छत्तीसगढ़ में 3 IPS और 6 IAS पर कस सकता है ED का शिकंजा, महादेव ऐप और DMF घोटाले की जांच को लेकर एजेंसियां सक्रिय,PMO की कार्यवाही पर नजर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में ED एक बार फिर सक्रिय हो गई है। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप घोटाले की जांच पर PMO की सीधी नजर है। लिहाजा ED की जांच पहली पंक्ति के घोटालेबाजों के इर्द-गिर्द मंडरा रही है।भ्रष्टाचार की जड़ों तक पहुंचने से पहले ED ने उसका रख- रखाव करने वाले संदेहियों पर अपना शिकंजा भी कसा है। सूत्रों के मुताबिक DMF घोटाले में 6 IAS अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। इनमे से 2 बस्तर संभाग के जिलों में कलेक्टर रहे हैं। जबकि 4 बिलासपुर डिवीजन के अंतर्गत आने वाले जिलों में पदस्थ थे। हालाकि बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद ये सभी IAS अफसर मंत्रालय और अन्य विभागों में वरिष्ठ पदों पर पदस्थ हैं।पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई छापेमारी में इन सभी अधिकारियों के खिलाफ DMF फंड के दुरूपयोग को लेकर ED को शिकायत और कई सबूत मिले थे। इस सिलसिले में ED ने रायगढ़ और कोरबा कलेक्टर के दफ्तर में छापेमारी भी की थी।

बताते हैं कि DMF घोटाले की जांच में आई प्रगति के साथ ED ने एक बार फिर छापेमारी शुरू की है। इस कड़ी में कांग्रेस नेता तोरण चंद्राकर के ठिकानों में दबिश दी गई थी। बालोद में पीयूष सोनी, कोरबा में कांग्रेस नेता लॉयन जे पी अग्रवाल, बैकुंठपुर में CEO राधेश्याम मिरझा और अंबिकापुर में कारोबारी अशोक अग्रवाल के ठिकानों पर डाली गई दबिश के खत्म होने की जानकारी मिली है। जबकि महादेव ऐप घोटाले को लेकर देश के आधा दर्जन राज्यों में डाली गई रेड में भी ED को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। सूत्रों के मुताबिक ED ने 28 फरवरी को कोलकाता,गुरुग्राम, दिल्ली, इंदौर, मुंबई, भोपाल और रायपुर में विभिन्न परिसरों में छापामारी कर 580 करोड़ से अधिक की प्रतिभूतियां जब्त की है। इसके अलावा लगभग 3.64 करोड़ रूपए मूल्य की नगदी एवम आभूषण भी अपने कब्जे में लिया है।

छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों में बीते 5 सालों में DMF फंड के करीब 700 करोड़ की गड़बड़ी सामने आई है। जांच के दौरान घोटालेबाजी की रकम के बढ़ने के भी आसार बताए जा रहे हैं। पूर्व महिला बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया के प्रतिनिधि के तौर पर पीयूष सोनी चर्चित रहे हैं। जबकि तोरण चंद्राकर कई सरकारी विभागों में सप्लायर और ठेकेदारी के कार्योँ से जुड़े बताए जाते हैं। अंबिकापुर के अशोक अग्रवाल भी कारोबारी हैं। वे मूलतः बलरामपुर जिले के राजपुर के रहने वाले बताए जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक DMF घोटाले की मोटी रकम ठिकाने लगाने के लिए मनी लांड्रिंग भी की गई थी।

उधर महादेव ऐप घोटाले में ED रिमांड में आरोपी नितीश ने कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां दी है। सूत्रों के मुताबिक नितीश और शुभम सोनी से मिली ठोस जानकारी के बाद 2005 बैच के IPS शेख आरिफ,2001 बैच के आनंद छाबड़ा और 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल के साथ रायपुर में ASP रहे अभिषेक माहेश्वरी पर भी ED का शिकंजा कस सकता है। सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि IPS शेख आरिफ को ED ने काफी पहले समन भी जारी किया था। लेकिन वे उपस्थित नही हुए थे। बताते हैं कि मुंबई में पदस्थ एक स्पेशल डायरेक्टर रैंक के अधिकारी से मिले वरदहस्त के बाद वे जांच से बच निकलने के लिए प्रयासरत थे। हालाकि उनके अरमानों पर पानी फिर गया था।बताते हैं कि इस मामले में CBI में हुई एक शिकायत के बाद दागी IPS अधिकारियों के खिलाफ जारी जांच ने एक बार फिर राह पकड़ ली है।

