दिल्ली/रायपुर : छत्तीसगढ़ में आईटी-ईडी मुश्किल में है,उसके गवाह प्रभावित हो रहे है,बताते है कि जेल से जारी होने वाले फरमानो से ED के गवाहों की हालत पतली है,उन्हें अपने बयानों से मुकरने के लिए कई तरह के दबावों का सामना करना पड़ रहा है। मुश्किल में गुजर बसर कर रहे गवाहों को प्रभावित करने के मामलों में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की भूमिका सामने आ रही है। उधर ED के खिलाफ पुलिस में शिकायत करने वाले गवाहों के मामलों में कार्यवाही नहीं होने से कोर्ट में परिवाद दायर हो रहे है।
जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कई बार ऐलान कर चुके है कि ED के खिलाफ शिकायत मिलने पर राज्य सरकार भी कार्यवाही करेगी। इस बीच मुख्यमंत्री बघेल ने ED के अधिकारियों और भारत सरकार को पत्र लिखकर ED की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाए थे। प्रदेश में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और आईटी-ईडी के छापो के बीच ED की जद में आए संदेहियों और आरोपियों की पूछताछ के तौर-तरीकों को लेकर ED और मुख्यमंत्री बघेल के बीच छिड़ा विवाद नए मोड़ पर आ गया है। इसके चलते कई अधिकारियों ने ED के खिलाफ आ वैधानिक मोर्चा खोलने से इंकार कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक कई वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि सौम्या चौरसिया और उसके भ्रष्टाचार के मामले सरकार के नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष के है,ये निजी मामले है,इससे अधिकारियों को सतर्क रहने की जरुरत है,गलत कदम उठाने से बेहतर है ट्रांसफर लें लें ।बताते है कि आईएएस समीर विश्नोई के परिजन और सौम्या चौरसिया के पति सौरभ मोदी भी कई नेताओ से ED की प्रताड़ना का जिक्र कर चुके है। अपने नेता जी से भी उन्हें कार्यवाही के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगा है। लिहाजा सवाल उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री बघेल के ED के खिलाफ कार्यवाही के वादे के फरमानो की पुलिस के अफसर ‘ना’फ़रमानी कर रहे है ?
बताते है कि एक वरिष्ठ डीजीपी की नेक सलाह के बाद पुलिस के कई अफसरों की कार्यप्रणाली में बदलाव देखा जा रहा है। यह भी बताते है कि अब सिर्फ दो-चार अफसरों को छोड़ शेष सभी ने नेताओ के गैर जिम्मेदाराना फरमानो को ना कर दिया है। सौम्या के जेल जाने और टुटेजा पर चौकसी बढ़ने के चलते कई आदेश-निर्देश हवा-हवाई साबित हो रहे है। इसमें हुजूर का ED के खिलाफ शिकायत मिलने पर कार्यवाही का वादा भी शामिल है। ED के खिलाफ आवेदकों की शिकायत के मामलों में पुलिस के आला अफसरों की कार्यवाही को लेकर चुप्पी रहस्यमय बन गई है।
छत्तीसगढ़ में IT-ED के छापो में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की आपराधिक संलिप्ता सामने आने के बाद छत्तीसगढ़ में नए संवैधानिक संकट का दौर शुरू हो गया है। IT-ED के आरोपियों की रिहाई को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और ED के बीच ठन गई है। मुख्यमंत्री बघेल कई बार एलान कर चुके है कि शिकायत मिलने पर ED के खिलाफ भी कार्यवाही होगी,FIR दर्ज की जाएगी।
बताते है कि दर्जन भर शिकायतों के मिलने के बावजूद छत्तीसगढ़ पुलिस ने ED के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। शिकायतकर्ता इसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वादाखिलाफी से जोड़ कर देख रहे है। बताते है कि पुलिस को शिकायतों के सौंपे जाने के लम्बे इंतज़ार के बाद भी जब कार्यवाही नहीं हुई तो शिकायतकर्ताओं को अदालत का रुख करना पड़ा। जानकारी के मुताबिक प्रदेश की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया का करीबी सहयोगी मनीष उपाध्याय ने ED के खिलाफ अपनी शिकायतों से पुलिस और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अवगत कराया था। बावजूद इसके पुलिस ने ED पर कोई कार्यवाही नहीं की।
