रायपुर : छत्तीसगढ़ में ED की कार्रवाई के बीच दागी अफसरो के फरमानो को लेकर अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के सामने असहज स्थिति निर्मित होने की खबरे सामने आ रही है। बताया जाता है कि ED में फंसने के बाद भी सरकार की गोद में बैठे अफसरों के निर्देश उनके गले की फ़ांस ना बन जाए, इसे लेकर अखिल भारतीय सेवाओं के कई अफसर सतर्क हो गए है। अब तक वे दागियों के संपर्क में मैसेंजर फेस टाइम और टेलीग्राम के जरिये आते थे। लेकिन अब उसे भी किनारा करने लगे है। सरकार के दिशा -निर्देशो का वे भली -भांति पालन तो कर रहे है। लेकिन दागियों के फरमानो से उन्हें अपनी नौकरी खतरे में नजर आने लगी है।
इस बीच सरकार के करीबी वरिष्ठ अफसरों की दलीलों से नौकरशाही के होश फाख्ता है। सूत्रों के मुताबिक सरकार के करीबी अफसरों ने नेता जी के नजरिये को साफ़ कर दिया है। उनके मुताबिक सरकार ने कभी भी किसी भी अधिकारी को गलत कार्य करने के आदेश दिए, और ना ही अनुचित कार्यो के लिए निर्देश। उनके मुताबिक IAS समीर विश्नोई को गलत कार्य ना करने की हिदायत कई बार दी जा चुकी थी। बावजूद इसके वे नहीं संभले। नतीजा सबके सामने है।
दरअसल राज्य में IT -ED के चक्कर में फंसे सरकार के करीबी अनिल टुटेजा और सौम्या चौरसिया के फरमानो को लेकर नौकरशाही पसोपेश में है। उनके आदेशों की नाफरमानी भले ही मुसीबत का सबब क्यों ना बन जाये ? इन दिनों कई अफसर सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा के निर्देशों को अनबने तरीके से ले रहे है। उनके फरमानो का पालन करने या फिर उसे टालने को लेकर कशमकश की नौबत उनके सामने आ रही है।
नाम ना छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि सौम्या और टुटेजा के निर्देशों के पालन को लेकर वे सरकार की ओर से स्थिति साफ़ करने की राह तक रहे है। जबकि दूसरे अफसर ने दावा किया कि भले ही कलेक्टरी चले जाये, वे गलत कार्य करने के मामले में सीधे तौर पर इंकार करेंगे। पहचान ना जाहिर करने की शर्त पर एक अन्य अफसर ने बताया कि पिछले दस दिनों से टुटेजा और सौम्या के फ़ोन रिसीव करने में परहेज कर रहे है। इस अफसर ने बताया कि उनके गलत निर्देशों के पालन को लेकर वे पहले भी हाथ खड़े कर चुके है।
उधर एक वरिष्ठ अफसर ने दावा किया है कि सरकार की ओर से नौकरशाही को कभी भी कोई गलत निर्देश नहीं दिए गए। उनके मुताबिक सरकार ने नियमों के पालन करने के साथ विभागीय कार्यो की अनुमति दी थी। लेकिन कुछ अफसरों ने इसका नाजायज फायदा उठाया। उनके मुताबिक जिन अफसरों ने गलत और नियमों के विपरीत कार्य किया। वो उनका निजी फैसला था। लेकिन सरकार उनके गलत कार्यो का समर्थन नहीं करती, ना ही सरकार का उससे कोई लेना देना है।
इस अफसर ने भी नाम ना जाहिर करने की शर्त पर यह भी कहा कि जेल की हवा खा रहे IAS समीर विश्नोई की पत्नी को भी साफ़ कर दिया गया है कि उनके पति ”अपनी करनी का फल” भुगत रहे है। उसे कभी भी गलत कार्यो के लिए कोई फरमान जारी नहीं किये गए थे। बताया जाता है कि यही हाल कलेक्टर रायगढ़ का भी है। ED की संभावित छापेमारी के दौरान बगैर सूचना दिए कलेक्टर का अपने बंगले और दफ्तर से भाग निकलना सरकार की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और अनुशासनहीनता के दायरे में है। फिर भी उनके पद में बने रहना सरकार का फैसला है।
बहरहाल, टुटेजा और सौम्या चौरसिया की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। एक नान घोटाले का मुख्य आरोपी है, तो दूसरी IT -ED की रेड और आपराधिक प्रकरणों को लेकर सुर्खियों में है। दोनों आये दिन कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी IT- ED के चक्कर काट रहे है। दोनों के ऊपर गंभीर आपराधिक प्रकरण दर्ज है।
इन मामलों के चलते सरकार की अलग भद्द पिट रही है। सुप्रीम कोर्ट तो राज्य में नौकरशाही के आपराधिक दांव – पेंचो को लेकर हैरत में है। सुर्खिया यही है, नान घोटाले का मुख्य आरोपी अनिल टुटेजा उद्योग विभाग के सचिव की कुर्सी पर तैनात है जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उपसचिव के पद पर डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया बखूबी जमी हुई है। तमाम काले कारनामों के बावजूद दोनों अफसरों के खिलाफ सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत मुख्यमंत्री और राज्य शासन की ओर से कोई वैधानिक कार्यवाही ना होना सरकार की मज़बूरी जता रहा है।
बताते है कि ED लगातार उन अफसरों के गिरेबान तक पहुंच रही है, जो अपनी काली कमाई को छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के आलावा दूसरे राज्यों में निवेश करने के मामलों में सुर्खियों में है। अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों के कारनामें को ED ने गंभीर अपराध की श्रेणी में दर्ज किया है। वो इन प्रकरणों की पड़ताल बारीकी से कर रही है। उन अफसरों के CA और फाइनेंसियल मैनेजमेंट देखने वाले तत्वों की पड़ताल भी जोरो पर चल रही है। ऐसे समय ईमानदार और कायदे -कानूनों का पालन करने वाले अफसरों को विभागीय कार्यो के लिए सरकार के दिशा -निर्देशों को लेकर गहमा – गहमी है। मौजूदा वक्त तो उन्हें सौम्या और टुटेजा को लेकर ”एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआँ” नजर आ रहा है। फिलहाल अफसरों को इंतजार सरकार के ऐसे रहनुमा का है जो उन्हें संविधान के अनुरूप कार्य करने की राह दिखा सके।