रिपोर्टर – मनोज सागर
बालाघाट वेब डेस्क / मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में टिड्डियों का प्रवेश हो चूका है | महारष्ट्र के तुमसर से टिड्डियों के दल ने खैरलांजी के चिचोली इलाके के कई खेत खलियानों को चट कर दिया | मानूसन पूर्व खेत खलियानों में अगली फसल की तैयारी की जा रही है , लिहाजा टिड्डियों को खड़ी फसल चट करने का मौका नहीं मिला | फिर भी पेट भरने के लिए उन्होंने साग सब्जियों के पौधों पर हमला बोला | कई खेत खलियानों में आम की फसल को वे चट कर गए |
भीषण गर्मी के बावजूद टिड्डियों की रफ़्तार में कोई कमी नहीं आई है | वे अपनी पूरी छमता के साथ उड़ान भर रहे है | उनका अगला पड़ाव हवा के रुख पर निर्भर करेगा | दरअसल टिड्डियों का दल उस ओर रुख करता है , जिस ओर हवा की दिशा होती है | अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि टिड्डियों का दल छत्तीसगढ़ या फिर महाराष्ट्र की ओर रुख कर सकता है | दरअसल बालाघाट में हवाओं की दिशा पश्चिम-उत्तर की ओर बताई जा रही है |
उप संचालक कृषि श्री सी आर गौर ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे टिड्डी दल के बालाघाट जिले में प्रवेश की संभावना को देखते हुए अपने खेत में लगी फसल की सुरक्षा के लिए खेत में ढोल, ड्रम या अन्य साधन से तेज ध्वनि व शोर करें और कीटनाशक का छिड़काव भी करें। टिड्डी दल के पड़ोसी महाराष्ट्र के भंडारा जिले की तुमसर तहसील में पहुंचने की सूचना मिल रही है। अतः बालाघाट जिले के किसान सावधान हो जाएं और अपने खेतों में लगी फसलों की सुरक्षा करें।
उप संचालक गौर ने बताया कि टिड्डी दल समूह में रात्रिकालीन समय शाम 7 बजे से रात्रि 9 बजे के बीच फसलों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाता है। साथ ही जमीन में लगभग 500 से 1500 अंडे प्रति मादा कीट देकर सुबह उड़कर दूसरी तरफ चला जाता है। टिड्डी दल के समूह में लाखों की संख्या होती है। ये जहां भी पेड़-पौधे या अन्य वनस्पति दिखाई देती है, उसको खाकर आगे बढ़ जाते हैं। टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव हेतु किसान भाइयों को सलाह दी गई है कि वे अपने स्तर पर अपने गांव में समूह बनाकर खेतों में रात्रि के समय निगरानी रखें।
यदि टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो तत्काल इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन, कृषि विज्ञान केन्द्र सहित किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग को दें। यदि किसी गांव में टिड्डी दल का आक्रमण होता है तो सभी किसान एवं ग्रामीण भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के उपाय जैसे ढोल बजाकर, डीजे बजाकर, थाली, टीन के डिब्बे से शोर मचाकर, ट्रेक्टर का साइलेंसर निकालकर चलाएं तथा अन्य ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से तेज आवाज कर टिड्डी दल को खेतों से भगाया जा सकता है।
इसी प्रकार यदि शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप होता है तो टिड्डी की विश्राम अवस्था में सुबह 3 बजे से 5 बजे के बीच में तुरंत कीटनाशी दवाएं ट्रेक्टर चलित स्प्रेयर पम्प (पावर स्प्रेयर) से क्लोरपायरीफास 20 ईसी 200 मिली या लेम्डासाइलोइन 5 ईसी 400 मिली या डाईफ्लूबेंजुसन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 ली पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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रासायनिक कीटनाशी पावडर फेनबिलरेड 0.4 प्रतिशत 20 से 25 किलो या क्यूनालफास 5 प्रतिशत 25 किलो प्रति हेक्टेयर भुरकाव करें। टिड्डी दल के आक्रमण हो जाने के बाद यदि कीटनाशी दवा उपलब्ध न हो सके तो इस स्थिति में ट्रेक्टर चलित पावर स्प्रेयर के द्वारा पानी की तेज बौछार चलाकर भी टिड्डी दल को भगाया जा सकता है।