पत्नी का पति के अलावा किसी और के साथ घूमना एडल्ट्री नहीं,हाईकोर्ट का फरमान,यूँ ही लांछन लगाने वाले इस फैसले को जरूर पढ़ें

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जबलपुर : अब पति-पत्नी और वो के मामले में अपना नजरिया साफ़ कर ले लोग। यूँ ही लांछन लगाने वाले हाई कोर्ट के इस फैसले को जरूर पढ़ें। इस मामले में पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी. उसने एडल्ट्री और क्रूरता के आधार पर शादी को खत्म करने की कोर्ट से मांग की। एक फैसले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पत्नी का पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति से मिलना या उसके साथ घूमना एडल्ट्री नहीं माना है। 

बेंच में जज विवेक रूसिया और जज अमर नाथ ने कानून की व्यापक व्याख्या की है। पीठ ने उस आदेश को बरकरार रखा है,जिसमें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि यह कानून है कि केवल पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ घूमना पत्नी के खिलाफ एडल्ट्री नहीं है।

कोर्ट ने ये साफ किया कि यह स्थापित करने के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण होना चाहिए कि वह अपने पति के अलावा किसी अन्य के साथ समझौता या एडल्ट्री में देखी गई. इसके बिना एडल्ट्री के आरोप को स्थापित नहीं किया जा सकेगा. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि केवल पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से मिलना या घूमना एडल्ट्री नहीं है। 

दरअसल एक पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की थी. उसने एडल्ट्री और क्रूरता का हवाला देते हुए शादी को खत्म करने की मांग की थी. पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी अन्य व्यक्ति के साथ रह रही है. पति का यह भी आरोप है कि उसने अपनी मां के साथ मारपीट की थी। इसके चलते उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस प्रकरण को एडल्ट्री और क्रूरता के आधार पर तलाक का हकदार बताते हुए, तलाक की मांग की थी।

अपने आरोपों को साबित करने के लिए पति ने कहा कि उसने अपनी पत्नी को एक आदमी के घर जाते देखा था।पत्नी ने इन सारे आरोपों को सिरे से खारिज किया था। उसने लिखित बयान दर्ज कराया कि उसके पति की दूसरी शादी में दिलचस्पी थी, इसलिए उसने उसे छोड़ दिया. याचिकाकर्ता की पत्नी ने यह भी कहा कि वह अभी भी एक पत्नी के रूप में पति के साथ रहने और वैवाहिक दायित्वों को निभाने के लिए तैयार है। 

कोर्ट ने जोर देकर कहा कि पत्नी का केवल किसी अन्य व्यक्ति से मिलना  या साथ में घूमना एडल्ट्री नहीं है। कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन का फैसला करते हुए ट्रायल कोर्ट फैसले को ध्यान में रखने से भी इनकार कर दिया। 

कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत संक्षिप्त कार्रवाई होती है। यहां आरोप और प्रति आरोप उचित संदेह से परे स्थापित होने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। इसलिये ट्रायल कोर्ट के आवेदन को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता द्वारा उठाए गए आधार में भी कोई सार नहीं मिला है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में अपीलकर्ता की मां द्वारा पत्नी के खिलाफ क्रूरता का मामला दर्ज कराया था,इस मामले में पत्नी को प्रोबेशन ऑफ ऑफेंडर्स एक्ट का लाभ दिया गया। फिलहाल,पति के अरमानों पर पानी फिर गया है।