रायपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बिलासपुर में ED के खिलाफ याचिकाओं का पहला दौर अंतिम पड़ाव पर बताया जाता है। मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर बहस पूरी हो गई है। अब फैसले का इंतज़ार है, बताते है कि काउंट डाउन शुरू हो गया है।
यह भी बताया जाता है कि ईडी के खिलाफ अभिषेक सिंह, अमित सिंह, पिंकी सिंह, निकेश पुरोहित, हनीफ- अनवर ढेबर की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका पर भी बहस पूरी हो गई है। दोनों ही मामलों की सुनवाई अलग-अलग बेंच में हुई। अदालती सूत्र बताते है कि अब फैसले की घड़ी है,फिलहाल कोर्ट ने फैसला रिजर्व रखा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान सौम्या चौरसिया पर छापेमारी और उनकी गिरफ़्तारी का जमकर विरोध किया। उन्होंने अपनी बहस में ED की कार्यवाही को गैरकानूनी करार देने में कोई गुरेज नहीं किया।
अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रवर्तन निदेशालय की कार्यवाही को दूषित करार देने के लिए पूर्व में की गई कई कार्यवाही को कानून के दायरे से बाहर बताया। उन्होंने कहा कि ED जबरन सौम्या चौरसिया को प्रताड़ित कर रही है। जबकि उनके आवास से ऐसी कोई भी अपत्तिजनक सामग्री नहीं प्राप्त हुई,जो कानून का उल्लंघन करती हो।
उधर, ED की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अपने तर्कों से विद्वान अधिवक्ता की तमाम दलीलों को ख़ारिज करते हुए, सौम्या चौरसिया की गिरफ़्तारी को जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि कोल परिवहन खनन घोटाले से कमाई गई आकूत दौलत से सौम्या ने अपने चचेरे भाई और माँ के नाम से करोडो की संपत्ति खरीदी। ED ने उस संपत्ति का ब्योरा भी अदालत के समक्ष पेश किया।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में ED की ओर से बताया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ उपसचिव सौम्या चौरसिया और शासन प्रशासन के मैदानी अमले के बीच सूर्यकांत तिवारी नामक प्राइवेट व्यक्ति मिडिल मेन अर्थात बिचोलिये या दलाल की भूमिका में कार्यरत था।
अवैध वसूली नेटवर्क में इसी सूर्यकांत तिवारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसके तार संवैधानिक शीर्ष से लेकर सौम्या चौरसिया तक जुड़े हुए थे। यही शख्स अवैध वसूली के लिए पीड़ितों और शासन-प्रशासन के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी था। लूटपाट के सुनियोजित कारोबार के तमाम पहलुओ से अवगत कराते हुए, ED ने सौम्या चौरसिया की एक-एक कार्यप्रणाली से कोल खनन घोटाले के सरकारी नेटवर्क से अदालत को वाकिफ कराया।
ED की ओर से जमानत का विरोध करते हुए यह भी कहा गया कि मैदानी इलाको में पदस्थ अधिकारियों को सीएम कार्यालय से सूर्यकांत तिवारी के निर्देशों के समुचित पालन के निर्देश दिए गए थे। सौम्या चौरसिया समय-समय पर उन अधिकारियों को अवैध वसूली नेटवर्क को संचालित करने के लिए कई माध्यमों से संपर्क में रहती थी।
ED ने इस संबंध में कई तथ्य पेश करते हुए सबूतों के साथ सौम्या चौरसिया की काली करतूतें अदालत के संज्ञान में लाई। अदालती सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके साथ ही राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज़ है, हर कोई जेल या बेल मामले में अदालत के फैसले का इंतज़ार कर रहा है।