रायपुर : खबर आ रही है कि आईएएस रानू साहू पर ईडी का शिंकजा कसता जा रहा है। रानू साहू वर्तमान में कलेक्टर रायगढ़ के पद पर है। फिलहाल वे छुट्टी पर है। जबकि उनके आईएएस पति जे.पी.मौर्य के बारे में बताया जा रहा है कि वे सरकारी गवाह बनाये जा सकते है। कोल और खनन घोटाले,अवैध माइनिंग, मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा बड़े पैमाने पर जमीन जायदाद की खरीद फरोख्त में ब्लैक मनी के इस्तेमाल को लेकर रानू साहू से पूछताछ चल रही थी। कुछ खबरों में कहा जा रहा था की वे सरकारी गवाह बन सकती है। लेकिन अब खबर आ रही है कि उनके अरमानो पर ईडी ने पानी फेर दिया है। दरअसल डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया और कोयला दलाल सूर्यकान्त तिवारी से हुई पूछताछ के बाद रानू साहू की मुश्किलें बढ़ गई है।
बताया जाता है कि रानू साहू और सौम्या चौरसिया का आपस में करीब का नाता रहा है। दोनो अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुये सरकारी मशीनरी जाम कर रोजाना करोड़ों की अवैध उगाही कर रहे थे। इन दोनों अफसरों के प्रदेश के कई जिलों में बड़े पैमाने पर निवेश के मामले सामने आ रहे है। कोरबा और रायगढ़ में रानू साहू ने बतौर कलेक्टर “गब्बर सिंह टैक्स” की वसूली के लिये कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी।
इन दोनों अफसरों ने कानून की धज्जियां उडाते हुये कोल कारोबारियों और ट्रांसपोर्टरों पर काफी दबाव बनाया था। इनका मकसद कोयले पर 25 रुपये टन अवैध वसूली को सुनिश्चित करना था। सूत्र बताते है कि सौम्या चौरसिया और रानू साहू ने विदेश तक में अपना नेटवर्क फैलाया था। रानू साहू की विदेश यात्राए प्रशासनिक हल्को में भी चर्चा में है।
बताते है कि रानू साहू ने भी अपने परिजनों के नाम पर रायपुर, धमतरी, महासमुंद व बालौद में कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी के साथ अरबो की जमीनों की खरीद फरोख्त की थी। यह भी बताया जाता है कि ट्रांसफर पोस्टिंग के मामलों में भी सूर्यकांत के जरिये उसने शासन पर अपनी अच्छी खासी पकड बनायी रखी थी। वो प्रदेश में किसी का भी ट्रांसफर चुटकियों में करा दिया करती थी। सूत्र बताते है कि सौम्या ने कोल माफिया सूर्यकांत तिवारी को कई बेशकीमती गाडिय़ा गिफ्ट की थी। उसकी कार्यप्रणाली के किस्से कोरबा और रायगढ में आम है।
बताते है कि छत्तीसगढ शासन के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने रानू साहू को कोरबा जिले की अब तक की सबसे भ्रष्ट कलेक्टर करार दिया था। उन्होने उस पर कई गंभीर आरोप भी लगाये थे। लेकिन सौम्या चौरसिया से बेहतर संबंध होने के चलते रानू साहू के काले कारनामों की जांच नहीं हो पाई। हालांकि मंत्री और कलेक्टर के विवाद के सुर्खियों में आने के बाद रानू साहू को कलेक्टर कोरबा से स्थानांतरित कर रायगढ़ जिले का कलेक्टर बनाया गया था।
बताते है कि यहां भी उनकी कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आया। उनका मकसद सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी कार्यो के बजाय सिर्फ अवैध उगाही पर केन्द्रित रहा। नतीजन रायगढ़ में भी गब्बर सिंह टैक्स की वसूली सुनियोजित रूप से होने लगी। फिलहाल ईडी की टीम रानू साहू से पूछताछ में जुटी रही। अनुपातहीन संपत्ति और कई जमीनों के दस्तावेज सामने रखकर ईडी उनसे पूछताछ की थी।
सूत्रों के मुताबिक रानू साहू के जवाब और प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध नही कराये जाने के मामलों को ईडी की टीम ने काफी गंभीरता से लिया है। सूत्रों का दावा है कि असंतोषजनक जवाबो के चलते अब रानू साहू की भी गिरफ्तारी के आसार है। हालांकि वो सरकारी गवाह बनने के लिए ईडी से गुहार लगा रही है। रानू साहू ने खुद को पाक साफ करार देते हुए भ्रष्ट्राचार के लिये सीधे तौर पर सौम्या चौरसिया को जिम्मेदार बताया है। अब यह देखना गौरतलब होगा कि रानू साहू की हिरासत को लेकर ईडी क्या कदम उठाती है।