बताते हैं कि महादेव ऐप सट्टा से होने वाली अवैध कमाई से इन IPS अधिकारियों ने करोड़ों की बेनामी संपत्ति अर्जित की है। सूत्रों के मुताबिक महादेव ऐप सट्टा से होने वाली अवैध कमाई से शेख आरिफ द्वारा छत्तीसगढ़ समेत उत्तर प्रदेश में लखनऊ के आस-पास और महाराष्ट्र में मुंबई-पुणे में बड़े पैमाने पर बेनामी संपत्ति खरीदी गई है। यह भी बताया जाता है कि प्रदेश के एक जिले में करीब 200 एकड़ की भूमि में मछली और मुर्गी पालन के साथ-साथ गोडाउन बनाने के एक प्रोजेक्ट को लेकर शेख आरिफ उस CA से भी मिले थे, जिसे हाल ही में बिलासपुर हाई कोर्ट से जमानत प्राप्त हुई है। यह भी बताते हैं कि यह चार्टर्ड एकाउंटेंट महादेव ऐप सट्टा घोटाले में लगभग 3 माह से रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में था।

यही हाल IPS आनंद छाबड़ा का भी बताया जाता है। सूत्र बताते हैं कि रायपुर में डॉ. दल्ला के अस्पताल और ठिकानों में हुई छापेमारी में जब्त लगभग ढ़ाई करोड़ की नगदी आनंद छाबड़ा की ही थी। हालाकि इस सिलसिले में ED की जांच जारी है। जानकारी के मुताबिक रायपुर में पदस्थ रहे ASP अभिषेक माहेश्वरी महादेव ऐप घोटाले में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। बड़े पैमाने पर नगदी उनके हाथों से इधर-उधर ठिकाने लगाई जाती थी।आनंद छाबड़ा के विश्वास पात्र के रुप में उगाही की रकम ठिकाने लगाने के मामले में उनके खिलाफ भी एजेंसियो द्वारा जांच जारी बताई जाती है।
रायगढ़, बिलासपुर और रायपुर में लम्बे समय तक बतौर SSP पदस्थ रहे प्रशांत अग्रवाल भी महादेव ऐप को संरक्षण देने के चलते सुर्खियों मे है। उन्हें भी हर माह मोटी रकम प्राप्त होती थी। उनके खिलाफ भी पुख्ता सबूत ED को मिले हैं।

सूत्र बताते हैं कि प्रशांत अग्रवाल मूलतः छत्तीसगढ़ के हैं। बीते 5 सालों में उनके नाते-रिश्तेदारों और कई परिजनों के नाम पर बड़ा निवेश किया गया है। 600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में भी प्रशांत अग्रवाल शामिल रहे हैं। उनके खिलाफ ED ने कोर्ट में चार्जशीट भी पेश की है। हालाकि उनकी चल-अचल संपत्ति अभी जब्त नही की गई है।उनका भी निलंबन जल्द माना जा रहा है। ED ने रतनलाल जैन नामक कारोबारी को भी गिरफ्त में लेने के प्रयास तेज कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक लम्बे समय से फरार चल रहे कारोबारी रतनलाल जैन की गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जा सकता है। बताया जाता है कि महादेव बैटिंग ऐप की जांच के दौरान ED ने 5.39 करोड़ की नगद और 15.59 करोड़ का बैंक डिपॉजिट जब्त किया है। घोटाले की इस रकम को लेकर गिरीश तलरेजा और रतनलाल जैन की बड़ी भूमिका बताई जाती है। दोनों का प्रमुख सटोरिए शुभम सोनी से सीधा लेन-देन सामने आया है।

सूत्र यह भी बताते हैं कि IPS अधिकारियों को प्रति माह सौंपे जाने वाली नगद रकम के प्रमुख श्रोतों की चौंकाने वाली हालिया जानकारी भी एजेंसियो के हाथ लगी है। उधर महादेव ऐप घोटाले में शामिल रहे IPS अधिकारियों और कई कारोबारियो के खिलाफ EOW में नामजद FIR दर्ज होने का मामला भी अंतिम दौर में बताया जाता है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) इन दागी अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी में जुटा है। यह भी बताया जाता है कि महादेव ऐप घोटाला अंतर्राज्यीय स्तर का है, इसमें ऑल इंडिया सर्विस कमिशन के जिम्मेदार IPS अधिकारी भी लिप्त पाए गए हैं। लिहाजा भारत सरकार मामले की CBI जांच की सिफारिश कर सकती है। फिलहाल महादेव ऐप बैटिंग घोटाले की जांच पर PMO गंभीर है। कार्यवाही पर उसकी भी निगाहें लगी हुई हैं। प्रमुख श्रोतों की चौंकाने वाली हालिया जानकारी भी एजेंसियो के हाथ लगी है।

उधर महादेव ऐप घोटाले में शामिल रहे IPS अधिकारियों और कई कारोबारियो के खिलाफ EOW में नामजद FIR दर्ज होने का मामला भी अंतिम दौर में बताया जाता है। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) इन दागी अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी में जुटा है। यह भी बताया जाता है कि महादेव ऐप घोटाला अंतर्राज्यीय स्तर का है, इसमें ऑल इंडिया सर्विस कमिशन के जिम्मेदार IPS अधिकारी भी लिप्त पाए गए हैं। लिहाजा भारत सरकार मामले की CBI जांच की सिफारिश कर सकती है। फिलहाल महादेव ऐप बैटिंग घोटाले की जांच पर PMO गंभीर है। कार्यवाही पर उसकी भी निगाहें लगी हुई हैं।