जानकारी के मुताबिक मनीष ने स्थानीय पुलिस को ED के खिलाफ मारपीट और मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने की शिकायत की थी। लम्बे अरसे बाद भी छत्तीसगढ़ पुलिस ने मनीष उपाध्याय की शिकायत पर जब कोई कार्यवाही नहीं की तब उसने ED के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर किया है। यही हाल कोयला दलाल सूर्यकांत तिवारी और सौम्या के एक और सहयोगी निखिल चंद्राकर का बताया जाता है।सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी के हुक्म पर माल इधर से उधर करने में चर्चा में आए निखिल चंद्राकर को इन दिनों एक नई मुसीबत से जूझना पड़ रहा है।
एक जानकारी के मुताबिक हाल ही में उसके पिता ने ED के खिलाफ अपने पुत्र निखिल को प्रताड़ित किए जाने की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई थी। लेकिन बताते है कि कुछ घंटों बाद यह रिपोर्ट उन्होंने वापिस भी ले ली। बताते है कि निखिल चंद्राकर से बातचीत के बाद उसके पिता ने यह रिपोर्ट वापस ली थी। हालाँकि अब खबर यह भी आ रही है कि निखिल के पिता ED के खिलाफ कोर्ट में कोई नया परिवाद दायर करने की तैयारी में है। हालाँकि इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
वही दूसरी ओर सौम्या चौरसिया के एक अन्य राजदार और सहयोगी दीपेश टांक को हिरासत में लेकर ED पूछताछ में जुटी है। उसे भिलाई से गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वो 4 दिनों की ED रिमांड पर है। बताते है कि सौम्या चौरसिया के संपत्ति की खरीदी-बिक्री व ब्लैक मनी खपाने को लेकर दीपेश टांक काफी सक्रिय था। उसने भी ED के खिलाफ प्रताड़ना की शिकायत स्थानीय थाने में दर्ज कराई थी। सूत्रों का दावा है कि पुलिस ने उसकी भी शिकायत को लम्बे समय तक लंबित रखा। कुल मिलाकर दीपेश की गिरफ़्तारी से पूर्व तक पुलिस ने ED के खिलाफ कोई जाँच नहीं की और ना ही कोई मामला दर्ज किया। गौरतलब है कि 2 दिन पहले ही ED ने दीपेश टांक को गिरफ्तार किया था। जबकि दीपेश टांक ने अरसे पहले ED के खिलाफ पुलिस को शिकायत सौंपी थी। इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस के आलाधिकारी मौन साधे हुए है।
छत्तीसगढ़ पुलिस और ED के बीच ‘तू डाल डाल मैं पात पात’ की तर्ज पर रस्साकसी चल रही है। ED के संभावित गवाह रवि पटनायक को धोखाधड़ी के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने धर दबोचा है। पटनायक, कुख्यात आरोपी सौम्या चौरसिया का खास राजदार बताया जाता है।बताते है कि ED की पूछताछ में उससे कुछ सच सामने आ पाता,इससे पहले ही छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दिया।
ED की शुरुआती पूछताछ के दौरान रायपुर के चर्चित कारोबारी बजरंगी बाबू भी शिकवा-शिकायतों को लेकर सुर्ख़ियों में रहे है। लेकिन रायपुर के किसी भी थाने में ED के खिलाफ उनकी भी कोई शिकायत दर्ज होने की जानकारी नहीं मिल पाई है। बताते है कि उनके बेटे को मुर्गा बनाने की ख़बरें भी काफी सुर्ख़ियों में रही थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने बयानों में दावा भी किया था कि ED की पूछताछ में लोगों को मुर्गा बनाया जा रहा है। उन्हें जोर जबरदस्ती बयानों में हस्ताक्षर कराए जा रहे है। कारोबारियों से मारपीट हो रही है,किसी के कान का पर्दा फट रहा है,लोगो को सुनाई नहीं दे रहा है। बघेल ने एक बार नहीं बल्कि ED पर मारपीट के कई बार आरोप लगाए है।उन्होंने शिकायत मिलने पर ED के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन मुख्यमंत्री के जनता के साथ किए गए वादे को उनकी पुलिस ही तरजीह देती नजर नहीं आ रही है। कई शिकायतों के बावजूद ED के खिलाफ FIR दर्ज ना होना चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते है कि कई अधिकारियों ने ED के खिलाफ फर्जी-झूठी शिकायत दर्ज करने के मामलो में अपने हाथ खड़े कर दिए है।
पुलिस सूत्र बताते है कि रणजीत सिंह-भिलाई,केदारनाथ जोशी-उरला,गिरीश नेमाड़े-रिसाली भिलाई,सुनील कुमार ढिल्लन,दीपेश टांक-भिलाई,मनीष उपाध्याय-भिलाई,रवि पटनायक-रायपुर और वतन चंद्राकर-आरंग ने ED के खिलाफ मारपीट और प्रताड़ना की शिकायत की है। बताया जाता है कि इन शिकायतों के बावजूद छत्तीसगढ़ पुलिस ने ED के खिलाफ FIR दर्ज करना तो दूर कही कोई पूछताछ तक नहीं की है। अलबत्ता साफ़ हो रहा है कि पुलिस में शिकायत करने वाले कई आवेदक ही अवैध वसूली और भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त नजर आ रहे है।