रायपुर : छत्तीसगढ़ में ED की कार्यवाही जारी है। कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी के हिरासत में आने के बाद उसके गिरोह की तमाम गतिविधियों की दस्तावेजी तस्दीक जोर -शोर से चल रही है। कई अफसरों और कारोबारियों से मैराथन पूछताछ से ED घोटाले की तह तक जा रही है। सूत्रों के मुताबिक ”चिप्स” के बाद ED छत्तीसगढ़ के बिजली मुख्यालय में चल रहे एक नए गोरखधंधे की दास्तान पर अपनी निगाहे गड़ाए हुए है।
इस मामले में सूर्यकान्त तिवारी से कड़ाई से पूछताछ की खबर है। बताया जाता है कि CSEB में भी बड़े पैमाने पर घटिया कोयला ट्रांसपोर्ट कर सूर्यकान्त एंड कम्पनी ने हर माह करोडो रूपए कमाए। लेकिन आयकर और GST का भुगतान नियमानुसार नहीं किया गया। कोयले सप्लाई के ठेके से भी बिजली उत्पादन के नाम पर प्रतिमाह करोडो की नंबर -2 की रकम की बन्दर -बाँट होती रही। बताया जाता है कि कोयले की कालिख से भी कई बड़े अफसरों के चेहरे रंगे हुए है।
पुख्ता जानकारी के मुताबिक सरकार को चूना लगाने और सूर्यकान्त गिरोह को फायदा पहुंचाने के लिए CSEB ने नियमों को दरकिनार किया। फिर उसके कई अफसर सूर्यकान्त के साथ वर्किंग पाटर्नर बन गए। बताया जाता है कि CSEB ने पहले मात्र 6 माह के लिए सूर्यकान्त की ट्रांसपोर्ट कम्पनी को बाजार भाव से दुगुनी दरों पर कोल सप्लाई का ठेका दिया था। फिर दोबारा नया टेंडर जारी नहीं किया।
उसे फायदा पहुंचाने के लिए अफसरों ने तमाम हदे पार कर दी। उधर सूर्यकान्त एंड कम्पनी ने CSEB में कोयले के बजाय घोटालो का पहाड़ खड़ा कर दिया। उसकी काली करतुते सामने आने के बाद CSEB में भ्रष्टाचार के पन्ने पलटने जारी है। बताते है कि अब ED टेक्स चोरी को लेकर उससे सवाल -जवाब कर रही है।
CSEB और राज्य सरकार की तिजोरी में चूना लगाने के लिए सूर्यकान्त तिवारी को दी गई खुली छूट चर्चा में है। इसके चलते उसने केंद्र और राज्य सरकार को 500 करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है। बताया जाता है कि सूर्यकान्त को ,मासिक फायदा पहुंचाने के लिए आयकर चोरी और राज्य सरकार के खातों से बड़े पैमाने पर GST की भी चोरी की गई। बताया जाता है कि सूर्यकान्त तिवारी की सहयोगी ट्रांसपोर्ट कम्पनी ने लगभग 90 लाख टन कोयला आपूर्ति के एवज में 500 करोड़ से ज्यादा की टेक्स चोरी की।
उसने CSEB में बाजार भाव से लगभग दोगुनी ज्यादा कीमत पर कोल ट्रांसपोर्ट का ठेका CSEB से हासिल किया। फिर उसे सबलेट कर 300 रूपए का मार्जिन रख ”जय अम्बे” नामक ट्रांसपोर्ट कम्पनी को सौंप दिया। इस तरह से इस कम्पनी के जरिये वो प्रतिमाह करोडो रूपए ब्लैकमनी के रूप में कमाते रहा। जबकि इस रकम का CSEB के भुगतान के बावजूद आयकर और GST का हिस्सा लगभग 500 करोड़ हड़प कर लिया गया।
CSEB में कोयले की सप्लाई सूर्यकान्त की भागीदारी वाली उसकी सहयोगी ट्रांसपोर्ट कम्पनी के हाथो में है। इस कम्पनी ने चंद महीनो में लगभग 90 लाख टन कोयला CSEB को सप्लाई किया था। यह कोयला गुणवत्ता विहीन होने के बावजूद CSEB ने सूर्यकान्त की कम्पनी पर लगी लगभग 50 करोड़ की पेनाल्टी मांफ कर दी। बताया जाता है कि घटिया कोयले की आपूर्ति के चलते बिजली के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा था।
कोयले की खपत ज्यादा होने और उत्पादन कम होने के कारणों की विभागीय स्तर पर जाँच की गई थी। इसमें कम्पनी पर लगभग 50 करोड़ की पेनाल्टी ठोकी गई थी। सूत्र बताते है कि CSEB की एक प्रमुख अफसर के सूर्यकान्त के साथ ”हिडन पार्टनर” बन जाने से पेनाल्टी वसूलने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई।
यही नहीं सूत्र बताते है कि कई महीनों से कोयले की खपत और बिजली के उत्पादन के रिकॉर्ड में हेरफेर भी शुरू कर दिया गया है। फिलहाल सूर्यकान्त से चल रही घोटालो की तस्दीक से कई और मामलो के उजागर होने के आसार है।