एक रिपोर्ट में खुलासा : लॉकडाउन के कारण बड़े पैमाने पर गईं नौकरियां, बेरोजगारी 43 महीने की ऊंचाई पर , मार्च माह में  8.7 फीसदी रही जबकि फरवरी में बेरोजगारी की दर 7.78 फीसदी थी , सरकारी निर्देशों के बावजूद निजी सेक्टर कर्मचारियों की छीन रहा है नौकरी  

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दिल्ली वेब डेस्क / भारत में कोरोना के संक्रमण से ज्यादा चर्चा अब रोजगार को लेकर होने लगी है | दरअसल लॉक डाउन के कारण कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है | कई नियोक्ता घर बैठे तनख्वाह देने को तैयार नहीं है | लिहाजा उन्होंने  कर्मचारियों को नौकरी से हटाना शुरू कर दिया है | कई उद्योग धंधों में प्रोडक्शन यूनिट से जुड़े कर्मियों की छटनी कर दी गई है | भले ही सरकार दावा कर रही हो कि निजी सेक्टर के कर्मचारियों की तनख्वाह में कटौती नहीं होगी , और ना ही उन्हें नौकरी से निकाला जाएगा | लेकिन निजी सेक्टर में कई प्रतिष्ठानो ने सरकार के निर्देशों की धज्जियां उड़ा दी है |स्कूल टीचर ,इंजीनियर,ऑपरेटर,टेक्नीशियन और सेल्समेनों के अलावा कई पदों पर कार्यरत लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है | नतीजतन कोरोना का प्रकोप भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कहर साबित हो रहा है | 

एक रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के बाद अब तक देश में बेरोजगारी बढ़कर 23 फीसदी, जबकि शहरों में बेरोजगारी 31 फीसदी पहुंच गई है |  सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी  की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है | मार्च में पूरे महीने की बात की जाए तो बेरोजगारी दर पिछले 43 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है | सीएमआईई के अनुसार, मार्च के पहले सप्ताह में देश में रोजगार की हालत काफी खराब होनी शुरू हुई और महीने के अंत में स्थिति काफी बिगड़ गई |  सीएमआईई एक निजी थिंक टैंक है. CMIE के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल, 2020 के पहले सप्ताह में भी रोजगार की हालत काफी दयनीय रही | 

CMIE के अनुसार लॉकडाउन के दौरान कुल बेरोजगारी की दर बढ़कर 23.4 फीसदी तक पहुंच गई, जबकि शहरी बेरोजगारी की दर बढ़कर 30.9 फीसदी तक पहुंची | रिपोर्ट के अनुसार मार्च में पूरे महीने की बात की जाए तो बेरोजगारी दर 8.7 फीसदी रही | यह पिछले 43 महीने की सबसे ज्यादा बेरोजगारी है | मार्च के अंतिम सप्ताह में बेरोजगारी दर बढ़कर 23.8 फीसदी तक पहुंच गई. इसके पहले अगस्त 2016 में बेरोजगारी की दर 9.59 फीसदी थी | CMIE के सीईओ महेश व्यास ने इसकी वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट में कहा, ‘मार्च 2020 में श्रम भागीदारी दर अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई | बेरोजगारी दर काफी तेजी से बढ़ा और रोजगार दर अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई|’

 लॉक डाउन की  वजह से सिर्फ जरूरी सेवाओं और दुकानों को छोड़कर बाकी सभी तरह के रोजगार-धंधे पूरी तरह से बंद हो चुके हैं | हालांकि उद्योग सेक्टर से जुड़े लोग मानते है कि जान है तो जहान है | लॉक डाउन खुलने के बाद एक बार फिर अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी और हालात सामान्य हो जायेगे |