रायपुर/दिल्ली। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव की बेला में भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपियों के खिलाफ EOW और ED का कसता शिकंजा चर्चा में है। तरोताजा घटनाक्रम में छत्तीसगढ़ की पूर्व राजमाता और पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे की “विश्वस्त” डिप्टी कलेक्टर की जमानत पर कोर्ट ने फैसला 16 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया है। रायपुर की विशेष अदालत में आरोपी तत्कालीन उपसचिव ने अपनी जमानत को लेकर एक याचिका रायपुर की विशेष अदालत में पेश की थी। इस याचिका पर आज सुनवाई हुई, अदालती सूत्रों के मुताबिक अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्कों और दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। बताया जाता है कि आरोपी की ओर से कानून के जानकारों और कई वकीलों की टोली को अदालती मैदान में उतारा गया था।
बचाव पक्ष ने डेढ़ साल से ज्यादा वक्त से जेल की हवा खा रही पूर्व राजमाता की सेहत और परेशानियों का हवाला देते हुए अदालत से जमानत की मांग की थी। यह भी बताया जाता है कि ED की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाते हुए पूर्व राजमाता की ओर से उनकी जमानत स्वीकृत किए जाने को लेकर लंबी चौड़ी बहस भी की गई। हालाकि अभियोजन की ओर से ED और EOW की कार्यवाही और जांच का हवाला देकर आरोपी की जमानत का विरोध किया गया। बताते हैं कि अभियोजन ने नपी-तुली दलीलें पेश कर पूर्व राजमाता और उसके गिरोह का काला चिट्ठा कोर्ट के समक्ष पेश किया। उसने आरोपी की जमानत का कारणों सहित विरोध कर बचाव पक्ष पर कई गंभीर आरोप लगाए। सूत्र बताते हैं कि जमानत पर बहस पूर्ण हो चुकी है, फिलहाल अदालती फैसले का इंतजार है।
उधर ED की विशेष अदालत ने कारोबारी अनवर ढेबर , अरविंद सिंह और शराब माफिया आबकारी विभाग के पूर्व उपसचिव एपी त्रिपाठी को 18 अप्रैल तक EOW की रिमांड में भेज दिया है। आरोपी एपी त्रिपाठी को बिहार के गोपालगंज से हिरासत में लिया गया था। इधर शराब घोटाले के आरोपियों को लेकर एक ओर जहां अदालती कार्यवाही में गहमा-गहमी देखी गई वहीं दूसरी ओर कई कारोबारियों के ठिकानों पर EOW की दबिश से राजनैतिक पारा भी ऊपर चढ़ता नजर आया। शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक शराब घोटाले की धूम रही, मामले में EOW की सक्रियता से पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे गिरोह में सनसनी है। भू-पे के कई कारोबारी मित्र मंडली पर EOW और ED की पैनी निगाह बताई जाती है। EOW ने एक बार फिर अचानक छापेमारी कर आबकारी महकमे की नींद उड़ा दी है। कई अधिकारियों को गिरफ्तारी का अंदेशा सता रहा है।
जानकारी के मुताबिक शराब कारोबारी अनवर ढेबर के कई ठिकानों पर EOW की दबिश से आबकारी महकमा हैरत में है। दावा किया जाता है कि कारोबारी अनवर ढेबर शराब घोटाले में सिर्फ सहयोगकर्ता के रूप में कार्यरत रहे, जबकि घोटाले की असल रकम से भू-पे बघेल और उनका परिवार लाभान्वित हो रहा था। सूत्रों द्वारा दावा किया जा रहा है कि कारोबारी अनवर ढेबर ने शराब घोटाले की हकीकत से EOW को अवगत कराया है। ढेबर ने अपनी स्थिति और बेगुनाही साबित किए जाने को लेकर जांच अधिकारियों को कई तथ्यों से रूबरू कराया है। सूत्रों का कहना है कि भू-पे और सौम्या चौरसिया ने घोटाले की बड़ी रकम हवाला के जरिए दुबई ट्रांसफर की थी ।
इस रकम का बड़ा हिस्सा भू-पे बघेल के पुत्र बिट्टू के रियल इस्टेट कारोबार में भी निवेश किया गया है। भिलाई में भू-पे और उसके गिरोह ने रियल इस्टेट कारोबार में अरबों का निवेश किया है। इस मामले की जांच जारी है। बताते हैं कि ED के हालिया छापेमारी में रियल इस्टेट कारोबार में निवेश सम्बंधी कई सबूत एजेंसियों के हांथ लगे हैं। यह दस्तावेज भिलाई के चौहान बिल्डर्स के ठिकानों से जब्त किए गए थे। गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे का खेती किसानी करने वाला पुत्र बिट्टू भी बीते 5 सालों में बिल्डर बन गया था। उसने पिता से प्राप्त काली कमाई से बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदी और उस पर विट्ठलपुरम नामक कॉलोनी बसाई है। सूत्रों के मुताबिक भ्रष्टाचार की रकम से चमचमाती इस रियासत की नींव शराब और महादेव ऐप घोटाले से अर्जित संपत्ति से निर्मित होना बताई जाती है। इस मामले को लेकर ED भू-पे पुत्र बिट्टू से भी पूछताछ में जुटी है।
भू-पे के अलावा उसके पुत्र के खिलाफ भी अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने के कई प्रमाण एजेंसियों के हांथ लगे हैं। राज्य के 36 हजार करोड़ के नान घोटाले और 22 सौ करोड़ के शराब घोटाले में लिप्त पाए गए पूर्व IAS अनिल टुटेजा और उन पर आश्रित पुत्र यश टुटेजा की आकूत संपत्ति की भी पड़ताल जारी बताई जा रही है. बताते हैं कि टुटेजा के सुपर सीएम बनने के बाद उसके नाते-रिश्तेदारों से लेकर नौकर-चाकरों के नाम पर भी बड़े पैमाने पर चल-अचल संपत्ति की खरीद फरोख्त की गई है। इसमें भी नगदी का भरपूर इस्तमाल किया गया था। फिलहाल EOW की कार्यवाही से प्रशासनिक और राजनैतिक हलकों में गहमा-गहमी देखी जा रही है। टुटेजा पिता पुत्र के भी EOW के हत्थे चढ़ने के आसार बढ़ गए हैं।