रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के समस्त प्रकार के विभागों में भ्रष्टाचार पूरी तरह से अपनी जड़े जमा चुका है।छत्तीसगढ़ शासन का शायद ही ऐसा कोई विभाग हो, जहां लेन-देन शिष्टाचार में ना तब्दील हो गया हो। पीड़ित बताते हैं कि ईमानदारी का कार्य करते करवाते चप्पल घिंस जाएगी फिर भी कार्य नही होगा। जबकि बेईमानी का कार्य घर में बैठे बैठे और मोबाइल का बटन दबाने के साथ ही नियमानुसार संपन्न हो जाएगा। कई सरकारी योजनाओं का यही हाल है। सरकारी दफ्तरों की यही कार्यप्रणाली बन गई है।
प्रदेश में कायदे कानूनों को तोड़ मरोड़ कर आखिर किस तरह से दिन दुनी रात चौगनी कमाई की जा सके, यही कई सरकारी अधिकारियों का ध्येय बन गया है। लेकिन अब इस पर लगाम कसी जा रही है। प्रशाशनिक अधिकारी जहां अपने कर्तव्यों को लेकर सक्रिय हो रहे हैं वहीं अदालतें भी बोल रही हैं। उसके फरमान भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैए का संदेशा दे रहे हैं।ताजा मामला सारंगढ़ उप जेल का है, राज्य में पहली बार किसी जेल अधिकारियों को अदालत द्वारा उसी जेल में न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है। घटना जेल में निरुद्ध बंदियों से उगाही करने से जुड़ी है।
खबर आ रही है कि छत्तीसगढ़ की सारंगढ़ जेल के जेलर को निलंबित करने के बाद बतौर आरोपी उसी जेल में दाखिल करा दिया गया है, जहां वे पदस्थ थे। चंद दिनों पहले तक इस जेल में जेलर साहब की तूती बोला करती थी लेकिन अब बतौर बंदी उसी जेल में उन्हें वक्त गुजारना पड़ रहा है।जेलर साहब के साथ उनके गिरोह के वो 4 प्रहरी भी जेल दाखिल कराए गए हैं,जो मिल जुल कर अवैध उगाही के कारोबार में लिप्त पाए गए थे। सूत्रों के मुताबिक निलंबित जेलर समेत आरोपी बनाए गए प्रहरियों को अवैध उगाही के मामले में स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था। यहां सुनवाई के बाद सभी आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने के निर्देश दिए गए थे। बताया जाता है कि कोर्ट ने सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
हाल ही में गौरतलब है कि सारंगढ़ जेल में बंदियों से अवैध उगाही के मामले का सनसनीखेज खुलासा हुआ था। पीड़ित बंदी ने विडियो बनाकर अपनी आप-बीती सुनाई थी। उसने बताया था कि जेल में खुद जेलर साहब ही अवैध वसूली करते हैं, रकम नही देने पर बुरी तरह से मारा पीटा जाता है। इस बंदी के पूरे शरीर में चोट के निशान पाए गए थे।इस विडियो के वायरल होने के बाद जेल प्रशासन ने फौरन घटना की जांच कर जेलर समेत 4 प्रहरियों को निलंबित कर दिया था। इसके साथ ही जिला प्रशासन ने भी दोषी पाए गए जेल स्टॉफ के खिलाफ़ वैधानिक कार्यवाही के लिए पुलिस को निर्देशित किया था। बताते हैं कि आरोपी जेल अधिकारियों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किया गया था। सूत्रों के मुताबिक कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं को गंभीरतापूर्वक लिया है। मामले की सुनवाई जारी है।