छत्तीसगढ़ में भारत नेट खस्ताहाल, जमीन पर 6 फ़ीट नीचे डालने के बजाय पेंडो में लटका दिए आप्टिकल फाइवर, ED की जाँच में करोडो का वारा-न्यारा

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में सरकारी और गैर सरकारी कार्यो के लिए लागू की गई भारत नेट परियोजना बदहाली के दौर से गुजर रही है। आज भी राज्य के हजारो गांव, मोबाईल और डाटा नेटवर्किंग से अछूते है। इन ग्रामीण अंचलो को 5G से बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार सालाना करोडो रुपये पानी की तरह बहा रही है, लेकिन ग्रामीण जनता को इसका फ़ायदा नहीं मिल पा रहा है।

राज्य में ग्रामीण अर्थ व्यवस्था मजबूत करने का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ढोल पीट रहे है, जबकि उनके करीबी नाते रिश्तेदार और अधिकारी भारत सरकार की इस रकम को डकारते रहे, वो भी पूरी बेशर्मी के साथ। हैरान करने वाला यह मामला छत्तीसगढ़ इफोटेक प्रमोशन सोसाइटी(चिप्स) में ED की छापेमारी के बाद सामने आया है। सूत्र बताते है कि इस मामले की पड़ताल में महालेखाकार की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।   

न्यूज़ टुडे को मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक भारत नेट परियोजना से खिलवाड़ करने वालो पर ED समेत अन्य एजेंसियों का शिकंजा लगातार कसते जा रहा है। जनता का धन बर्बाद करने वालो की शिनाख्ती भी शुरू हो गई है। सूत्र बताते है कि चिप्स में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियो ने तमाम तकनीकी उपकरणों और उसके रख रखाव पर करोडो खर्च कर दिए। इसके लिए सरकारी रिकॉर्ड में सब कुछ ठीक ठाक मेंटेन किया जा रहा था। जबकि दूसरी ओर सिर्फ बिल आ रहे थे। इनमे से ज्यादातर बिलो के भुगतान के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय से निर्देश प्राप्त हो रहे थे। 

सूत्र बताते है कि IAS समीर विश्नोई ने जेल जाने से पूर्व सारी हकीकत ED के समक्ष बयां कर दी थी। इसकी पड़ताल चौकाने वाली बताई जाती है। न्यूज टूडे को प्राप्त जानकारी के मुताबिक चिप्स के प्रकरणों को लेकर आने वाले दिनों किसी बड़ी कार्यवाही के आसार नजर आ रहे है। केंद्रीय एजेंसियों ने अखिल भारतीय सेवाओं के कुछ अधिकारियों और उनकी कार्यप्रणाली देखकर हैरानी जताई है। बताते है कि चुनिंदा IAS अधिकारियो ने सरकारी रकम को चिप्स समझ कर डकार लिया था। बताते है कि अब ऐसे अफसर अपने कारनामो लिए क्षितिज, समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया और CMO  को जिम्मेदार ठहरा रहे है।

छत्तीसगढ़ में गांव-गांव में मोबाईल नेटवर्किंग उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार ने प्रत्येक चरण में करोडो व्यय किये। लेकिन जनता को फ़ायदा इसलिए नहीं मिल पाया क्योकि अधिकारियो ने कार्य ही नहीं कराया। बल्कि बगैर उपकरण उपलब्ध हुए ही सरकारी रिकॉर्ड में उसका रख रखाव दर्ज होता रहा। सिर्फ कागजी खानापूर्ति के खेल में अफसरों ने हर माह करोडो उड़ाए।  

सूत्रों के मुताबिक IAS समीर विश्नोई की कई चैट काफी हैरान करने वाली है। ये चैट प्रमुख सचिव समेत कई अधिकारियो की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा कर रही है। बताते है कि कथित सुपर सीएम सौम्या चौरसिया के साथ लूट में शामिल समीर विश्नोई खुलकर अपनी कुर्सी का बेजा इस्तेमाल कर रहे थे। बताते है कि नीलेश सोनी नामक शख्स की चैट सबसे ज्यादा CMO को चोट कर रही है। रकम के आदान प्रदान से जुडी इस चैट में  प्रतीक पांडे नामक शख्स का भी हवाला है।

बताते है कि भारत फाइबर प्रोजेक्ट में समीर विश्नोई के निर्देश पर ऑप्टिकल फाइबर केबल को जमीन के 6 फ़ीट नीचे बिछाने के बजाय पेड़ो और बिजली के खम्भों पर लटका दिया गया था। बताते है कि सिर्फ केबल बिछाने के नाम पर ही करोडो रुपये अधिकारियो ने अपनी निजी तिजोरी के अंदर कर लिए थे। वही दूसरी ओर पेंडो और बिजली के खम्भों पर लटके ऑप्टिकल फाइबर केबल टूट फूट की वजह से कई इलाको में कबाड़ में तब्दील हो गए है। जबकि कई स्थानों में उनके चलते कनेक्टिविटी बाधित हो रही है।

बताते है कि ED की छापेमारी की खबर लीक होते ही सोनी और पांडे ने भारत फाइबर की कई महत्पूर्ण फाइलों को गायब कर दिया था, इसमें ठेके से संबंधित सभी दस्तावेज और कई फर्जी बिल संलग्न थे। बताते है कि अभी तक भी चिप्स के अधिकारियों ने पुलिस में इस महत्पूर्ण फाइल के गायब होने की रिपोर्ट तक दर्ज नही कराई है। जबकि थाना चिप्स ऑफिस से मात्र 50 मीटर दूर है।

सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि समीर विश्नोई के मोबाईल फ़ोन की कई चैट नीलेश सोनी, आई पेक और cosmo प्रोजेक्ट्स की फाइल और मूल नस्तियो से जुडी हुई है। बताते है कि राजेंद्र विसवाल और पटेरिया नामक शख्स की चैट में विभाग की गाड़ियों में डीजल-पेट्रोल में हेर-फेर का भी ब्यौरा है। बताते है कि समीर विश्नोई के कई मामलो में धन को ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी से जुडी चैट नीलेश सोनी, प्रतीक पांडे , पटेरिया, राजेंद्र विशवाल नामक व्यक्तियों को एक-दूसरे से लिंक कर रही है।  

टेंडरो को मैनेज करने और घोटाले में पटेरिया, नीलेश, प्रतीक की भूमिका भी सामने आई है। बताते है कि कई प्रोजेक्ट में छुट्टी के दिन भी टेंडर खोल कर नियमो की धज्जियां उड़ाई गई थी। फ़िलहाल चिप्स के चिप्स खाने वालो की खैर नहीं, बताई जाती है।