सजायाफ्ता मुजरिम की जगह उसके भाई ने चार माह गुजारे जेल में , खुलासे के बाद इंदौर हाईकोर्ट ने एसडीएम और लापरवाह पुलिस कर्मियों को लगाई फटकार , 5 लाख हर्जाना 

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इंदौर / कोर्ट ने आदेश में लिखा है, भविष्य में किसी व्यक्ति की पहचान में ऐसी भूल न हो, जो शेक्सपियर के नाटक क्लासिक कॉमेडी ऑफ़ एरर की याद दिलाए |अदालत  ने आदेश दिया है कि किसी भी गिरफ्तारी से पहले बायोमीट्रिक आधार पर उसकी जांच की जाए |  जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की पीठ ने हुसन के बेटे कमलेश की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया | कोर्ट ने गलत जानकारी देने पर एसडीएम और लापरवाह पुलिसकर्मीयों के खिलाफ आपराधिक अवमानना के तहत अदालत में मुकदमा दाखिल करने के भी आदेश दिए है | 

दरअसल हत्या के मामले में बिना छानबीन किए सजायाफ्ता मुजरिम के स्थान पर 68 वर्षीय उसके भाई को 4 माह जेल में गुजारने पड़े | पीड़ित कमलेश ने अपने पिता की बेग़ुनाही साबित करते हुए इंदौर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी | सुनवाई के बाद अदालत ने माना की स्थानीय पुलिस ने बेगुनाह व्यक्ति को जेल की सैर करा दी | हाईकोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए सरकार को 5 लाख रुपए का हर्जाना देने का आदेश दिया | यह राशि धार जिले के पीड़ित आदिवासी हुसन के खाते में जमा होगी |