छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी नान घोटाले की रख दी गई नींव, 10 करोड़ की लागत वाली लगभग 10 हजार आधार इंट्रीग्रेटर मशीन के लिए चुकाए जायेंगे लगभग 150 करोड़ , 7 साल तक मशीन के किराये भुगतान के नाम पर हर माह घोटाला करने की रुपरेखा तय , बकायदा टेंडर जारी कर दिया गया घोटाले का न्यौता , पढ़े टेंडर की शर्ते , पृष्ठ क्रमांक 32 पर जरूर गौर करे  

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में नागरिक आपूर्ति निगम की स्थापना के उद्देश्यों को लेकर राजनैतिक और व्यावसायिक गलियारों में जबरदस्त चर्चा है | अभी बीजेपी शासनकाल के दौरान अस्तित्व में आये नान घोटाले का विवाद थमा नहीं कि कांग्रेस के कार्यकाल में भी एक नए घोटाले को अंजाम देने की नींव रखे जाने की खबर सामने आ गई है | इस घोटाले को अंजाम देने के लिए बकायदा एक कंपनी को न्यौता भेजा गया है | टेंडर में नियम और शर्ते ऐसी रखी गई है कि किसी खास कंपनी को ही मौका दिया जा सके | जानकारों ने राय दी है कि इस टेंडर का अवलोकन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं करे | ताकि उन्हें समझ में आ जाये कि कुछ अफसर कांग्रेस की छवि और उनकी साख पर किस तरह से बट्टा लगाने के नुस्खे आजमा रहे है |

दरअसल सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली को आधार कार्ड से लिंक करने के लिए नान ने आधार इंट्रीग्रेटर मशीन का टेंडर जारी किया है | दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा सरकार का कार्यकाल 2023 में खत्म हो जायेगा लेकिन घोटाले की आग 2025 तक जलते रहेगी | राज्य में लगभग 11 हजार मशीनों की  आवश्यकता मासूस की जा रही है | इतनी मशीनों को एक मुश्त 10 करोड़ की लागत से खरीदा जा सकता है | लेकिन इन मशीनों के मेंटेनेंस और नेटवर्किंग के लिए नागरिक आपूर्ति निगम हर माह करोड़ों रूपये खर्च करेगा | भ्रष्ट्राचार की यह योजना सात साल तक चलेगी | इसमें सिर्फ मशीनों का किराया ही 150 करोड़ से अधिक आंका जा रहा है | जानकार बता रहे है कि अफसरों ने काफी सोच समझकर इस घोटाले की आधारशीला रखी है | लिहाजा उनकी कार्यप्रणाली और टेंडर की शर्तों की जांच जरुरी है | 

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हाल ही में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा जारी किये गए एक टेंडर की चर्चा रायपुर से लेकर दिल्ली तक है | इस टेंडर की शर्तों को पढ़कर जानकार हैरानी जता रहे है | उनके मुताबिक जिसे राज्य का “चिप संस्थान” सुनियोजित रूप से संचालित कर सकता है | उसके लिए सरकार की तिजोरी में सेंधमारी की योजना अमल में लाई जा रही है | बताया जा रहा है कि सामान्यतः 4-5 हजार की लागत वाली प्रत्येक आधार इंट्रीग्रेटर मशीन का किराया लगभग 16 सौ रूपये प्रतिमाह नान के खाते से भुगतान किया जायेगा | इसके अलावा प्रत्येक मशीनों के मेंटेनेंस और नेटवर्किंग पर प्रतिमाह अलग व्यय होगा | 

जानकारों के मुताबिक जिन मशीनों की जरूरत नान महसूस कर रहा है , उसकी कंपनियों से सीधी आपूर्ति की जा सकती है | इससे शासन को हर माह करोड़ों रूपये की बचत होगी | यही नहीं इन मशीनों के मेंटेंनेस और नेटवर्किंग को लेकर संबंधित कंपनियां सुविधा भी मुहैया कराती है | इसके लिए राज्य शासन आउट सोर्सिंग भी कर सकता है | लेकिन सर्विस प्रोवाइडर की तर्ज पर टेंडर जारी कर आधार इंट्रीग्रेटर मशीन की मांग लोगों के लिए हैरत वाली नजर आ रही है | नान द्वारा जारी किये गए टेंडर की पृष्ठ क्रमांक-32 की शर्तों पर गौर करे तो साफ़ हो जायेगा कि किसी खास कंपनी को न्यौता देने के लिए अधिकारियों ने कुछ ऐसी शर्ते रखी है कि कई प्रतियोगी इस प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाये | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने टेंडर की नियम शर्तों को लेकर नान के अधिकारियों से संपर्क भी किया | लेकिन ना तो इस पर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया जाहिर की और ना ही इस विषय पर बातचीत के लिए तैयार हुए | 

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