Hate Speech Case: नेताओ के भड़काऊ भाषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त,पुलिस को दी चेतावनी ,कहा- तुरंत कार्रवाई करे,नहीं तो मानी जाएगी अवमानना

0
8

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के तेवर आज काफी तल्ख़ नजर आए|भड़काऊ और नफरत भरे भाषणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है|उसने कहा है कि धर्म के नाम पर हम कहां से कहां पहुंच गए हैं|कोर्ट ने कहा है कि सांप्रदायिक आधार पर भड़काऊ बयान देने वाला जिस भी धर्म का हो, उस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए| 

इस मामले की सुनवाई जस्टिस के एम जोसफ और ऋषिकेश रॉय की बेंच में हुई|जस्टिस के एम जोसफ ने इस पर चिंता जताते हुए कहा,”यह 21वीं सदी है. हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए| लेकिन आज घृणा का माहौल है|सामाजिक ताना बाना बिखरा जा रहा है|हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है|उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं| 

कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसे बयानों पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करे|इसके लिए किसी की ओर से शिकायत दाखिल होने का इंतज़ार ना किया जाए|अन्यथा कार्रवाई करने में कोताही को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा| 

दरअसल ,याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने अपनी याचिका में कहा था कि मुसलमानों के खिलाफ लगातार हिंसक बयान दिए जा रहे हैं, इससे डर का माहौल है| हालाँकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दूसरे पक्ष को भी आड़े हाथो लिया|उसने कहा कि नफरत भरे बयान मुसलमानों की तरफ से भी दिए जा रहे हैं|सभी मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए|

जस्टिस जोसफ ने फैसले में कहा, “IPC में वैमनस्य फैलाने के खिलाफ 153A, 295A, 505 जैसी कई धाराएं हैं|लेकिन अगर पुलिस उनका उपयोग न करे तो नफरत फैलाने वालों पर कभी लगाम नहीं लगाई जा सकती| याचिका में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की घटनाओं का हवाला दिया गया है. हम इन राज्यों को निर्देश दे रहे हैं कि वह ऐसे मामलों में तुरंत केस दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करें. इसके लिए किसी शिकायत का इंतज़ार न करें|

बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा, “क्या ऐसे भाषण सिर्फ एक तरफ से ही दिए जा रहे हैं? क्या मुस्लिम नेता नफरती बयान नहीं दे रहे? आपने याचिका में सिर्फ एकतरफा बात क्यों कही है?” इस पर सिब्बल ने कहा कि जो भी नफरत फैलाए, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए| कोर्ट ने कहा कि भविष्य में अगर पुलिस कानूनी कार्यवाही करने में चूकती है, तो इसे सुप्रीम कोर्ट की अवमानना माना जाएगा|सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों से यह भी कहा है कि पिछले कुछ समय में अपने यहां दिए गए सभी नफरत भरे बयानों को लेकर की गई कार्यवाही का ब्यौरा भी कोर्ट में जमा करवाएं|

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बीजेपी नेताओं के बयानों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सांसद प्रवेश वर्मा ने मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की बात कही थी | जबकि उसी कार्यक्रम में एक और नेता ने गला काटने जैसी बात कहकर भड़काया | सिब्बल ने कहा कि, लगातार ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धर्म संसद मामले में जो आदेश दिए थे, उनका कोई असर नहीं हो रहा है | सिब्बल ने कहा कि लोगों ने ऐसे भाषणों पर कई बार शिकायत की है. लेकिन प्रशासन निष्क्रिय बना रहता है|