chhattisgarh Jail Controversy : छत्तीसगढ़ में गहरी नींद में मानवधिकार आयोग ,जेलों में बत से बत्तर हालत में बंदी ,रायपुर ,बिलासपुर ,दुर्ग में अवैध वसूली के बावजूद कैदियों को भोजन के लाले ,बस्तर में जेल प्रशासन के खिलाफ आदिवासियों ने खोला मोर्चा, कहा- दिया जाता है आधा पेट भोजन

0
7

रायपुर /बिलासपुर /बस्तर : छत्तीसगढ़ में मानवधिकार आयोग के निष्क्रिय हो जाने के चलते ज्यादातर जेलों में अवैध कारोबार जोरो पर है | इसके चलते जहा कैदियों की जान पर बन आई है,वही कई जेल अधिकारियो को मोटी रकम उगाने के नए अवसर मिल गए है | जेलों में बड़े पैमाने पर अफसरों के सरक्षण में कारोबार फल फूल रहा है | इसकी शुरुआत होती है रोजाना सुबह से होने वाली बंदी मुलाकात से | इसके लिए सभी सेंट्रल जेलों में फ़ीस निर्धारित है | इसे अदा करते ही ड्यूटी पर तैनात प्रहरी बंदियों को तमाम सामान सौपने को तैयार हो जाते है |

यही नहीं परिजनों से मुलाकात के लिए भरपूर समय दिया जाता है | जिन बंदियों के परिजन इस अवैध वसूली के भुगतान से इंकार करते है ,उनकी नियमनुसार मुलाकात कराइ जाती है | इस दौरान बंदियों को परिजनों द्वारा सौपे जाने वाले सामानो और मुलाकात के समय पर कटौती कर दी जाती है | मुलाकात सेंटर में कैदियों-बंदियों और उनके परिजनों से लूटपाट का आम नज़ारा आप किसी भी वक्त देख सकते है | बर्शते जायजा लेने वाला शख्स अपनी पहचान किसी भी सूरत में जाहिर ना करे,वर्ना जेल प्रशासन की ईमानदारी और कर्त्तव्यनिष्ठा की गुहार सुनकर आप हैरत में पड़ जायेंगे |

छत्तीसगढ़ की ज्यादातर जेलों में भर पेट भोजन के अलावा मुलभुत सुविधाओं वाले बैरकों में दाखिल होने के लिए बंदियों से हर माह किराया लिया जाता है | रायपुर सेंट्रल जेल में तो ऐसे तमाम गैर कानूनी कार्यो के लिए ज्यादातर वो प्रहरी सुर्खियों में है ,जिनके नाम के आगे या पीछे “राम” शब्द जुड़ा हुआ है | ये प्रहरी बंदियों को बड़ी आर्थिक मार देने में पीछे नहीं रहते | होटलो-रैनबसेरे की तर्ज़ पर बैरकों में किराये से सोने के लिए जगह दी जाती है | दरअसल ज्यादातर बैरकों में पानी और नहाने-धोने से लेकर मूलभूत सुविधाओं का आभाव है ,ऐसे में कुछ उपलब्ध व्यवस्था पाने के लिए प्रहरियो को रकम चुकानी होती है |

वर्ना वे ऐसे बैरकों का टिकट काटते है ,जो वाकई नरक है | जेल के भीतर इंडेन सामग्री ,खाने-पीने की वस्तुओ ,कपडे ,चप्पल ,साबुन जैसी रोजमर्रा की वस्तुए प्राप्त करने के लिए प्रहरियों को एमआरपी से कई गुना अधिक रकम चुकानी होती है | बंदियों के लिए महीने में एक दो बार फोन सुविधा उपलब्ध कराइ गई है | रायपुर सेंट्रल जेल में इसके लिए बूथ में एक मात्र फोन है | जबकि उस अकेले पर तीन हजार से ज्यादा कैदियों का भार है | नतीजतन यहाँ भी फोन करने की सुविधा उठाने के लिए अवैध भुगतान व्यवस्था लागू है |

बंदियों और कैदियों के फोन कार्ड बनाये जाते है | इसमें रिचार्ज रकम में हेरफेर करना और बची रकम ना लौटाना भी आमदनी का जरिया बन गया है | कपडे और अन्य जरुरत का सामान धोने के लिए शासन द्वारा वाशिंग मशीन उपलब्ध कराई गई है | लेकिन इसका इस्तेमाल जेल स्टाफ और उनके घरो के कपडे धोने में इस्तेमाल होता है | उनके कपड़ो में स्त्री करने के लिए कैदियों से बेगारी कराइ जाती है | जेल में गांजा और तम्बाकू की आपूर्ति का बड़ा कारोबार संचालित हो रहा है | दोनों पर पाबन्दी है | प्रहरियों के बैनर तले चल रही इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए फ़ीस निर्धारित है |

इसके तहत प्रहरियों का एक दस्ता बाजार में उपलब्ध 100 रूपए वाली गांजे के पैकेड के लिए 1000 रूपए और 3 रूपए वाली तम्बाखू की पूड़ियाँ 300 से 500 रूपए में उपलब्ध करता है | जबकि दूसरा दस्ता इसका उपयोग करने वालो को धर दबोच कर एक झटके में 5000 तक वसूल लेते है | रूपया नहीं देने पर ऐसे कैदियों की “चक्कर” में लाठी डंडो से पिटाई की जाती है | जेल में सबसे बुरा हाल शासन द्वारा प्रदान कि जा रही भोजन सामग्री का है | इसे लेकर कमीशन और बचत जैसे हथकंडे अपनाए जाने से कैदियों की जान पर बन आई है | सुबह नाश्ता चाय ,दोपहर और रात के खाने में कैदियों के लिए निर्धारित खाद्य सामग्री का आधा हिस्सा भी नहीं परोसा जाता | बाजार से सड़ी-गली साग सब्जिया ठेको के जरिए जेलों तक पहुँचती है | फिर जेल प्रशासन इसे पानी -पानी कर बंदियों तक पहुंचाता है |

भुक्तभोगियों के अनुसार सरकारी दाल-भात केन्द्रो में मात्र 5 रूपए में उपलब्ध भोजन यहाँ के भोजन से कई मायनो में बेहतर है | 

बताया जाता है कि राज्य मानवाधिकार आयोग की निष्क्रियता की वजह से जेलों में बुरे हालात है | जेल विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली खानापूर्ति तक सीमित होने के चलते जेल सुविधाओं को कारोबार में तब्दील करने वालो को अवैध उगाही का मौका मिल रहा है | 

उधर सरकारी अनदेखी के चलते बस्तर में जेल प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है. जेल से सजा काट कर निकले आदिवासियों ने सड़को पर उतर कर जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.बीजापुर जिले में सैकड़ों ग्रामीणों ने जेल प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला है | विरोध प्रदर्शन कर रहे इन ग्रामीणों में ऐसे भी हैं जो अलग-अलग मामलों में बस्तर संभाग के विभिन्न जेलों में सजा काट कर रिहा हुए है |

ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि जेलों में कैदियों को आधा पेट भोजन दिया जा रहा है. पिछले 4 सालों से बस्तर के जेलों में अव्यवस्था का आलम है | उनके मुताबिक जब कैदी के परिजन उनसे मिलने जाते हैं तो उन्हें मिलने नहीं दिया जाता है.जेल प्रशासन के ख़राब बर्ताव को लेकर पहली बार प्रदेश में बीजापुर जिले के दर्जनभर गांवों के 500 से ज्यादा ग्रामीणों ने भैरमगढ़ पौंदुम इलाके में विशाल रैली निकाली |