छत्तीसगढ़ में जो सरकार को हो पसंद वही खबर करेंगे , ऐसा कैसे होगा “राजा साहब” ? भले ही अपनी सभूलियत के आप फेक न्यूज की मुहर क्यों ना लगा दो ? जो जनहित में होगा वही खबर करेंगे , चाहे मार डालों राजा , चाहे काट डालों राजा , हम तो सच खबर ही प्रकाशित-प्रसारित करेंगे  

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रायपुर / न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने यह मामला विधिवत तरीके से उठाया कि छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण टेस्ट किट की खरीदी बगैर विश्वसनीय पड़ताल के की जा रही है | राज्य के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने अपने हितों को देखते हुए लगभग ढाई करोड़ की किट की खरीदी का आर्डर एक कंपनी को जारी कर दिया | लेकिन ये किट कितनी कारगर है , रिजल्ट कितने विश्वसनीय है | खरीदी के पहले इसका कोई परीक्षण नहीं किया गया | जब इस बारे में न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों और मंत्री जी से प्रतिक्रिया लेनी चाही तो कही से कोई जवाब नहीं मिला | अफसर बातचीत को लेकर टालमटोल करते रहे | जबकि कुछ देर बाद फोन करने का हवाला देकर मंत्री जी के स्टाफ ने फोन रख दिया | 

छत्तीसगढ़ में लगभग ढाई करोड़ की लागत से रैपिड किट खरीदी की जा रही है | इसकी सप्लाई एसडी बायोसेंसर नामक कंपनी कर रही है | आप जानकर यह चौक जायेंगे कि इस किट को खरीदने से पहले उससे प्रदेश में किसी भी संदेही या मरीज का कोई टेस्ट नहीं किया गया | ताकि इससे यह साफ हो सके कि खरीदी जा रही किट कितनी कारगर , गुणवत्तापूर्ण और उसके रिजल्ट विश्वसनीय है | यदि आप बाजार से मात्र 10 रूपये का पेन खरीदते है , तो उसे कागज में लिखकर देखते है , कि पेन चल भी रहा है या नहीं | यह तो संक्रमण को खोज निकालने और किसी मरीज की जान बचाने से जुड़ा मामला है | आखिर क्यों टेस्ट किये बगैर इस किट की खरीदी सुनिश्चित कर दी गई | यह जानने का हक राज्य के नागरिकों को है या नहीं |

ICMR के 11 अप्रैल के इस पत्र पर भी गौर फरमाइये | ICMR की अधिकृत साइट पर भी यह पत्र अपलोड किया गया था | इसमें कहा गया है कि निम्नांकित कंपनियों को एक और अन्य कारणों से विचारार्थ स्वीकार नहीं किया गया | इसमें छत्तीसगढ़ में रैपिड किट सप्लाई करने वाली एसडी बायोसेंसर नामक कंपनी का नाम 16 वें नंबर पर दर्ज है | जरा गौर से नजर डाले इस पत्र पर | इसे आधार बनाकर न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने सोमवार को खबर प्रकाशित की थी | इस खबर पर बगैर गंभीरता दिखाए सरकार की ओर से फेक न्यूज का थप्पा लगा दिया गया | बहरहाल चाहे मार डालों राजा , चाहे काट डालों राजा हम तो सच खबर ही प्रकाशित-प्रसारित करेंगे |

मीडिया और पत्रकार जनहित में प्रत्येक खबरों को सरकार के संज्ञान में लाना चाहते है | ताकि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को हर संभव सहायता प्राप्त हो | सरकार की खरीदी प्रक्रिया भी विधिवत दायरे में रहे , ताकि जनता की गाढ़ी कमाई की सरकारी रकम का उचित इस्तेमाल होने के साथ साथ पारदर्शिता बनी रहे |

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न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने अपनी जिम्मेदारियां वहन करते हुए उपरोक्त तथ्य सरकार और जनता के संज्ञान में लाये थे | इसका मकसद फेक न्यूज फैलाना नहीं बल्कि जनहित के मुद्दों को सरकार के संज्ञान में लाना था | फेक न्यूज किस आधार पर सरकार ने तय की , इसका मापदंड क्या रहा , थप्पा लगाने से पूर्व कमेटी ने क्या वैधानिक प्रक्रिया अपनाई , इसका खुलासा नहीं किया गया है |जबकि प्रकाशित खबर को लेकर स्वास्थ्य विभाग , राज्य सरकार और संबंधित रैपिड किट सप्लायर कंपनी का पक्ष रखने के लिए हमारे पास पर्याप्त स्थान है | इसे प्रमुखता से स्थान दिया जायेगा |

आखिरकर मंगलवार को कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान ने रैपिड किट टेस्ट पर ही सवालियां निशान उठाया | यहां सप्लाई हुई किट के रिजल्ट विश्वसनीय ना पाए जाने की शिकायत ICMR में दर्ज कराई | इस शिकायत के बाद ICMR ने देशभर में रैपिड किट से होने वाले टेस्ट पर अगले दो दिनों तक रोक लगा दी | यही नहीं पश्चिम बंगाल ने किट्स को डिफेक्टिव बताया है तो राजस्थान सरकार ने कहा है कि इस टेस्ट के नतीजे सटीक नहीं आ रहे हैं | इस तरह रैपिड टेस्ट किट की विश्वसनीयता को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है | ICMR ने भी इन शिकायतों पर संज्ञान लिया है | लेकिन छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ICMR ने रैपिड टेस्ट से जुडी खबरों को लेकर किसी पर भी फेक न्यूज का थप्पा नहीं लगाया | बहरहाल न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ अपनी पड़ताल जारी रखते हुए आगे भी विश्वसनीय खबरों का प्रकाशन-प्रसारण करेगा |