रायपुर / छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में तैनातवरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पवन देव के खिलाफ एक महिला आरक्षक के साथ यौन उत्पीड़न की शिकायत के मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कहा है कि राज्य सरकार अगर महिलाओं की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील है तो कैट में स्थगन को चुनौती देते हुए न्योचित कार्यवाही करे | दो वर्ष पूर्व बिलासपुर रेंज के तत्कालीन आई जी पवन देव पर यौन प्रताड़ना का आरोप मुंगेली की एक महिला आरक्षक ने लगाया था |उसने पुलिस और अदालत में इस प्रकरण को लेकर गुहार भी लगाई थी |
इस मामले में महिला आई पी एस और आई ए एस अधिकारियो की विशाखा कमेटी ने उन्हें दोषी पाया था | इस रिपोर्ट पर कार्यवाही न होने के बावजूद उन्हें IG से ADG पद पर पदोन्नति दिए जाने पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने नाराजगी जताई है |
आयोग ने गृह सचिव से पूछा कि यह पदोन्नति कैसे दी गई है ? एफआईआर की क्या स्थिति है ? राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि पदोन्नति पहले दी गई थी, चर्जशीट बाद में दी गई है | शासन ने यह भी बताया कि चार्जशीट पर कैट से स्थगन मिला है | इस पर आयोग ने निर्देश दिए कि कैट जब सुनवाई पूरी कर चूका है, तो फिर राज्य सरकार स्थगन क्यों नहीं हटवा रही है ? उन्होंने पवन देव को पदोन्नति दिये जाने पर एतराज जताते हुए इस प्रकिया पर सवाल उठाये |
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचएल दत्तू ने पत्रवार्ता में कहा कि राज्य सरकारें आयोग की 99 फीसदी सिफारिशों पर अमल करती है | इससे स्पष्ट है कि राज्य सरकारें, NHRC का पूरा सम्मान करती है |