो उन्हें बेहद परेशान करती है और उनके लिए आये दिन मुसीबत खड़ा करती है | किसान समुदाय देवी से प्रार्थना करता है कि नारबोद उस समस्या को अपने साथ लेकर जा | इस दौरान कई जगह उस मुसीबतों का नाम लेकर उसका पुतला भी जलाया जाता है | जंगलों में निवासरत आबादी अपने घरों के सामने तेन्दु, पलाश और नीम के शाखाएं लगाते है | ये हरी भरी शाखाये संपन्नता का प्रतीक मानी जाती है |
बालाघाट जिले में गांव से लेकर शहरों तक परंपरागत तरीके से नारबोद का पर्व मनाया जाता है | इस जिले की सीमा अन्य दो राज्यों छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र से भी जुडी हुई है | लिहाजा दोनों राज्यों के सरहदी इलाकों में इस दिन ग्रामीण बस्तियों का नजारा रंग बिरंगा नजर आता है | मौज मस्ती के साथ झूमते ग्रामीण नारबोद का नारा लगाते है | चारों ओर इसकी गूंज सुनाई देती है |
महाराष्ट्र के गोंदिया और बालाघाट की सरहद पर स्थित रजेगांव में लोगों ने कोरोना का पुतला जलाकर नारबोद से उसे अपने साथ ले जाने की प्रार्थना की | घेऊंन जा री नारबोद… कोरोना ले जा री नारबोद… के नारे के साथ लोगों ने इस पर्व की छठा बिखेरी | इस बार लोगों ने कोरोना के संक्रमण को देखते हुए उसे गांव-बस्ती और जिले की सीमा से बाहर करने मारबत का पुतला जलाया। पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद खास परंपरा आज भी यहाँ नजर आई |
महाराष्ट्र के विदर्भ के इलाकों में ग्रामीण यह त्यौहार कई पीढ़ियों से होली मिलन की तर्ज पर मनाते है | इस दिन परंपरा अनुसार वे मारबत राक्षणि पूतना के पुतले के रूप में बुराइयों को नष्ट करते है | गांव-बस्ती से दूर ले जाकर पुतले को जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पुतले को गांव से बाहर ले जाते समय लोग अपनी समस्याओं और बुराईयों के साथ बीमारियों को भी गांव की सीमा से बाहर खदेड़ देते है |
इस बार नारबोद पर्व पर कोरोना की मार देखने को मिल रही है | बालाघाट में भी कोरोना संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है | लिहाजा जिले में कई तरह के प्रतिबंध जारी है | बालाघाट में अब कोरोना के मामलों में आई तेजी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है | जिले में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या 49 पहुँच गई है | अब तक 218 मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए है | इसमें से 165 मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके है | जबकि एक मरीज की मृत्यु हुई है | जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉक्टर मनोज पांडे के मुताबिक विभिन्न हिस्सों में टेस्टिंग जोरो पर है | ताकि संक्रमितों का जल्द इलाज किया जा सके |